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    नयी दिल्ली/अयोध्या. जहाँ एक तरफ अयोध्या (Ayodhya) में भगवान् राम के मंदिर (Ram Mandir Construction) का निर्माण अब बस शुरू होकर पहले गियर पर ही है। वहीं अयोध्या में मंदिर के लिए जमीन खरीद मामले में उठ रहे विवाद के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर प्रोजेक्ट की कमान अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपने हाथों में ले ली है। अब तक संघ के सरकार्यवाह रहे भैयाजी जोशी (Bhaiyaji Joshi) इस वृहद मंदिर परियोजना के एक अहम केयरटेकर की भूमिका निभाएंगे। यानी अब यह पूरा प्रोजेक्ट भैयाजी जोशी की चौंकन्नी आँखों की देखरेख में चलेगा। सूत्रों के अनुसार इस बाबत संघ में अनौपचारिक तौर पर यह निर्णय ले लिया है।

    गौरतलब है कि औपचारिक तौर पर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम वैसे तो रामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट देख रहा है, जिसके सचिव चंपत राय हैं। बता दें राय को विश्व हिन्दू परिषद से ट्रस्ट में मनोनीत किया गया है। ख़बरों की मानें तो अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए अभी तक 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम इकट्ठा हुई हैं, लेकिन यह भी कयास हैं कि पूरी अयोध्या को ही विकसित करने हेतु इस प्रोजेक्ट पर अब करीब  10,000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगें।

    संघ की चाहत मंदिर निर्माण का प्रोजेक्ट हो संदेह से परे:

    कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कि संघ ने दरअसल भैयाजी जोशी को यह ज़िम्मेदारी मंदिर के लिए जमीन खरीद से जुड़ी अनियमितताओं की आ रही ख़बरों के चलते सौंपी है। हालांकि, दूसरी तरफ संघ के शीर्ष नेतृत्व का इस बात पर भी यकीन है कि ज़मीन खरीद में कोई ऐसा कोई घोटाला नहीं हुआ है, लेकिन इस तरह की खबरें और आरोप से अब RSS भी चिंतित है और चाहता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के मंदिर निर्माण से जुड़ी इस महान परियोजना में आमजन को किसी तरह का कोई संदेह न रहे।

    ‘आप’ नेता और सांसद संजय सिंह ने लगाए थे घोटाले के बड़े आरोप:

    बता दें कि बीते कुछ दिनों पहले आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह ने यह सनसनीखेज आरोप लगाया था कि राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट ने 2 करोड़ रूपए की ज़मीन को 18 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत देकर खरीदी है। इसके अलावा कई दूसरे प्लॉट्स की खरीद में ऐसे ही बड़ी अनियमितताओं के आरोप कुछ और लोगों ने भी लगाए हैं।

    UP विधानसभा चुनाव और उस पर पर RSS की नजर:

    इधर कुछ बड़े राजनीतिक पंडितों का मामना है कि दरअसल यहाँ मुद्दा अकेले राम मंदिर या अयोध्या का नहीं है  वरन संघ की बड़ी नजर तो आने वाले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर भी है। पता हो कि अगले साल फरवरी 2021 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर उत्तरप्रदेश में BJP की स्थिति मजबूत नहीं बताई जाती। इसके साथ ही सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच चल रही तनातनी भी तो किसी से छिपी नही है। इसका असर BJP के दलित वोट बैंक पर भी पड़ सकता है इस बात से भी अब इनकार नहीं किया जा सकता।

    इन सब बातों को ध्यान रखते हुए अब संघ के नए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले अब आगे से लखनऊ में ही रहेंगें। लेकिन यह भी दिलचस्प है कि ऐसा अब पहली बार होगा कि जब संघ के दो बड़े कद्दावर नेता भैयाजी जोशी और दत्तात्रेय होसबोले एक साथ उत्तर प्रदेश प्रवास में रहेंगे। इससे साफ़ साबित होता है कि संघ आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी जीत के लिए किसी तरह की कोई भी गुंजाइश खाली छोड़ना नहीं चाहता। फिर साल 2025 में संघ का शताब्दी वर्ष भी रहने वाला है। 

    लिहाजा इन सब बातों को ध्यान रखकर संघ ने कुछ जरुरी फैसले किये हैं:

    • सरकार्यवाह रहे भैयाजी जोशी अयोध्या में मंदिर निर्माण प्रोजेक्ट के केयरटेकर होंगें और वे इस प्रोजेक्ट पर अब अपनी पूरी नज़र रखेंगें।
    • अयोध्या को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर का पर्यटन स्थल बनाना है,जो कि वेटिकन और मक्का की राह पर होगा, यानी हिन्दुओं का एक बड़ा धार्मिक स्थल।
    • पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 10,000 करोड़ रूपए खर्च होने का अनुमान है, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ही राम मंदिर निर्माण करने की योजना।
    • विधानसभा चुनाव के चलते अब संघ के दो बड़े नेता भैयाजी जोशी और दत्तात्रेय होसबोले पहली बार एक साथ UP में रहेंगें मौजूद।

    संघ 2024 से पहले चाहता है राम मंदिर :

    अगर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो राम मंदिर निर्माण संघ का का प्रमुख एजेंडाहै। बता दें कि अस्सी के दशक में संघ प्रमुख बालासाहब देवरस ने BJP को इसे राजनीतिक आंदोलन में बदलने की बड़ीसलाह दी थी। जिसके चलते  BJP ने पालमपुर में मंदिर निर्माण का प्रस्ताव पारित कर इसमें एक बड़ी ही सक्रिय भूमिका निभाने का फैसला किया। इसके बाद लालकृष्ण आडवाणी ने इस मुद्दे को लेकर साल 1990 में राम रथयात्रा निकालकर इस आंदोलन को एक बड़ा और व्यापक रूप दिया।

    हालाँकि अयोध्या में बीते 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने के बाद से ही लोगों द्वारा बार-बार संघ और BJP से मंदिर निर्माण की तारीख को लेकर अनेकों सवाल किए जाते रहे। इसके बाद नवम्बर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के दिए एक अहम् फ़ैसले के बाद बीते साल अगस्त में राम मंदिर निर्माण का काम शुरु हुआ। अब संघ इस काम को तेजी से पूरा करने की इच्छा रखता है और उसे इस बात की भी उम्मीद है कि साल 2024 के आम चुनाव से पहले मंदिर निर्माण का एक बड़ा हिस्सा पूरा हो चूका होगा जाएगा और जिसका बड़ा फायदा BJP को तबके चुनावों में मिलने की भी उम्मीद है। इस प्रकार संघ ने अगले साल होने वाले UP विधानसभा चुनाव और साल 2024 के चुनावों को देखते हुए उपरोक्त सारे फैसले लिए हैं।

    अयोध्या बनेगा इंटरनेशनल टूरिस्ट डेस्टिनेशन : 

    अब संघ की यह भी इच्छा है कि भगवान् राम की नगरी अयोध्या को एक बड़े अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटन स्थल के रूप में तैयार किया जावे। अभी हाल में मंदिर विजन प्रोजेक्ट की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसी प्रकार की उम्मीद जताई थी कि पूरी अयोध्या को इस तरह से तैयार किया जाए कि हर हिन्दू जीवन में एक बार जरूर यहां आना चाहे। फिर खुद प्रधानमंत्री मोदी भी अब इस प्रोजेक्ट पर करीबी नजर रखे हुए हैं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के सबसे विश्वस्त अधिकारी रहे नृपेन्द्र मिश्र खुद इस ट्रस्ट के मुखिया हैं। इसके माने यह हुए कि प्रधानमंत्री मोदी भी राम मंदिर निर्माण पर अपनी चौंकन्नी निगाह रख रहे हैं।

    वेटिकन और मक्का की तर्ज पर अयोध्या बनेगा  हिंदू महातीर्थस्थल : 

    इधर संघ के आजीवन पदमुक्त स्वयंसेवक दिलीप देवधर कहते हैं कि, जैसा ईसाइयों के पवित्र शहर वेटिकन और मुसलमानों के लिए मक्का मदीना है ठीक उसी प्रकार हिंदू तीर्थस्थल के तौर पर अब अयोध्या को भी विकसित करने की योजना है। इसके साथ ही इसका असल और मुख्य मकसद देश के पर्यटन में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी निभाने और GDP में योगदान देने लायक इस तैयार करना भी है। हालाँकि वे खुद भी अयोध्या में जमीन खरीद में किसी तरह की अनियमितता से साफ इनकार करते हैं।

    इसके साथ ही देवधर का मानना है कि अमेरिका की स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी की तरह गुजरात में भी सरदार पटेल की मूर्ति स्टेच्यू ऑफ यूनिटी बहुत ही कम समय में तैयार की गई। इसी तर्ज पर अब दिल्ली में सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट भी हमारे नए हिन्दुस्तान की राजधानी के तौर पर विकसित करने की योजना का हिस्सा है। 

    देखा जाए तो अयोध्या विजन प्रोजेक्ट के 3 प्रमुख हिस्से हैं :

    • सनातन धर्म की रूपरेखा पर अयोध्या को आध्यात्मिक नगर बनाना।
    • अयोध्या को एक सर्व समावेशी वैश्विक पर्यटन स्थल (इंटरनेशनल टूरिस्ट डेस्टिनेशन) की तर्ज पर विकसित करना।
    • अयोध्या विकास क्षेत्र को एक सस्टेनेबल नगर के तौर पर भी विकसित करना।

    एयरपोर्ट लेकर सरयू तट तक को विकसित करने का बड़ा मास्टर प्लान :

    गौरतलब है कि अयोध्या में सरयू तट को विकसित करने के साथ बेहतर ट्रैफिक अरेंजमेंट और चौड़ी सड़कों का निर्माण का काम भी जोर शोरों से जारी है। इसके साथ ही देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए उनके अनुरूप एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने का काम भी शुरु हो चूका है। बताया जा रहा है कि अयोध्या के एयरपोर्ट पर 72 विमान उतरने का वुँपक इंतजाम होगा। इसके साथ ही शहर की ग्रीनफील्ड टाउनशिप में मठ, आश्रम, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय भवन भी होंगें। इसके साथ ही अयोध्या के प्रवेश पर एक बड़ा ही भव्य मेनगेट बनेगा, इस भव्य द्वार में राम मंदिर की झलक होगी। इस प्रकार देखा जाए तो अयोध्या और राम मंदिर निर्माण एक तरीके से एक वृहद स्तर पर होने वाला है और साथ ही संघ और BJP के राजनीतिक हितों को भी साधने वाला है।