नयी दिल्ली. किसानों द्वारा नए कृषि कानूनों का विरोध जारी रहने के बीच भाजपा ने उनसे आग्रह किया कि वे इन सुधारों को लेकर “गलतफहमी” में नहीं रहें। इसके साथ ही पार्टी ने जोर दिया कि इन सुधारों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और मंडी व्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं है तथा सरकार द्वारा अनाज की खरीद के साथ पुरानी व्यवस्था भी कायम रहेगी। भाजपा ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन का समर्थन करने के लिए दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि उसने पहले ही इन कानूनों को अधिसूचित कर दिया है तथा उनका कार्यान्वयन शुरू कर दिया है।
नए कृषि कानून APMC मंडियों को समाप्त नहीं करते हैं। मंडियाँ पहले की तरह ही चलती रहेंगी। नए कानून ने किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आज़ादी दी है। जो भी किसानों को सबसे अच्छा दाम देगा वो फसल खरीद पायेगा चाहे वो मंडी में हो या मंडी के बाहर। #FarmBills pic.twitter.com/xRi35CkOTs
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) November 30, 2020
भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कई ट्वीट कर कुछ किसान संगठनों और विपक्षी दलों द्वारा इन कानूनों की आलोचना का खंडन किया। उन्होंने कहा, “नए कृषि कानून कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएएमसी) मंडियों को समाप्त नहीं करते हैं। मंडियां पहले की तरह ही चलती रहेंगी। नए कानून ने किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आज़ादी दी है। जो भी किसानों को सबसे अच्छा दाम देगा, वो फसल खरीद पायेगा चाहे वो मंडी में हो या मंडी के बाहर।”
कृषि विधेयक के संबंध में फैलाए जा रहे है कई भ्रम जैसे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य न देने के लिए कृषि बिल एक साजिश है बल्कि वास्तविकता में सच्चाई यह है कि कृषि बिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य से कोई लेना- देना नहीं है, एमएसपी मूल्य मिलता रहा है और मिलता रहेगा।#FarmBills pic.twitter.com/B1wX6CquM4
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) November 30, 2020
प्रसाद ने कहा, ‘‘कृषि विधेयक के संबंध में कई भ्रम फैलाए जा रहे है ,जैसे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं देने के लिए कृषि विधेयक एक साजिश है, बल्कि वास्तविकता में सच्चाई यह है कि कृषि विधेयकों का न्यूनतम समर्थन मूल्य से कोई लेना- देना नहीं है, एमएसपी मूल्य मिलता रहा है और मिलता रहेगा।”
नए कृषि कानून के अंतर्गत बड़ी कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट के नाम पर किसानों का शोषण नहीं कर पाएँगी। किसान बिना किसी पेनल्टी के किसी भी समय कॉन्ट्रैक्ट से बाहर निकल सकता है। कॉन्ट्रैक्ट से किसानों को निर्धारित दाम पाने की गारंटी भी मिलेगी।#FarmBills pic.twitter.com/dQz672psQ8
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) November 30, 2020
उन्होंने जोर दिया, “नए कृषि कानून के अंतर्गत बड़ी कंपनियां ‘कॉन्ट्रैक्ट’ के नाम पर किसानों का शोषण नहीं कर पाएंगी। किसान बिना किसी जुर्माना के किसी भी समय ‘कॉन्ट्रैक्ट’ से बाहर निकल सकता है। ‘कॉन्ट्रैक्ट’ से किसानों को निर्धारित दाम पाने की गारंटी भी मिलेगी।”
कृषि कानून पर गलतफहमी ना रखें। पंजाब के किसानों ने पिछले साल से ज्यादा धान मंडी में बेचा और ज़्यादा #MSP पर बेचा। MSP भी जीवित है और मंडी भी जीवित है और सरकारी खरीद भी हो रही है।
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) November 30, 2020
पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, “कृषि कानूनों के बारे में गलत धारणाएं नहीं रखें। पंजाब के किसानों ने मंडी में पिछले साल की तुलना में अधिक धान बेचा है और अधिक एमएसपी पर, एमएसपी कायम है और मंडी भी। और सरकारी खरीद भी हो रही है।”
भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार से किसानों के लिए लाभ और अवसरों में वृद्धि के नए अवसर खुल रहे हैं। पार्टी के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी द्वारा इन कानूनों का विरोध करने को लेकर उन पर निशाना साधा।
मालवीय ने आरोप लगाया कि इन कानूनों को अधिसूचित करने के बावजूद वह इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “अरविंद केजरीवाल नीत दिल्ली सरकार ने 23 नवंबर को पहले ही नए कृषि कानूनों को अधिसूचित कर दिया है और उन्हें लागू करना शुरू कर दिया है। लेकिन अब जब खालिस्तानी और माओवादी विरोध में शामिल हो गए हैं, तो उन्हें दिल्ली को जलाने का अवसर दिखता है। यह कभी किसानों को लेकर नहीं है । बस राजनीति …।” (एजेंसी)