AIPEF supported the farmers' movement, demanded the Center to repeal new agricultural laws

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नई दिल्ली. ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने बृहस्पतिवार को किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया और केंद्र सरकार से हाल में बनाये गये कृषि कानूनों को उद्द करने की मांग की। महासंघ के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने एक बयान में कहा, ‘‘एआईपीईएफ पूरी तरह से किसानों के संघर्ष का समर्थन करता है और केंद्र सरकार से आग्रह करता है कि वह संसद में हाल ही में पारित किए गए कृषि कानूनों को रद्द करे तथा विद्युत संशोधन विधेयक, 2020 और मानक बोली दस्तावेज को हटाकर किसानों की बिजली सब्सिडी की संरक्षा करे।”

उन्होंने कहा कि किसानों का संघर्ष केंद्र सरकार की आर्थिक नीति के खिलाफ है, जो किसानों के बजाय निगमित घरानों और उद्योग जगत के नेतृत्वकारी लोगों को अपने व्यापारिक कारोबार और लाभ को अधिकतम करने के लिए है। एआईपीईएफ के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने बयान में कहा कि देश के बिजली इंजीनियरों ने बिजली दरों में सब्सिडी को खत्म करने और विशेष रूप से किसानों को दी जा रही वर्तमान बिजली सब्सिडी को खत्म करने वाले प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया गया था।

बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) की प्रक्रिया प्रस्तावित की है, जो किसानों को मुफ्त बिजली सब्सिडी छीनने के समान है। इसमें कहा गया है कि डीबीटी के प्रस्ताव से उन किसानों को भारी आर्थिक कठिनाई होगी, जिन्हें डिस्कॉम को अपने नलकूपों के बिजली बिलों का भुगतान करना होगा, जबकि राज्य सरकार द्वारा डीबीटी भुगतान उसी अनुपात में किया जायेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है।

विद्युत संशोधन विधेयक, 2020 को वापस लेना चाहिए। गुप्ता ने आगे कहा कि आर्थिक सुधारों के नाम पर खेती के कानूनों को लागू करने का कदम वास्तव में कॉर्पोरेटों को भारी व्यापारिक लाभ देगा और उन किसानों को आर्थिक रूप से नष्ट कर देगा जो खाद्यान्न आदि के विपणन से प्राप्त किये जा सकने वाली आय से वंचित हैं। बयान में कहा गया है कि कॉरपोरेट्स को लाभ पहुंचाने के लिए एनडीए सरकार की नीति न केवल कृषि गतिविधियों को नष्ट कर देगी, बल्कि यह राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा से भी समझौता होगा।(एजेंसी)