नई दिल्ली, नागरिकता संशोधन कानून(CAA) का विरोध थमते नहीं दिख रहा है। अब कॉलेज के छात्रों, राजनीतिक दलों के बाद लेखक और बुद्धजीवी वर्ग भी अपनी आव्वज बुलंद कर रहे है। ताजा प्रकरण लेखिका और सामाजिक
नई दिल्ली, नागरिकता संशोधन कानून(CAA) का विरोध थमते नहीं दिख रहा है। अब कॉलेज के छात्रों, राजनीतिक दलों के बाद लेखक और बुद्धजीवी वर्ग भी अपनी आव्वज बुलंद कर रहे है। ताजा प्रकरण लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय का है जिन्होंने बुधवार को केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार डिटेंशन सेंटर के मुद्दे पर जनता से साफ़ झूठ बोल रही है। अरुंधति रॉय दिल्ली यूनिवर्सिटी में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में जमा हुए कई यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ उपस्तिथि दर्ज करने पहुंची थी। उनके साथ फिल्म अभिनेता जीशान अय्यूब और अर्थशास्त्री अरुण कुमार भी थे।
अरुंधति रॉय ने तल्ख़ आवाज़ में कहा कि सरकार "एनआरसी और डिटेंशन कैंप के पर सरकार झूठ बोल रही है। हमारे प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर देश को गलत तथ्य दिए हैं। वही अगर युवा छात्र वर्ग इस पर आवाज़ बुलंद करे तो वह अर्बन नक्सल करार दिया जाता है"। नागरिक जनसंख्या रजिस्टर (NPR) पर भी उन्होंने आरोप लगाया की एनपीआर भी एनआरसी का ही एक हिस्सा है। उन्होंने छात्रों से कहा कि जब एनपीआर के लिए सरकारी लोग आपके घर पहुंचे तो उन्हें अपना नाम रंगा बिल्ला बताएं और पते के स्थान पर प्रधानमंत्री के आवास का पता दें। उन्होंने ये भी जोर देकर कहा की जब भी कभी नॉर्थ ईस्ट में बाढ़ आती होगी यो वहां लोग अपने ने बच्चों को बचाने से पहले अपने नागरिकता के साथ दस्तावेजों को सुरक्षित करते हैं वरना उसका तो यहां रहना भी मुश्किल होगा।
उनकी इस बात से बीजेपी की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने उन्हें विकृत मानसिकता वाली महिला करार दिया। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, ‘यहां जब मैं टीवी देख रही थी तो हमारे देश की एक बद्धजिवी औऱ सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री अरुंधती रॉय के हवाले से मैंने एक बयान देखा जिसमें उन्होंने एनपीआर के पहचान के समय पर रंगा-बिल्ला जैसे नामों को भी बताए जाने का सुझाव दिया। सुश्री अरुंधती रॉय जैसे पढ़े लिखे वर्ग की महिला के दिमाग में सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद एवं अशफाकुल्लाह खां का नाम नहीं आया, रंगा-बिल्ला का नाम आया।’
4. यहाँ जब मैं टीवी देख रही थी तो हमारे देश की एक सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री अरुंधती रॉय के हवाले से मैंने एक बयान देखा जिसमें उन्होंने एनपीआर के पहचान के समय पर रंगा-बिल्ला जैसे नामों को भी बताए जाने का सुझाव दिया।
— Uma Bharti (@umasribharti) December 25, 2019
5. सुश्री अरुंधती रॉय जैसे पढ़े लिखे वर्ग की महिला के दिमाग़ में सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद एवं अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ का नाम नहीं आया, रंगा-बिल्ला का नाम आया।
— Uma Bharti (@umasribharti) December 25, 2019
6. रंगा-बिल्ला वो धृणित अपराधी थे जिन्होंने स्कूल की छात्रा के साथ दुराचरण कर के उसकी हत्या की तथा उसको बचाने की कोशिश में लगे उसके भाई की भी हत्या कर दी। देशवासियों को याद आ जाएगा कि वह कितना धृणित एवं जघन्यतम कृत्य था।
— Uma Bharti (@umasribharti) December 25, 2019
7. मैं शर्मिंदा हूँ कि मुझे इस महिला के नाम का ज़िक्र करना पड़ रहा है, जिसके दिमाग़ में रंगा-बिल्ला जैसे लोग भी आदर्श हो सकते हैं। यह विचार महिला विरोधी, मानवता विरोधी एवं बेहद घृणित एवं विकृत मानसिकता की पहचान है।
— Uma Bharti (@umasribharti) December 25, 2019
8. ऐसे तथाकथित बुद्धिजीवी सिर्फ़ घृणा एवं निंदा के पात्र हैं। ऐसी सोच का तथा ऐसे लोगों का पूर्णतः बहिष्कार होना चाहिए।
— Uma Bharti (@umasribharti) December 25, 2019
आपको बता दें की रंगा बिल्ले दो बड़े कुख़्यात अपराधी थे जिन्होंने 70 के दशक में एक नाबालिग लड़की और उसके भाई का अपहरण किया था। इन्होंने बाद में इस लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर दोनों भाई-बहन की हत्या कर दी थी। इन दोनों अपराधियों को बाद में फांसी की सजा दी गयी थी।