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नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने आज यानी शुक्रवार को कहा कि आयुर्वेद भारत की विरासत है जिसके विस्तार में पूरी मानवता की भलाई समाई हुई है। उन्होंने कहा कि कोरोना (Corona) के संक्रमण से भारत आज संभली हुई स्थिति में है तो इसमें पारम्परिक चिकित्सा पद्धति का बहुत बड़ा योगदान है जो आज अन्य देशों को भी समृद्ध कर रहा है। प्रधानमंत्री ने पांचवें आयुर्वेद दिवस पर आयुर्वेद संस्थानों, जामनगर के आयुर्वेद अध्यापन एवं अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए) और जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) को राष्ट्र को समर्पित करने के बाद अपने संबोधन में ये बातें कही।

उन्होंने कहा, ‘‘आयुर्वेद भारत की एक विरासत है, जिसके विस्तार में पूरी मानवता की भलाई है। यह देख कर किस भारतीय को खुशी नहीं होगी कि हमारा पारंपरिक ज्ञान अब अन्य देशों को भी समृद्ध कर रहा है। आज ब्राजील की राष्ट्रीय नीति में आयुर्वेद शामिल है। भारत-अमेरिका संबंध हों या भारत-जर्मनी रिश्ते हों, आयुष और पारंपरिक चिकित्सा पद्धति से जुड़ा सहयोग निरंतर बढ़ रहा है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना से मुकाबले के लिए जब कोई प्रभावी तरीका नहीं था तो भारत के घर-घर में हल्दी, काढ़ा, दूध जैसे अनेक इंम्यूनिटी बूस्टर उपाय बहुत काम आये। उन्होंने कहा, ‘‘इतनी बड़ी जनसंख्या वाला हमारा देश अगर आज संभली हुई स्थिति में है तो उसमें हमारी इस परंपरा का बहुत बड़ा योगदान है।”

मोदी ने कहा कि कोरोना काल में पूरी दुनिया में आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है और बीते साल की तुलना में इस साल सितंबर में आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्यात करीब डेढ गुना बढ़ा है। उन्होंने कहा कि मसालों के निर्यात में भी इस दौरान काफी बढ़ोतरी दर्ज हुई हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘बीते साल की अपेक्षा इस साल सितंबर में आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्यात लगभग डेढ़ गुना बढ़ा है। यही नहीं मसालों के निर्यात में भी काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह दर्शाता है कि दुनिया में आयुर्वेदिक समाधान और भारतीय मसालों पर विश्वास बढ़ रहा है। अब तो कई देशों में हल्दी से जुड़े विशेष पेय पदार्थों का भी प्रचलन बढ़ रहा है। दुनिया के प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल भी आयुर्वेद में नई आशा और उम्मीद देख रहे हैं।” उन्होंने कहा कि भारत के पास आरोग्य से जुड़ी कितनी बड़ी विरासत है लेकिन ये ज्ञान ज्यादातर किताबों में, शास्त्रों में और थोड़ा-बहुत दादी-नानी के नुस्खों तक सीमित रहा।

उन्होंने कहा, ‘‘इस ज्ञान को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार विकसित किया जाना आवश्यक है।” जामनगर के आयुर्वेद अध्यापन एवं अनुसंधान संस्थान को संसद के कानून के माध्यम से राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (आईएनआई) का दर्जा प्रदान किया गया है जबकि जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को विश्वविालय अनुदान आयोग द्वारा मानद विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया है। आयुष मंत्रालय 2016 से ही धन्वंतरि जयंती के मौके पर हर साल आयुर्वेद दिवस मनाता आ रहा है।