जन्मदिन विशेष : समाज के लिए वरदान है; लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के विचार

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    नई दिल्ली : स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, हम इसे लेकर रहेंगे’, ऐसी बोली बोलने वाले ,प्रखर व्यक्तित्व,समाजसुधारक बाल गंगाधर तिलक को आज इनके जन्मदिन पर उनके विचारों के जरिये याद करते है। बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को हुआ था। तिलक देश के पहले ऐसे स्वतंत्रता सेनानी रहे, जिन्होंने ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग कर अंग्रेजों के मन में खौफ पैदा कर दिया था। ऐसे महान व्यक्तित्व के बारे में जितना जानें उतना कम ही है…. 

    समस्याओं से डरने की बजाएं अपने विचारों पर अडिग रहे तिलक 

    अंग्रेजों का विरोध करने पर कई बार उनको जेल भी जाना पड़ा और उनके ऊपर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया। 1897-98 के दौरान 18 महीने तक वह जेल में रहे। 1908-1914 तक फिर उनको मंडाले की जेल में भेजा गया। यहां तिलक 6 साल तक जेल में रहे और दुनिया से उनका कोई संपर्क नहीं रहा। बाल गंगाधर तिलक ने जेल में  ‘गीता रहस्य’ नाम की पुस्तक लिखी थी। भले ही तिलक आजाद भारत में सांस लिए बगैर इस दुनिया से चले गए, लेकिन उनकी कही बातें आज भी सामाजिक एकता कायम करने में कारगर हो सकती है। 

    बाल गंगाधर के विचार (Bal Gangadhar Tilak Qoutes)

    1. स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, हम इसे लेकर रहेंगे। 

    2. धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं हैं। संन्‍यास लेना जीवन का परित्याग करना नहीं है। असली भावना सिर्फ अपने लिए काम करने की बजाए देश को अपना परिवार बना मिलजुल कर काम करना है। 

    3. प्रगति स्वतंत्रता में निहित है। बिना स्वशासन के न औद्योगिक विकास संभव है, न ही राष्ट्र के लिए शैक्षिक योजनाओं की कोई उपयोगिता है। देश की स्वतंत्रता के लिए प्रयत्न करना सामाजिक सुधारों से अधिक महत्वपूर्ण है। 

    4. भूविज्ञानी पृथ्वी का इतिहास वहां से उठाते हैं जहां से पुरातत्वविद् इसे छोड़ देते हैं, और उसे और भी पुरातनता में ले जाते हैं। 

    5. ये सच है कि बारिश की कमी के कारण अकाल पड़ता है लेकिन ये भी सच है कि भारत के लोगों में इस बुराई से लड़ने की शक्ति नहीं है। 

    6. यदि भगवान छुआछूत को मानता है तो मैं उसे भगवान नहीं कहूंगा। 

    7. कमजोर ना बनें, शक्तिशाली बनें और यह विश्वास रखें की भगवान हमेशा आपके साथ है।

    8 . आलसी व्यक्तियों के लिए भगवान अवतार नहीं लेते, वह मेहनती व्यक्तियों के लिए ही अवतरित होते हैं, इसलिए कार्य करना आरम्भ करें।

    9.  मानव स्वभाव ही ऐसा है कि हम बिना उत्सवों के नहीं रह सकते, उत्सव प्रिय होना मानव स्वभाव है। हमारे त्यौहार होने ही चाहिए।

    10. आप मुश्किल समय में खतरों और असफलताओं के डर से बचने का प्रयास मत कीजिये। वे तो निश्चित रूप से आपके मार्ग में आयेंगे ही।

    11. प्रातः काल में उदय होने के लिए ही सूरज संध्या काल के अंधकार में डूब जाता है और अंधकार में जाए बिना प्रकाश प्राप्त नहीं हो सकता।