World Hypertension Day : हर साल 17 मई को दुनियाभर में ‘विश्व उच्च रक्तचाप दिवस’ यानी World Hypertension Day मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य उच्च रक्तचाप के बारे में जागरूकता फैलाना और लोगों को इस साइलेंट किलर को नियंत्रित करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
गर्भावस्था के दौरान रक्तचाप का प्रबंधन करना आवश्यक है। स्त्री रोग और प्रसूति रोग विशेषज्ञ के अनुसार गर्भवती महिलाओं में उच्च रक्तचाप होने पर समय पर निदान होना आवश्यक है। इसके अलावा रक्तचाप कम करने के लिए दवाएं शुरू करना, स्वास्थ्य जांच, शिशु की मूवमेंट, सोनोग्राफी और डॉपलर के माध्यम से गर्भ के बच्चे और माँ पर निगरानी रखना भी जरुरी होता है। क्योंकि उच्च रक्तचाप न केवल माँ के स्वास्थ्य के लिए बल्कि शिशु के स्वाथ्य के लिए भी हानिकारक होता है। इस समस्या को प्रेगनेंसी इंड्यूस हायपरटेंशन (पीआईएच) भी कहा जाता है।
इस प्रकार के उच्च रक्तचाप ‘प्रीक्लेम्पसिया’ जैसी बीमारी बढ़ा सकता है। मूल रूप से यह गर्भावस्था विकार है, जिसमे उच्च रक्तचाप की शुरुवात और मूत्र में बड़ी मात्रा में प्रोटीन पाए जाते है। प्रीक्लेम्पसिया को कभी-कभी विषबाधा भी कहा जाता है। यदि स्थिति खराब हो जाती है, तो यह गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। इस स्थिति में रक्तचाप गुर्दे और यकृत के कार्य को बाधित कर बच्चे के विकास को रोकता है। पिछले कुछ दशकों में, महिलाएं अपने तीसवें दशक के बाद गर्भधारण करना पसंद करती हैं। दरअसल यह समस्या बहुत गंभीर है। यदि इसपर उचित इलाज नहीं हुआ तो जटिलताओं और माता और बच्चे को का खतरा बढ़ सकता है।
प्रीक्लेम्पसिया के लक्षण
– गर्भावस्था के दौरान लगातार सिरदर्द होना
– बार-बार सीने में दर्द
– सांस लेने में कठिनाई
– उलटी अथवा मितली
– पेट में दर्द
– जिगर का कार्य कमजोर होना
– अचानक वजन बढ़ना और सूजन
यदि यह लक्षण है तो तुरंत रक्तचाप की जाँच करनी चाहिए। प्रीक्लेम्पसिया वाली अधिकांश गर्भवती महिलाओं के मूत्र में रक्तचाप और प्रोटीन की मात्रा कम होती है।
क्या होता है उच्च रक्तचाप
हाई ब्लड प्रेशर को ही हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप कहा जाता है। हमारे शरीर में मौजूद ख़ून नसों में लगातार दौड़ता रहता है और इसी ख़ून के माध्यम से शरीर के सभी अंगों तक ऊर्जा और पोषण के लिए ज़रूरी ऑक्सीजन, ग्लूकोज़, विटामिन्स, मिनरल्स आदि पहुंचते हैं। ब्लड प्रेशर उस दबाव को कहते हैं, जो रक्त प्रवाह की वजह से नसों की दीवारों पर पड़ता है। आमतौर पर यह ब्लड प्रेशर इस बात पर निर्भर करता है कि हृदय कितनी गति से रक्त को पंप कर रहा है और ख़ून को नसों में प्रवाहित होने में कितने अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है। चिकित्सीय परामर्श के अनुसार 130/80 mmHg से ज़्यादा ख़ून का दबाव हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर की श्रेणी में आता है।