मुंबई: रिपब्लिक टीवी (Republic TV) के एडिटर-इन चीफ अर्नब गोस्वामी (Arnab Goswami) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) से अंतरिम बेल मिलने के बाद बुधवार को उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया है। अर्नब तलोजा जेल में बंद थे। जेल से रिहाई के बाद अर्नब के चेहरे पर मुस्कान दिखाई दी। घर जाते समय अर्नब ने अपनी कार के सन रूफ से बहार आ कर ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम के नारे लगाए’ और अपनी रिहाई को भारत के लोगों की जीत बताया।
#WATCH Republic TV Editor Arnab Goswami released from Mumbai’s Taloja Jail following Supreme Court order granting interim bail pic.twitter.com/YzGfIm3wGo
— ANI (@ANI) November 11, 2020
दरअसल, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों को 50,000 रुपये के बांड पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। इसी के साथ आदेश का पालन तुरंत सुनिश्चित करने के लिए पुलिस को निर्देश भी दिया गया था जिसके बाद बुधवार को ही अर्नब को जेल से रिहा कर दिया गया। करीब हफ्ते भर पहले उन्हें पुलिस ने उनके घर से गिरफ्तार किया था।
इन शर्तों पर मिली ज़मानत
कोर्ट ने अर्नब और अन्य आरोपियों को पुलिस की मामले में जांच में सहयोग करने और सबूतों से छेड़छाड़ न करने का आदेश दिया है। अदालत ने 2018 के अन्वय नाइक आत्महत्या मामले में बुधवार को अर्नब सहित दो अन्य लोगों को अंतरिम जमानत दी है।
कोर्ट ने उद्धव सरकार से पूछा सवाल
न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि क्या गोस्वामी को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की कोई जरूरत थी क्योंकि यह व्यक्तिगत आजादी से संबंधित मामला है। पीठ ने टिप्पणी की कि भारतीय लोकतंत्र में असाधारण सहनशक्ति है और महाराष्ट्र सरकार को इन सबको नज़रअंदाज़ करना चाहिए। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने आगे कहा, ‘‘उनकी जो भी विचारधारा हो, कम से कम मैं तो उनका चैनल नहीं देखता लेकिन अगर सांविधानिक न्यायालय आज इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा तो हम निर्विवाद रूप से बर्बादी की ओर बढ़ रहे होंगे.” पीठ ने कहा कि सवाल यह है कि क्या आप इन आरोपों के कारण व्यक्ति को उसकी व्यक्तिगत आजादी से वंचित कर देंगे.
अगर सुप्रीम कोर्ट इस तरह के मामलों में कार्यवाही नहीं करेंगे तो व्यक्तिगत स्वतंत्रता पूरी तरह नष्ट हो जाएगी
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, अगर कोई किसी के पैसे नहीं देता है तो क्या ये आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला है? अगर सुप्रीम कोर्ट इस तरह के मामलों में कार्यवाही नहीं करेंगे तो व्यक्तिगत स्वतंत्रता पूरी तरह नष्ट हो जाएगी। हम इसे लेकर बहुत ज्यादा चिंतित हैं। इस तरह के मामलों में कार्रवाई नहीं करेंगे तो यह बहुत ही परेशानी वाली बात होगी।