Umar Khalid
File Photo : PTI

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नयी दिल्ली. शिक्षाविदों, नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने सोमवार को जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद के साथ एकजुटता दिखायी जिन्हें उत्तरपूर्व दिल्ली में दंगों में उनकी कथित भूमिका के लिए गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया है।

खालिद को दिल्ली पुलिस की विशेष इकाई ने रविवार रात में 11 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया। वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं खालिद के पिता डा. एस क्यू आर इलियास ने ट्वीट किया, ‘‘मेरे बेटे उमर खालिद को आज रात 11:00 बजे स्पेशल सेल, दिल्ली पुलिस ने यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया। पुलिस अपराह्न 1:00 बजे से उससे पूछताछ कर रही थी। उसे दिल्ली के दंगों में फंसाया गया है।” उनकी पार्टी द्वारा जारी एक बयान के अनुसार इलियास ने अपने बेटे की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की और कहा कि पुलिस ‘‘दिल्ली दंगों में उसे झूठे ही फंसा रही है।”

बयान में उनके हवाले कहा गया है कि खालिद ने “हमेशा संविधान को बरकरार रखा है और विवादास्पद सीएए कानून के खिलाफ एक मजबूत आवाज के रूप में उभरा है और उसका दृष्टिकोण हमेशा शांतिपूर्ण, अहिंसक और कानून के मापदंडों के भीतर रहा है।” उन्होंने दावा किया, “दिल्ली दंगों से उसे जोड़ना पूरी तरह से गढ़ा हुआ विमर्श है जिसे दिल्ली पुलिस द्वारा देश को गुमराह करने और असहमति की आवाज दबाने के लिए निर्मित किया गया है।”

बयान में कहा गया है, “डा. उमर खालिद के खिलाफ यूएपीए के विभिन्न धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया गया है और उन्हें दिल्ली दंगों में एक साजिशकर्ता बनाया गया है जबकि वास्तव में भड़काऊ भाषण देकर उकसाने वालों को छोड़ दिया गया है। उन्होंने नागरिकों का आह्वान किया कि वे उमर खालिद और उन सभी बेगुनाह कार्यकर्ताओं के साथ खड़ें हों जिन्हें दिल्ली दंगों में झूठे ही फंसाया गया है।”

खालिद की गिरफ्तारी के बाद “स्टैंडविदउमरखालिद” ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने हैशटैग ‘स्टैंडविदउमरखालिद’ का इस्तेमाल करते हुए ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री कहते हैं कि वह आलोचना का स्वागत करते हैं, लेकिन वह कीमत का उल्लेख करना भूल जाते हैं जो उन लोगों को चुकानी पड़ती है जो बोलते हैं।”

स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने ट्वीट किया, “यह जानकार हैरानी हुई कि आतंकवाद निरोधक कानून यूएपीए का उपयोग उमर खालिद जैसे युवा, सोच वाले आदर्शवादी को गिरफ्तार करने के लिए किया गया है जिन्होंने हमेशा किसी भी रूप में हिंसा और सांप्रदायिकता का विरोध किया है। वह निस्संदेह उन नेताओं में से हैं जिनकी भारत को जरूरत है। दिल्ली पुलिस भारत के भविष्य को लंबे समय तक नहीं रोक सकती।”

वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि खालिद की गिरफ्तारी ‘‘दिल्ली दंगों की जांच की प्रकृति की कुरूपता” को उजागर करती है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘येचुरी, योगेंद्र यादव, (शिक्षाविद) जयति घोष और अपूर्वानंद का नाम डालने के बाद दिल्ली पुलिस द्वारा उमर खालिद की गिरफ्तारी, दिल्ली दंगों में उसकी जांच की दुर्भावनापूर्ण प्रकृति के बारे में बिल्कुल भी संदेह नहीं छोड़ती।” सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने खालिद को एक ऐसा युवा बताया जिस पर देश को गर्व होना चाहिए और कहा कि उन्होंने हमेशा अहिंसा और गांधी की बात की।

सतीश देशपांडे, मैरी जॉन, अपूर्वानंद, नंदिनी सुंदर, शुद्धब्रत सेनगुप्ता, ए पटेल, मंदर, फराह नकवी और बी. पटनायक सहित शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह ने संयुक्त रूप से खालिद के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए एक बयान जारी किया।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने खालिद को मामले में “झूठे ही फंसाने” के लिए दिल्ली पुलिस पर निशाना साधा और सभी प्रगतिशील वर्गों से अपील की कि वे “एकजुट और जागरुक रहें और इस तरह के कायरतापूर्ण कृत्यों से विचलित नहीं हों।” जेएनयूएसयू ने दावा किया, “जेएनयूएसयू सामाजिक कार्यकर्ताओं को लगातार निशाना बनाने की निंदा करता है। हम दोहराते हैं कि ये सभी कार्रवाई सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ लोकतांत्रिक विरोध को अपराध की श्रेणी में लाने का एक तरीका है जो विभाजनकारी, भेदभावपूर्ण और सांप्रदायिक एजेंडा है।” (एजेंसी)