Bengaluru Violence: Will Yeddyurappa, like Yogi, be harsh

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बेंगलुरू. कांग्रेस विधायक के एक कथित रिश्तेदार द्वारा सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किये जाने के बाद हुई हिंसा को काबू करने के लिए पुलिस की गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई। बेंगलुरू के पुलिस आयुक्त कमल पंत ने बताया कि, ‘‘ पुलिस की गोलीबारी में तीन लोग मारे गए।” उन्होंने यह भी कहा  कि बेंगलुरू के पुलाकेशी नगर में हुई हिंसा के मामले में 110 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मंगलवार रात शुरू हुई यह हिंसा बुधवार तड़के तक जारी रही। इस दौरान 50 पुलिस कर्मियों सहित कई लोग भी  घायल हो गए। बेंगलुरु हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता पुनीत चतुर्वेदी ने भी अपना वक्तव्य  दिया है।

मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने कहा, ‘‘ विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के आवास और डीजे हाली पुलिस थाने पर हमला और दंगे निंदनीय हैं।” उन्होंने कहा, ‘‘ अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं और सरकार ने हिंसा पर काबू पाने के लिए हर संभव कार्रवाई की है।” उन्होंने कहा कि पुलिस, मीडियाकर्मी और आम नागरिक पर हमला अक्षम्य है। सरकार ऐसी हरकतें बर्दाशत नहीं करेगी। अब मुद्दा यह आता है कि क्या कर्नाटक सरकार इन हिंसक उपद्रवियों से आज हुई घटना का हर्जाना वसूल करेगी। क़ानूनी रूप से कोई भी राज्य यह करने में सक्षम है पर बात होती है इसे अंजाम देने वाले जज्बे की जो उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिखाया।

क्या कहता है कानून: लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984

इस अधिनियम के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक संपत्ति को दुर्भावनापूर्ण कृत्य द्वारा नुकसान पहुँचाता है तो उसे पाँच साल तक की जेल अथवा जुर्माना या दोनों सज़ा से दंडित किया जा सकता है।

 अधिनियम के अनुसार, लोक संपत्तियों में निम्नलिखित को शामिल किया गया है-

  1. कोई ऐसा भवन या संपत्ति जिसका प्रयोग जल, प्रकाश, शक्ति या उर्जा के उत्पादन और वितरण किया जाता है।
  2. लोक परिवहन या दूर-संचार का कोई साधन या इस संबंध में उपयोग किया जाने वाला कोई भवन, प्रतिष्ठान और संपत्ति।
  3. खान या कारखाना।
  4. सीवेज संबंधी कार्यस्थल।
  5. तेल संबंधी प्रतिष्ठान।

क्या किया था उत्तरप्रदेश सरकार ने 

उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने जुलूसों, विरोध प्रदर्शनों, बंद इत्यादि के दौरान नष्ट होने वाली संपति के नुकसान की भरपाई के लिये ‘उत्तर प्रदेश सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई अध्यादेश -2020’ ( Uttar Pradesh Recovery of Damage to Public and Private Property Ordinance-2020) पारित किया।

क्या है इसके प्रावधान 

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा सार्वजनिक और निजी संपत्ति की नुकसान की वसूली के दावे के लिए एक नया अधिकरण का गठन किया गया जिसका नेतृत्व राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक सेवानिवृत्त ज़िला न्यायाधीश द्वारा किया जाएगा और इसमें एक अतिरिक्त आयुक्त रैंक के अधिकारी को शामिल किया जा सकता है।

यह अध्यादेश एक ही घटना के लिये कई अधिकरणों के गठन की अनुमति देता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कार्यवाही तीन महीने के भीतर संपन्न हो जाए, साथ ही अधिकरण को एक ऐसे मूल्यांकनकर्त्ता की नियुक्ति का अधिकार है जो राज्य सरकार द्वारा नियुक्त पैनल में हानि का आकलन करने हेतु तकनीकी रूप से योग्य हो।

  1. अधिकरण के पास सिविल कोर्ट की सभी शक्तियाँ होंगी एवं यह उसी तरीके से कार्य करेगा।
  2. उसका निर्णय अंतिम होगा और किसी भी अदालत में उसके खिलाफ कोई अपील नहीं की जा सकेगी ।
  3. अधिकरण के पास सबूतों और गवाहों की उपस्थिति से संबंधित मुद्दे की जाँच करने की शक्ति है।
  4. अध्यादेश की धारा 3 के अनुसार, पुलिस का एक क्षेत्राधिकारी प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) के आधार पर घटना में हुए नुकसान की भरपाई हेतु दावा याचिका रिपोर्ट तैयार करेगा।
  5. इस अध्यादेश में प्रावधान है कि क्षेत्राधिकारी की रिपोर्ट तैयार हो जाने पर ज़िला मजिस्ट्रेट या पुलिस आयुक्त ‘दावा याचिका’ दायर करने हेतु तत्काल कदम उठाएंगे।
  6. अध्यादेश की धारा 13 के तहत यदि आरोपी उपस्थित होने में विफल रहता है तो अधिकरण उसकी संपत्ति की कुर्की करने का आदेश जारी करेगा, साथ ही अधिकारियों को निर्देश देगा कि वे सार्वजनिक रूप से नाम, पता आदि के साथ उसकी तस्वीर प्रकाशित करें।

इस घटना से यह बात तो साफ़ होती है कि हम चाहे उत्तरप्रदेश में हो या कर्नाटक में लेकिन हिंसा करने वालों का कोई धर्म नहीं होता। ऐसा भी होता है जब एक मुसलमान भी किसी थाने को बचाने के लिए मानव श्रृंखला में शामिल होता है क्योंकि यह बात एक राष्ट्र की है।

यह भी देखना प्रासंगिक होगा कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी की तरह क्या येदुरप्पा में दंगाइयों और उपद्रवियों की संपत्ति को हर्जाने के रूप में जब्त करेंगे। क्योंकि कानून के तहत बात चाहे उत्तरप्रदेश की हो या कर्नाटक की, कानून सबके लिए एक है और इसका मान हर देशवासियों को रखना ही होगा फिर चाहे वो किसी भी प्रदेश का हो लेकिन भारतीय पहले है।

विदित हो कि मंगलवार रात आक्रोशित भीड़ ने एक थाने और कांग्रेस विधायक के आवास में तोड़फोड़ की थी, जिसके बाद सरकार ने कड़ी चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि दंगों और कानून एवं व्यवस्था में उल्लंघन के मामलों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पंत ने बताया कि कथित सोशल मीडिया पोस्ट डालने वाले नवीन को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्होंने शांति बनाए रखने की भी अपील की ।