नयी दिल्ली. जहाँ एक तरफ केंद्र केंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसान संगठनों ने आज प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं अब इन संगठनों के प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर (Delhi-Haryana Border) पर फिलहाल सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और ड्रोन (Drone) के जरिए नजर रखी जा रही है। इसके साथ ही हरियाणा (Haryana) में भी कई जगह पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इन्तेजाम किये हैं और किसानों को रोकने का इंतजाम भी किया गया है।
#WATCH | Security personnel use fire tear gas shells to disperse a crowd of farmers gathered at the Shambhu border between Haryana and Punjab, to protest the farm laws pic.twitter.com/11NfwLcEQZ
— ANI (@ANI) November 26, 2020
Heavy security deployment at Singhu border (Delhi-Haryana border) in view of farmers’ ‘Delhi Chalo’ call pic.twitter.com/E0hWSicuk9
— ANI (@ANI) November 26, 2020
#WATCH Drone camera deployed for security surveillance at Delhi-Faridabad (Haryana) border, in view of farmers’ ‘Delhi Chalo’ protest march pic.twitter.com/gfoCTinFIe
— ANI (@ANI) November 26, 2020
बंगाल में भी विरोध प्रदर्शन:
गौरतलब है कि बंगाल में भी आज लेफ्ट यूनियनों ने किसानों के समर्थन में अपना विरोध प्रदर्शन किया है। इसके साथ ही इन लोगों ने नए कृषि कानूनों का खुलकर विरोध किया। कोलकाता, नॉर्थ 24 परगना में लेफ्ट ट्रेड यूनियन के कार्यकर्ताओं ने आज रेलवे ट्रैक को ब्लॉक किया और नारेबाजी की। कहा जा रहा है कि यह प्रदर्शन केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ है, साथ ही किसानों के पक्ष में भी है।
West Bengal: Members of Communist Party of India (Marxist–Leninist) Liberation, CPI(M) and Congress block railway track in Jadavpur as trade unions observe nationwide strike against new labour policies introduced by the Centre pic.twitter.com/h37MVHSuYI
— ANI (@ANI) November 26, 2020
दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर भारी सुरक्षाबल:
इसके अलावा दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर भारी सुरक्षाबल तैनात है। यहां पर ड्रोन कैमरे से भी प्रदर्शन पर नजर रखी जा रही है। हरियाणा में भी करनाल के पास पुलिस ने बैरिकेडिंग की है। इनका मुख्य उद्देश्य किसानों को रोकना है।
Haryana: Heavy security deployed on Delhi-Jammu highway near Karna Lake in Karnal, in view of farmer’s protest march to Delhi
A commuter says, ” The highway has been blocked since late last night. Many vehicles are stuck here.” pic.twitter.com/OkFKHXAi2o
— ANI (@ANI) November 26, 2020
दिल्ली में किसानों के प्रदर्शन के कारण बड़ी भीड़:
इधर दिल्ली में किसानों के प्रदर्शन के कारण बड़ी भीड़ जुट रही है और कोरोना का खतरा भी है। इसके बचाव के लिए आज दिल्ली मेट्रो ने अपनी सर्विस में कुछ बदलाव किये हैं। आज दोपहर दो बजे तक दिल्ली से गुरुग्राम, नोएडा की सर्विस नहीं चलेगी। इसके अलावा और भी अन्य मार्गों पर आह मेट्रो बंद है, जिसकी जानकारी दी गई है। इसके अलावा पंजाब के करीब 30 किसान संगठनों ने भी आज दिल्ली में महाधरने की बात की है। हालाँकि हरियाणा, पंजाब बॉर्डर से बीते बुधवार को ही किसानों ने दिल्ली कूच किया था। इन किसानों का कहना है कि, वो केंद्र द्वारा लाए गए कानूनों के सख्त खिलाफ हैं, और वे एक महीने के राशन के साथ आए हैं। इतना ही नहीं किसानों ने अपने प्रदर्शन में नारा दिया है, ‘घेरा डालो, डेरा डालो’।
#WATCH | Protestors pelt stones at the Shambhu border (Punjab-Haryana border) pic.twitter.com/nRs0fyFd01
— ANI (@ANI) November 26, 2020
Delhi: Heavy deployment of police personnel on the Singhu border (Delhi-Haryana border) in the anticipation of farmer’s ‘Delhi-Chalo’ protests. Police also use drones to monitor situation pic.twitter.com/ev8Q2pDln7
— ANI (@ANI) November 26, 2020
#WATCH Police use water cannon to disperse farmers gathered at Shambhu border, near Ambala (Haryana), to proceed to Delhi to stage a demonstration against the farm laws pic.twitter.com/U1uXO0MdOs
— ANI (@ANI) November 26, 2020
क्या है नए कृषि कानून:
संसद ने किसानों के लिए 3 नए कानून बनाए हैं:
पहला है ”कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020” : इसमें सरकार कह रही है कि वह किसानों की उपज को बेचने के लिए विकल्प को बढ़ाना चाहती है। किसान इस कानून के जरिये अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे। निजी खरीदारों से बेहतर दाम प्राप्त कर पाएंगे। हालाँकि इसके जरिये बड़े कॉरपोरेट खरीदारों को खुली छूट दी गई है। बिना किसी पंजीकरण और बिना किसी कानून के दायरे में आए हुए वे किसानों की उपज खरीद-बेच सकते हैं।
दूसरा कानून है- ”कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, 2020”: इस कानून के संदर्भ में सरकार का कहना है कि वह किसानों और निजी कंपनियों के बीच में समझौते वाली खेती का रास्ता खोल रही है। इसे सामान्य भाषा में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कहते है। इसमें किसान की जमीन को एक निश्चित राशि पर एक पूंजीपति या ठेकेदार किराये पर लेगा और अपने हिसाब से फसल का उत्पादन कर बाजार में बेचेगा।इससे उम्मीद जताई जारही है कि किसानों की आय बढ़ेगी।
तीसरा कानून है ”आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक, 2020”: इस कानून के तहत अब कृषि उपज जुटाने की कोई सीमा नहीं होगी। उपज जमा करने के लिए निजी निवेश को छूट होगी। सरकार ने इस कानून में साफ लिखा है कि है कि वह सिर्फ युद्ध या भुखमरी या किसी बहुत विषम परिस्थिति में ही इसे रेगुलेट करेगी। इसमें राष्ट्रीय आपदा, सूखा पड़ जाना शामिल है। प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी। उत्पादन स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा।
क्या हैं विरोध के कारण:
लेकिन तस्वीर का दूसरा रुख भी है। अब इस कानून के कारण किसानों में इस बात का बड़ा डर बैठ गया है कि APMC मंडिया ख़त्म हो जाएंगी। चूँकि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में कहा गया है कि किसान APMC मंडियों के बाहर बिना टैक्स का भुगतान किए किसी को भी बेच सकता है। लेकिन अभी भी कई राज्यों में इस पर टैक्स का भुगतान करना होता है। इस बात का डर किसानों को सता रहा है कि बिना किसी अन्य भुगतान के अगर कारोबार होगा तो कोई भी कहारिदार मंडी में नहीं आएगा।
इसके साथ इन किसानों को इस बात का भी डर है कि सरकार MSP पर फसलों की खरीद अब बंद कर देगी। हालाँकि यहाँ यह भी बताना जरुरी है कि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में ऐसा कोई भी जिक्र नहीं किया गया है कि फसलों की खरीद MSP से नीचे के भाव पर नहीं होगी।
क्या होता है APMC ?
गौरतलब है कि साल 1970 में एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग (रेगुलेशन) ऐक्ट ( APMC ऐक्ट) के अंतर्गत कृषि विपणन समितियां बनी थीं। इसे ही APMC कहा जाता है। इन समितियों का मकसद बाजार की अनिश्चितताओं से किसानों की रक्षा करना था।