PM Modi may visit Ayodhya on 5 August, may be included in Ram temple land-worship

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    नई दिल्ली: भारत की सत्ता पर नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को काबिज हुए सात साल पूरे हो गए हैं। इस हिसाब से मोदी सरकार (Modi Government) की दूसरी सालगिरह आज यानि 26 मई को है। यही कारण है कि आज के दिन का काफी महत्त्व है। दरअसल वर्ष 2014 में शानदार जीत के बाद नरेंद्र मोदी ने आज ही के दिन बतौर प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। फिर साल 2019 में एक बार फिर नरेंद्र मोदी ने पीएम के तौर पर दूसरी बार शपथ ली। इन सब के बीच पहली बार ऐसा मौका है जब नरेंद्र मोदी आज ही के दिन मुश्किल में घिरे हुए हैं। कोरोना तांडव के चलते इस बार किसी भी प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया है।  

    ज्ञात हो कि पिछले सात सालों में मोदी सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए हैं जो खासा चर्चा में रहे हैं। सरकार के सात साल पुरे होने पर आइये जानते हैं 10 बड़े फैसले जो खासा चर्चा में रहे और जिस पर खूब बयानबाजी भी हुई। इन फैसलों में नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक, जीएसटी, तीन तलाक, आर्टिकल 370, नागरिकता कानून सहित कई का समावेश है। 

    8 नवंबर को किया नोटबंदी का ऐलान-

    इस दिन पीएम मोदी रात 8 बजे टीवी पर आए और कहा कि आज से 500 और 1000 रुपये के नोट बेकार हो जाएंगे। इस फैसले के बाद देश के अलग-अलग बैंको में पुराने नोट को बदलने के लिए कई दिनों तक लोग लाइन में खड़े हुए दिखाई दिए। जिसके बाद सरकार ने 500 और 200 रुपये के नए नोट जारी किए। नए नोट मिल सके इसके लिए एटीएम की लाइन में लोग लगे दिखाई पड़े थे। इस फैसले के बाद देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन में बढ़ोतरी हुई है।

    जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया-

    केंद्र ने जब जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया तो सियासी बयानबाजी इस मसले पर खूब हुई। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों की तरफ से इस मुद्दे पर लगातार बयान सामने आया। इस बिल को सबसे पहले सरकार ने राज्यसभा में लाया और आसानी से पास करा दिया। फिर लोकसभा से भी आसानी से केंद्र ने इसे पास करा लिया। जिसके बाद राज्यों का बंटवारा हुआ और केंद्र शासित बनाने का प्रस्ताव पारित हुआ। 31 अक्टूबर 2019 से जम्मू-कश्मीर, लद्दाख अलग-अलग  केंद्र शासित राज्य बने। मोदी सरकार ने जब आर्टिकल 370 को हटाया तो उसके बाद महबूबा मुफ्ती सहित कई स्थानीय नेताओं को नजरबंद किया गया।

    केंद्र ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से दिलाया छुटकारा-

    देश में तान तलाक का मसला लगातार चर्चा का विषय बना रहा है। ट्रिपल तलाक पर समय-समय पर बहस छिड़ती रही है। मोदी सरकार ने वर्ष 2019 में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से छुटकारा दिलाते हुए बड़ा फैसला लिया। केंद्र ने तलाक पर प्रतिबंध लगाने को ध्यान में रखते हुए मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधयेक 2019 को लोकसभा सहित राज्यसभा से आसानी से पास करा लिया। सरकार के इस फैसले के बाद अगस्त महीने में तीन तलाक देश में कानूनी रूप से क्राइम बन गया। केंद्र के इस फैसले के बाद अगर कोई आदमी तीन बार तलाक बोलता है या फिर ईमेल-एसएमएस भेजकर शादी तोड़ देता है तो उस शख्स की गिरफ्तारी की जाएगी। 

    सर्जिकल स्ट्राइक और फिर एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान को दिया कड़ा संदेश-

    मोदी सरकार ने उरी आतंकी हमले के बाद बड़ा फैसला लेते हुए 28 सितंबर 2016 को पाकिस्तान के नापाक मंसूबो का करारा जवाब देते हुए सर्जिकल स्ट्राइक की। सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आंतकियों के लॉन्च पैड्स को निशाना बनाते हुए उसे तबाह कर दिया। फिर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने बालाकोट एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान को फिर मुंहतोड़ जवाब दे दिया।  

    सरकार ने जब किया एक देश, एक टैक्स यानि जीएसटी का फैसला-

    टैक्स की बात करें तो पहले हर राज्य अपने हिसाब से अलग-अलग वसूलते थे। लेकिन 1 जुलाई 2017 को केंद्र के अचानक बड़ा फैसला लेते हुए सभी को चौका दिया। जिसके बाद अब भारत में जीएसटी वसूल किया जाता है। सरकार के इस निर्णय के बाद अब आधा टैक्स केंद्र और आधा राज्यों के पास जाता है। हालांकि वसूली का काम केंद्र की तरफ से किया जाता है और फिर राज्यों को पैसा लौटाने का काम होता है। जीएसटी का मसला कई वर्षों तक राज्यों के विरोध के कारण अटका रहा था। लेकिन साल 2017 में जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों को संसद से पारित किया गया। जिसे बाद में राष्ट्रपति की भी सहमति मिली।  

    नागरिकता कानून को लागू करने का फैसला-

    देश में सीएए यानि नागरिकता कानून को लेकर खूब बवाल मचा रहा। दिल्ली सहित कई राज्यों में इसे लेकर विरोध प्रदर्शन भी हुआ।  लेकिन मोदी सरकार ने तमाम विरोध के बावजूद नागरिकता कानून को दोनों सदनों से बहुत आसानी से पास करा लिया। भारत के राष्ट्रपति कि साइन होने के बाद अब यह कानून बन गया है।  संसद से पारित होने के बाद भी इस कानून को लेकर विवाद खड़ा होता रहा है। इस कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह समुदायों हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी सहित ईसाई धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता मिलने का प्रावधान है।  

    अयोध्या में राम लला को मिला हक-

    राम मंदिर के मसले को लेकर देश में जमकर सियासत हुई है। चुनाव नजदीक आते ही इस मसले पर बयानबाजी शुरू हो जाती है। देश की आजादी से चले आ रहे इस फैसले का समाधान मोदी राज में ही मिला। 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने बड़ा फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने के लिए कहा। साथ ही कहा कि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में अलग से ही पांच एकड़ जमीन दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह भी कहा कि तीन महीने के भीतर राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाया जाए जिससे आगे की प्रोसेस शुरू हो। देश की सबसे बड़ी अदालत के इस फैसले का पूरे देश में स्वागत भी किया गया। हालांकि इनडायरेक्ट रूप से इसका क्रेडिट लेने की कोशिश भाजपा नेताओं की तरफ से की गई। 

    10 सरकारी बैंकों के विलय का फैसला-

    बैंकों के बढ़ते एनपीए से राहत मिलने और ग्राहकों को बेहतर बैंकिंग की सुविधा देने के मकसद से केंद्र ने इस फैसले को अमल में लाया और 10 सरकारी बैंकों का विलय करते हुए चार बड़े बैंक के नाम की घोषणा कर दी। सरकार ने इस फैसले के बाद ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का पंजाब नेशनल बैंक में विलय हो गया। जबकि सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक और इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में मर्ज कराया गया। केंद्र ने इस फैसले के बाद दावा किया कि इससे एनपीए को राहत मिलने वाली है। 

    एसपीजी संशोधन बिल पर जब हुआ खूब हंगामा-

    एसपीजी बिल को लेकर जमकर सियासी बयानबाजी देश में हुई। कांग्रेस सहित कई पार्टियों के नेताओं के इसे लेकर केंद्र पर हमला बोला। बावजूद इसके अच्छी खबर यह रही कि मोदी सरकार ने स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप संशोधन बिल 2019 को बहुत आसानी से लोकसभा और राज्यसभा से पास करा लिया। इस बिल के मुताबिक एसपीजी सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री को ही मिलेगी। अन्य कोई भी शख्स इसका हकदार नहीं होगा। इस बिल में संशोधन के बाद गांधी परिवार के सदस्यों और पूर्व पीएम के परिवार को मुहैया कराई गई सुरक्षा को हटा लिया गया। 

    देश में एनआरसी के फैसले से जब गरमाया सियासी पारा-

    बता दें कि देश में एनआरसी को लेकर भी खूब सियासत हुई है। कांग्रेस सहित कई दलों ने मोदी सरकार पर एनआरसी को लेकर खूब हमला किया है।  केंद्र ने दुसरे कार्यकाल में असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को सामने लाया।  लेकिन 40 लाख से अधिक लोगों के नाम इसमें न होने के कारण सियासी पारा देश का गरमा गया।  मोदी सरकार पूरे देश में एनआरसी को लाने की तैयारी में है।  बंगाल, बिहार सहित कई राज्यों ने इसका खुलकर विरोध किया है।