देशमोहन भागवत : संघ के लिए भारत की 130 करोड़ आबादी हिंदू समाज है
File
नई दिल्ली/हैदराबाद, नागरिकता संशोधन कानून पर एक तरफ देश भर में बवाल रुकने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं इन सब के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत का नया राजनीतिक बयान सामने आया
नई दिल्ली/हैदराबाद, नागरिकता संशोधन कानून पर एक तरफ देश भर में बवाल रुकने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं इन सब के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत का नया राजनीतिक बयान सामने आया है। उन्होंने होने एक कार्यक्रम में कहा की वे और संघ भारत की 130 करोड़ आबादी को हिंदू समाज के रूप में ही मानता है, फिर चाहे उनका धर्म और संस्कृति कुछ भी हो। हैदराबाद में एक कार्यक्रम में उन्होंने अपने सम्बोधन में ये भी कहा कि कुछ लोग डरा-धमका कर समाज में ऊपर आना चाहते है, ऐसे लोग समाज के लिए एक खतरा हैं। वहीं कुछ लोग राज्य, वैभव और मोक्ष को धर्म की विजय मानते है, लेकिन हमारे लिए देश की नागरिकता ही अहम है.
मोहन भागवत ने रवींद्र नाथ टैगोर के ‘स्वदेशी सभा’ निबंध कावर्णन करते हुए ये भी कहा कि हिंदू और मुसलमानों के बीच कुछ तमाम विरोधाभासों के बावजूद भी हिंदू समाज राष्ट्र को एकजुट करने के लिए हिंदू तरीक़े से समाधान खोजने में पूर्णतः सक्षम है।यही हिंदू विचार की प्रक्रिया है और हमारे सांस्कृतिक मूल्य इसी हिंदू जीवन शैली को परिभाषित करते हैं। उन्होंने कहा कि धर्म और संस्कृति से ऊपर उठकर, जो लोग राष्ट्रवादी भावना रखते हैं और भारत की संस्कृति, उसकी विरासत का सम्मान करते हैं, वे हिंदू हैं और आरएसएस देश के 130 करोड़ लोगों को हिंदू मानता है.
उन्होंने संबोधन में आगे कहा कि यह संपूर्ण समाज हमारा है और संघ का उद्देश्य एक कुशल- संगठित समाज का निर्माण पर ध्यान देना है। भागवत ने अपने भाषण में आगे कहा, ‘‘भारत माता का सपूत, चाहे वह कोई भी भाषा बोले, चाहे वह किसी भी क्षेत्र का हो, किसी स्वरूप में पूजा करता हो या किसी भी तरह की पूजा में विश्वास नहीं करता हो, एक हिंदू है…इस संबंध में, संघ के लिए भारत के सभी 130 करोड़ लोग हिंदू समाज है। संघ सभी को स्वीकार भी करता है और उनके उत्थान के लिए पूरी तरह अग्रसर है।
आपको बता दें की संघ प्रमुख मोहन भगवत हैदराबादके आरएसएस सदस्यों के तीन दिवसीय ‘विजय संकल्प शिविर’ के तहत यहाँ के सरूरनगर स्टेडियम में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इस शिविर में साढ़े आठ हज़ार स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया था।
We use cookies on our website to provide you with the best possible user experience. By continuing to use our website or services, you agree to their use. More Information.