Ramnagar

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हल्द्वानी. आज के समय में जहाँ लोग जानवरों की सुध कम लेते हैं। वहीं उत्तराखंड (Uttrakhand) में एक ऐसा ईको ब्रिज (Eco Bridge) तैयार किया गया है जो सरीसृप (Reptiles) प्रजातियों के लिए है। गौरतलब है कि हाईवे क्रास करने के दौरान वाहनों से कुचलकर मरने वाले सरीसृपों की जिंदगी बचाने के लिए यह अनूठा और सराहनीय प्रयास रामनगर (Ramnagar) वन प्रभाग ने किया है। ख़ुशी की बात यह है कि बांस, रस्सी व घास से महज दो लाख रूपए के  लागत से बना यह पुल अब पुर्णतःतैयार हो चुका है।

दरअसल हल्द्वानी व तराई की अधिकाश प्रमुख सड़कें वहाँ के जंगलों के बीच से निकलती है। वहाँ के वन बहुल क्षेत्र होने के कारण अक्सर हाथी, बाघ, गुलदार के अलावा हिरण व नीलगाय भी सड़कों पर स्वाभाविक रूप से नजर आ जाती हैं। जंगलों के बीच से गुजरने वाली यह सड़कें इंसानों के साथ वन्यजीवों के लिए भी अब आम रास्ता ही बन चुकी है। जहाँ बड़े वन्यजीव दूर से नजर आने और उनसे डर के चलते भी चालक अपने वाहन पहले ही रोक लेते हैं। मगर साँप, अजगर, मानीटर लेजर्ड जैसे सरीसृपों के अलावा बंदर व गिलहरी अक्सर हादसों का शिकार होकर एक निरीह और अकाल मृत्यु को प्राप्त होते हैं। इन्ही हादसों के मद्देनजर DFO रामनगर चंद्रशेखर जोशी ने कालाढूंगी रेंज में ईको ब्रिज बनाने की अपनी अनूठी कवायद शुरू की थी।

कैसा है यह पुल:

यह पुल करीब 90 फीट लंबा है। गौरतलब है कि कालाढूंगी ब्रिज से नैनीताल हाईवे पर छोटी हल्द्वानी से 2 किमी आगे एक तीखा मोड़ है। यहाँ उतार होने के चलते पहाड़ से आने वाली गाड़ियां अक्सर तेजी से उतरती हैं। वहीं टूरिस्ट सीजन में इस हाईवे पर ट्रैफिक और अधिक हो जाता है। मोड़ व उतार के कारण चालक ब्रेक भी नहीं मारते, जिससे यहां के सरीसृपों की जिंदगी पर खतरे और अधिकरहता है। इन्ही सब कठनाइयों के चलते वन विभाग ने यहां करीब 90 फीट लंबा ईको ब्रिज बनाया। इसे बनाने में जूट की रस्सी, बास की लकड़ी और कुश घास का बेहतरीन इस्तेमाल किया गया है।

 कैमरे से राखी जाएगी नजर:

इस पुल और जानवरों की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने इसे तैयार करने के बाद इसके चारों तरफ ट्रैप कैमरे भी लगवाए हैं। इनसे सरीसृप प्रजातियों की पुल पर हो रही गतिविधि पर नजर रखी जा सकेगी। इससे वन विभाग को  सरीसृपों की गतिविधि पर रिसर्च कर आगे की रणनीति बनाने में आसानी होगी। इसके साथ ही यह कैमरे पुल को नुकसान पहुंचाने वाले इंसानों के बारे में भी जानकारी दे सकेगा।

 इस पर रामनगर के DFO चंद्रशेखर जोशी बताते हैं कि बाघ-गुलदार, हाथी से लेकर जंगल में रहने वाले हर वन्यजीव की अपनी अलग और जरुरी अहमियत होती है। पर्यावरण से लेकर फ़ूड-चेन के लिहाज से इन सबका अपना अलग और अनूठा योगदान है। उनका कहना है कि सरीसृपों की जिंदगी को बचाने के लिए यह उनके महकमेका एक छोटा सा प्रयास है। इसके लिए यहाँ बकायदा साइन बोर्ड लगाकर लोगों को इनके महत्व और जरुरी उपयोगिता के बारे में बताया जाएगा। अगर इससे परिणाम अच्छे मिले तो आगे और भी जगहों पर इस प्रकार के ईको ब्रिज बनाए जाएंगे।