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त्रिशूर. जहाँ एक तरफ आज के कलयुगी समय में बच्चे अपने माँ-बाप को बोझ समझते हैं और उन्हें समय देने से भी कतराते हैं। वहीं इन दिनों सोशल मीडिया पर एक युवा कारोबारी सरथ कृष्णन खूब वायरल हो रहे हैं। वह इसलिए क्योंकि कलयुग का यह श्रवण कुमार अपनी माँ के साथ यात्रा पर निकला है और उनकी अपने मां के साथ यात्राएं करने की तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं। आपको यह भी बता दें कि सरथ देश के अधिकांश हिस्सों की यात्रा अपनी मां के साथ पूरी कर चुके हैं।

Courtsey: Sarath Krishnan

लेकिन सरथ ऐसा क्यों कर रहे हैं क्या उन्हें सोशल मीडिया पर वायरल होने का शौक है या फिर कुछ और? लेकिन बीते दिनों उन्होंने ऐसा करने की वजह भी बताई थी। सरथ कृष्णन का कहना है कि एक दिन उन्होंने सपने में देखा कि वो अपनी मां का हाथ पकड़े वाराणसी (काशी) के घाटों पर घूम रहे हैं और पीछे से भजन की आवाजें आ रही है, लेकिन जैसे ही उनकी आंख खुली तो उन्हें एहसास हुआ कि दरअसल वो त्रिशूर का उनका खुद का कमरा था जहां वो अपनी मीठी नींद में यह सपना देख रहे थे।

Courtsey: Sarath Krishnan

उन्होंने कहा कि, “मुझे यह असंभव ही लग रहा था क्योंकि मैं अब भी वाराणसी के घाटों से उठने वाली सुगंध को महसूस कर सकता था। यह एक सपना कैसे हो सकता है।” इसी के साथ उन्होंने एक फैसला ले लिया और झटपट अपने लैपटॉप से दो हवाई टिकट बुक किए। फिर रसोई में जाकर उन्होंने अपनी मां को बताया, “अम्मा, आज मैंने टिकट बुक कर ली है; चलो अब हम घुमने चलते हैं!”

Courtsey: Sarath Krishnan

लेकिन जब उनकी मां, गीता रामचंद्रन बेटे के वाराणसी जाने के फैसले का पता चला तो वे चौंक गई। उन्होंने विरोध करने की कोशिश तो ज़रूर की लेकिन उनका बेटा अड़ा रहा। इसके बाद कुछ घंटों में, वे तीन दिन के लिए कपड़ों के एक बैग के साथ कोच्चि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मौजूद थे। सरथ इसे याद करते हुए बताते हैं, “हम फ्लाइट में सवार हुए और शाम 7 बजे तक वाराणसी पहुंच गए। हौसला बढ़ने के बाद, हम उस सुबह सपने में जैसे हाथ पकड़े घाटों पर भी चले गए।”  मां गीता के लिए यह अब कोई आश्चर्य की बात नहीं रही है, क्योंकि उनका विचित्र बेटा हमेशा अपनी मां के साथ दुनिया का पता लगाने के लिए ‘ऑन-द-स्पॉट’ निर्णय ही लेता है और फिर बैग पैक कर उसे उठा चल देता है।

Courtsey: Sarath Krishnan

30 साल की उम्र के सरथ बताते हैं कि अपनी माँ जिन्हें वह अम्मा भी कहते हैं कि, अम्मा के साथ कोई भी यात्रा स्वर्ग जैसा सुख की अनुभूति देती है। गीता भी इसे खूब पसंद करती हैं। अब साथ में, मां-बेटे की ये जोड़ी लगभग हर तीन महीने में एक बार यात्रा पर जरुर जाती है। वहीं 60 वर्षीय गीता याद करते हुए बताती है कि “पहली यात्रा मुंबई की थी जहां से ये नासिक, शिरडी और अजंता-एलोरा की गुफाएं गए थे। यात्रा में 11 दिन लगे।” गीता इसके बाद अपने बेटे के साथ दिल्ली, अमृतसर, वाघा बॉर्डर, तिब्बत, नेपाल और माउंट एवरेस्ट शिखर पर भी जा चुकी हैं! 

Courtsey: Sarath Krishnan

यूँ तो कारोबारी सरथ ने बहुत सी यात्राएं भी की हैं, लेकिन अब दोनों माँ-बेटे अपने काम के हिस्से के रूप में और दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए निकलते हैं। उन्होंने कहा, ”एक सुंदर दृश्य और नए अनुभवों की खुशी, मैं अपनी अम्मा के साथ साझा जरुर करना चाहता था और मैंने उससे पूछा कि क्या वह मेरे साथ आएंगी। अम्मा आध्यात्मिक व्यक्ति होने के कारण हमारे घर से बाहर नहीं निकलीं,  मुझे मजबूरन उसे अपने साथ आने के लिए बाध्य करना पड़ा लेकिन एक बार जब हम यात्रा शुरू करते हैं, तो फिर वह बेहद खुश रहती है जो मुझे बहुत अच्छा लगता है और एक सुखद अनुभूति देता है।”

Courtsey: Sarath Krishnan

इसपर गीता भी हंसते हुए बताती हैं कि, “मुझे नहीं पता था कि मैं इन सालों में क्या याद कर रही हूं। मैं 60 साल की हूं, अब मुझे डायबिटीज या मधुमेह की वजह से इस उम्र में दुनिया को देखने की कोई आशा नहीं थी। लेकिन अब मैं इससे बेहद खुश हूं और अपनी अगली यात्रा की योजना बना रही हूं। मेरी प्रार्थना है कि अब मेरे जीवन को किस्मत कुछ साल और आगे बढ़ा दे ताकि मैं बची हुई जगहों पर भी अपने बेटे के साथ जा सकूं।”

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यह तो साफ़ है कि सरथ अपनी अम्मा के साथ इन यात्राओं में कितनी सुखद अनुभूति प्राप्त कर रहे हैं। वह बहुत खुश हैं और अपनी माँ के साथ इन यात्राओं में वे एक तरह से अपना बचपन जी रहे हैं जो शायद हम सबके लिए एक सबक है कि, चाहे आप कितने भी सफल हों और धनी हों। लेकिन आपका असली धन तो आपके माता पिता हैं। फिर सरथ तो अपने इस मातृधन के साथ एक तरह से विश्वविजय पर निकले हैं। हमें ऐसे और ‘सरथ’ की जरुरत है अपने अन्दर के ‘सरथ’ को जगाने के लिए। धन्यवाद सरथ! आपका कोटि कोटि धन्यवाद!