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नयी दिल्ली. केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कामकाज के बदलते परिवेश में श्रम कानूनों में संशोधन को जरूरी बताते हुए मंगलवार को कहा कि सरकार की तरफ से लाए गए विधेयकों से श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

लोकसभा में मंगलवार को उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता 2020, औद्योगिक संबंध संहिता 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 को चर्चा एवं पारित कराने के लिए रखते हुए गंगवार ने कहा कि किसी भी व्यवस्था को समय के साथ गतिशील एवं परिवर्तनशीन नहीं रखा गया तो वह बदलते परिवेश में निष्प्रभावी हो सकती है।

इसी सिद्धांत को लेकर श्रम कानूनों में संशोधन किया जा रहा है। किसानों के मुद्दे पर कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों द्वारा सदन की कार्यवाही के बहिष्कार के बीच उक्त विधेयकों पर चर्चा शुरू हुई।

विधेयक रखते हुए गंगवार ने कहा कि कई ऐसे कानून थे जो 50 साल पुराने हो गए थे, उनमें बदलाव की जरूरत थी। नए संशोधनों से श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

मंत्री ने कहा कि आजाद भारत के 73 वर्षों की यात्रा में आज के समय में कामकाज के वातावरण में अप्रत्याशित परिवर्तन हो गया है। बदले हुए कार्य जगत में दुनिया के कई देशों ने श्रम कानूनों में बदलाव किया है। अगर हम श्रम कानूनों में समय रहते बदलाव नहीं करते हैं तो श्रमिकों के कल्याण और विकास के उद्देश्य को पूरा नहीं कर पाएंगे।

उन्होंने सदस्यों से इन संहिताओं को पारित कराने की अपील करते हुए कहा कि जरूरी सेवाओं से जुड़े श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया गया है।

गंगवार ने कहा कि 44 कानूनों के संबंध में चार श्रम संहिता बनाने की प्रक्रिया में बहुत व्यापक स्तर पर चर्चा की गई। निचले सदन में चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के पल्लब लोचन दास ने कहा कि इन विधेयकों के रूप में इतिहास बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि इतने कानून रहने के बाद भी श्रमिकों की गरिमा को उस स्तर पर नहीं रखा जा सका जिस स्तर पर होनी चाहिए थी। इसलिए इन संहिताओं की जरूरत थी।

दास ने कहा कि इन नए संशोधनों से श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि पहली बार व्यवस्था लाई गई कि नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारियों की स्वास्थ्य जांच कराई जाएगी। चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा ने कहा कि यह असाधारण विधायी कामकाज है।

इस तरह की कवायद पहले संसद में नहीं हुई जहां चार संहिताओं में कई कानूनों को रखा गया है। उन्होंने कहा कि संहिताओं में प्रवासी श्रमिकों को लेकर महत्वपूर्ण प्रावधान हैं लेकिन ट्रेड यूनियन, हड़ताल आदि को लेकर कुछ प्रावधानों को कमजोर किया गया है।

मिश्रा ने कहा, ‘‘सरकार का इरादा नेक है, लेकिन उसे आगे कुछ मुद्दों पर ध्यान देना होगा।” वाईएसआरसीपी के मरगनी भरत ने कहा कि सेवानिवृत्त बैंक कर्मचारियों का भी ध्यान रखा जाए।

भाजपा के डॉ वीरेंद्र कुमार ने कहा कि इन केंद्रीय श्रम अधिनियमों में समय के साथ मूलभूत परिवर्तन करने की कांग्रेस नीत सरकारों की इच्छाशक्ति नहीं होने के कारण देश को क्षति उठानी पड़ी। अब केंद्र सरकार ने क्रांतिकारी पहल की है।

उन्होंने कहा कि जब से यह बात सामने आई कि सरकार श्रम संहिताओं को समाहित करने जा रही है तो विपक्ष के लोग सक्रिय हो गये और उपहास करने लगे। (एजेंसी)