जानें ‘चंद्र नमस्कार’ करने का आसान तरीका, होंगे कई चमत्कारिक लाभ

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    -सीमा कुमारी

    समूची दुनिया में हर साल 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ (International Yoga Day) मनाया जाता है। इस ‘दिवस’ का मूल उद्देश्य लोगों को योग के महत्व के बारे में बतलाना और इसके प्रति पूरे विश्व में जागरूकता फैलाना आदि।

    ‘सूर्य नमस्कार’ (Surya Namaskar) के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन ‘चंद्र नमस्कार’ के बारे में बहुत ही कम को पता है। लेकिन, ‘चंद्र नमस्कार’ योगासन उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है, जो सुबह के वक्त ‘योग’ नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोगों के मन में हमेशा यह सवाल आता है कि आखिर शाम या रात के समय कोई योगासन किया जा सकता है, या नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, क्या शाम के समय किसी योगासन से ‘सूर्य नमस्कार’ की तरह फायदा मिल सकता है ?

    इन सभी सवालों का जवाब ‘हां’ है।  दरअसल, ‘चंद्र नमस्कार’ (Chandra Namaskaar) शाम या रात को चंद्रमा की मौजूदगी में किया जाता है। यह शरीर में शांति, सौम्यता और ताकत का संचार करता है। आइए जानें योग एक्सपर्ट्स द्वारा चंद्र नमस्कार करने का सही तरीका और इससे होने वाले फायदे के बारे में-

    ‘चंद्र नमस्कार’ के फायदे:

    योग गुरु आचार्य प्रतिष्ठा के अनुसार, ‘चंद्र नमस्कार’ करने से कई फायदे हो सकते हैं। जैसे- आंखों को स्वस्थ रखना, सौंदर्य बढ़ना, फेफड़ों का मजबूत होना, मोटापा कम होना आदि।

    कैसे करें ‘चंद्र नमस्कार’

    योग गुरु, आचार्य प्रतिष्ठा का कहना है कि ‘चंद्र नमस्कार’ (Chandra Namaskaar) को सोलह बार दोहराना चाहिए। हालांकि, शुरुआत में आप 3 से 4 बार इस योगासन को दोहरा सकते हैं और फिर धीरे-धीरे इसे 16 बार तक ले जाएं। आइए, चंद्र नमस्कार करने के स्टेप्स जानें।

    ‘प्रणाम आसन’-

    सबसे पहले अपने पैरों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएं और हाथों को नमस्कार की स्थिति में लाएं। चंद्रमा को देखें और उसकी सौम्यता का एहसास करें।

    ‘हस्तोत्तानासन’-

    अब सांस भरें और हाथों को ऊपर की तरफ सीधा उठाते हुए जितना संभव हो पीछे ले जाएं। कमर दर्द की स्थिति में बहुत ज्यादा पीछे ना झुकें।

    ‘पादहस्तासन’-

    अब सांस छोड़ते हुए आगे की तरफ झुकें। अगर संभव हो, तो बिना घुटने मोड़े हाथों को जमीन पर टिकाएं और माथे को घुटनों पर लगाएं। वरना आप घुटने थोड़े मोड़ भी सकते हैं।

    ‘अर्धचंद्रासन’-

    अब सांस भरते हुए अपने बाएं पैर को पीछे ले जाते हुए तलवे को आसमान की तरफ रखें और हाथों को जोड़कर जितना हो सके पीछे की तरफ ले जाएं। इसके बाद सांस छोड़ते हुए आगे आ जाएं।

    दंडासन-

    अब सांस भरते हुए दूसरे पैर को भी पीछे ले जाएं और अपनी कमर, गर्दन और कूल्हों को एक रेखा में रखें। अपनी हथेलियों को कंधों के नीचे रखें और सामने की तरफ देखकर सांस छोड़ें।

    साष्टांग प्रणाम-

    सांस भरते हुए दोनों पंजे, दोनों घुटने, दोनों हथेली, छाती और ठुड्डी जमीन पर टिकाएं और सांस छोड़ें।

    भुजंगासन-

    सांस भरते हुए कूल्हों को नीचे जमीन पर लगाकर एड़ी और पंजे मिलाएं और छाती को सामने की तरफ खोलकर सिर को जितना हो जा सके पीछे ले जाएं।

    अधोमुख श्वानासन-

    सांस छोड़ते हुए तलवों को जमीन पर टिका लें और कूल्हों को बिल्कुल ऊपर हवा में ले जाएं और दोनों हाथों के बीच में सिर लाकर पैर के पंजों को देखें और सिर व गर्दन को ढीला छोड़ दें।

    अर्धचंद्रासन-

    सांस भरते हुए फिर से बाएं पैर को अर्धचंद्रासन की स्थिति में लाएं. सांस छोड़ते हुए हाथों को आगे की तरफ लाएं और जमीन पर दोनों हथेली टिका लें।

    पादहस्तासन-

    फिर पूरा सांस छोड़ते हुए पादहस्तासन की स्थिति में आ जाएं।

    हस्तोत्तानासन-

    सांस भरते हुए सीधा खड़े होकर हाथों को ऊपर उठाकर जितना हो सके पीछे ले जाएं।

    प्रणाम आसन-

    इसके बाद फिर से प्रणाम की स्थिति में आ जाएं और चंद्रमा को देखें. शांति व सौम्यता को अनुभव करें।

    इन सभी आसान के नियमित अभ्यास से आप सेहतमंद रह सकते हैं।