Know thyroid types, symptoms and Ayurvedic remediesKnow thyroid types, symptoms and Ayurvedic remedies

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-सीमा कुमारी

आज हर एक परिवार थायराइड नामक बीमारी से परेशान है. यह बीमारी तेजी से अपना पांव पसार रही है. इस बीमारी का शिकार केवल महिलाएं ही नहीं बल्क़ि छोटे बच्चे और पुरुष भी हो रहे है. आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में टेंशन, खाने में आयोडीन की कमी या ज्यादा इस्तेमाल, दवाओं के साइड इफेक्ट के अलावा अगर परिवार में किसी को पहले से थायराइड की समस्या है तो भी इसके होने की संभावना ज्यादा रहती है.

थायराइड 4 प्रकार का होता है:

  1. गोइटर थायराइड: इसे आम भाषा में घेंघा रोग कहा जाता है, जो मुख्य रूप से शरीर में आयोडीन की कमी के कारण होता है. गोइटर से पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर आयोडीन की दवाई देते हैं, जिसकी वजह से आयोडीन की मात्रा सामान्य हो जाती है.
  2. हाइपोथायरायडिज्म थायराइड: यह थायराइड का प्रमुख कारण है, जो थायराइट ग्रंथि में थायराइड हॉर्मोन की कमी के कारण होता है. हाइपोथायरायडिज्म थायराइड मुख्य रूप से छोटे बच्चों में देखने को मिलता है, जिसका इलाज दवाईयों के माध्यम से संभव है.
  3. हाइपरथाइरॉयडिज़्म थायराइड: यह अन्य थायराइड है, जो थायराइड ग्रंथि में अतिरिक्त टिशू के निर्माण होने के कारण होता है. हाइपरथाइरॉयडिज़्म थायराइड में हार्मोन की अधिक हो जाती है.
  4. थायराइड कैंसर: यह थायराइड का सबसे गंभीर और अंतिम प्रकार है, जिसका इलाज केवल सर्जरी के माध्यम से ही संभव है. थायराइड कैंसर उस स्थिति में होता है, जब थायराइड ग्रंथि गांठ बन जाती है.

जानिए थायराइड के लक्षण: यदि शरीर में नीचे बताए गए किसी प्रकार के लक्षण नजर आते हैं, तो ये थायराइड के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. ध्यान रहे कि थायराइड के लक्षण सामान्य बीमारी जैसे भी नजर आ सकते हैं, इसलिए बेहतर है कि शरीर में आए किसी भी परिवर्तन को गंभीरता से लेना चाहिए. खासकर गर्भावस्था में महिलाओं में थायराइड लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

  • कब्ज
  • थकावट
  • तनाव
  • रूखी त्वचा
  • वजन का बढ़ना या कम होना
  • पसीना आना कम होना
  • ह्रदय गति का कम होना
  • उच्च रक्तचाप
  • जोड़ों में सूजन या दर्द
  • पतले और रूखे-बेजान बाल
  • याददाश्त कमजोर होना

थायराइड ठीक करने के आयुर्वेदिक उपाय:

  • इसमें हम शिग्रु पत्र, कांचनार, पुनर्नवा के काढ़ों का प्रयोग कर सकते हैं. काढ़ों का प्रयोग करने के लिए हमें 30 से 50 मिली काढ़ा खाली पेट लेना चाहिए.
  • जलकुंभी, अश्वगंधा या विभीतकी का पेस्ट ग्वाटर के ऊपर लगाएं. पेस्ट को तब तक लगाना है जब तक की सूजन कम न हो जाए. रोग से पीड़ित इन्हीं पौधों के स्वरस का प्रयोग भी कर सकते हैं.
  • इस बीमारी में पंचकर्मा की क्रियाएं जिसमें शिरो अभ्यंगम, पाद अभ्यंगम, शिरोधारा, वस्ति, विरेचन, उद्वर्तन और गले के क्षेत्र या थायराइड ग्रंथि पर हम धारा कर सकते हैं. इसमें नस्यम को हम घर पर कर सकते हैं. नस्यम करने के लिए गाय के घी को दो-दो बूंद पिघला के हम नाक में डालने से इस बीमारी में लाभ मिलता है.
  • गेहूं का ज्वारा, ब्लड और ब्लड रिलेटेड रोगों के साथ ही थायराइड हार्मोन पर भी बहुत इफेक्टिव है. गेहूं के ज्वारे को रोज अपनी डाइट में जरूर शामिल करें.

नोट: ऊपर दिए गए निर्देशों से को शुरू करने से पहले अपने डाक्टर से सलाह लें.