Video : Narendra Singh Tomar said on the farmers protest over new agriculture laws- only those who started the protest can tell when their protest would end
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नई दिल्ली: कृषि कानूनों (Agriculture Bill) को लेकर किसानों का आंदोलन (Farmer Protest) 61 वें दिन तक पहुंच आया है। समस्या का समाधान निकालने के लिए केंद्र सरकार (Central Government) और किसान संगठनों (Farmer Organizations) के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन उसमें कोई भी रास्ता नहीं निकला है। किसान जहां  ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) निकालने पर अड़े हुए हैं, वहीं सरकार अभी भी समाधान निकालने के लिए आश्वस्त है। सोमवार को मीडिया से बात करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomer) ने आशा जताते हुए कहा कि, “आने वाले कल में इसका समाधान निकल जाएगा और समाप्त होगा।”

सरकार किसान और कृषि के प्रति प्रतिबद्ध

कृषि मंत्री तोमर ने कहा, “सरकार किसान और कृषि दोनों के हितों के प्रति प्रतिबद्ध है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में विगत 6 वर्षों में किसान की आमदनी बढ़ाने, खेती को नई तकनीक से जोड़ने के लिए अनेक प्रकार की योजनाएं और प्रयास किए गए हैं। MSP को डेढ़ गुना करने का काम भी PM के नेतृत्व में हुआ।”

पीएम और सरकार की नियत साफ

कृषि मंत्री ने कहा, “किसान को उसके उत्पादन का सही दाम मिल सके, किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित हो सके इसलिए जहां कानून बनाने की आवश्यकता थी वहां कानून बनाए गए और जहां कानून में बदलाव की आवश्यकता थी वहां कानून में बदलाव भी किए गए। इसके पीछे  सरकार और प्रधानमंत्री की साफ नीयत है।”

सुप्रीम कोर्ट से करते अनुरोध

कृषि मंत्री ने आगे कहा, “किसानों के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद जब समाधान नहीं निकला तब मैंने किसान से कहा कि डेढ़ साल के लिए कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित कर देते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित किया है तो हम उनसे अनुरोध करेंगे कि थोड़ा और समय दें ताकि उस समय में हम लोग बातचीत के जरिए हल निकाल सकें।”

असहमति पर भी असहमति व्यक्त कर सकता है  

कृषि मंत्री ने कहा, “असहमति जताने पर कोई भी असहमति व्यक्त कर सकता है। जब हमने देखा कि कुछ किसान, हालांकि उनकी संख्य बहुत अधिक नहीं है, (खेत) कानूनों के खिलाफ विरोध कर रहे थे, हमने सोचा था कि हमें बातचीत के माध्यम से एक समाधान खोजना होगा, और हमें अभी भी उम्मीद है कि इस मुद्दे को हल किया जाएगा।”

किसी और दिन निकल सकती थी रैली

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “किसान 26 जनवरी के बजाय किसी और दिन चुन सकते थे, लेकिन उन्होंने अब घोषणा की है। बिना किसी दुर्घटना के शांतिपूर्ण ढंग से रैली आयोजित करना किसानों के साथ-साथ पुलिस प्रशासन के लिए भी चिंता का विषय होगा।”

हम ही किसान और हम ही जवान   

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता  राकेश टिकैत ने ट्रैक्टर रैली को लेकर कहा, “किसान ने तिरंगे को अपने खेत से जोड़ दिया है। सैनिक परेड निकालते हैं और किसान भी परेड निकालेगा। हम ही किसान है और हम ही जवान है। ट्रैक्टर परेड में हमारा हर आदमी पूरी तरह से सैनिक का काम करेगा। हमारी दिल्ली पुलिस से कोई हार जीत नहीं है।”