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मुंबई. सीबीआई ने मुंबई उच्च न्यायालय को सोमवार को सूचित किया कि वह पूर्व वित्त मंत्री तथा दो अन्य नौकरशाहों के खिलाफ पद के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाली 63 मून्स टेक्नोलॉजिस की शिकायत पर शुरूआती जांच कर रही है। सीबीआई के वकील हितेन वेणेगावकर ने न्यायमूर्ति एसएस जाधव और न्यायमूर्ति एनजे जामदार की पीठ को बताया कि यह मामला 2012-2013 का है, इसलिए एजेंसी को प्रांसगिक दस्तावेज बरामद करने में समय लगेगा।

अदालत कंपनी के प्रवर्तक जिग्नेश शाह की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम तथा नौकरशाह केपी कृष्णन एवं रमेश अभिषेक के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा कार्रवाई करने में देरी पर सवाल उठाया गया है। कंपनी का पहले नाम फाइनेंशल टेक्नोलॉजी लिमिटेड था। जब चिदंबरम वित्त मंत्री थे तो अभिषेक बाजार आयोग के अध्यक्ष थे जबकि कृष्णन अतिरिक्त सचिव एवं संयुक्त सचिव थे।

वेणेगावकर ने कहा, ” हम (सीबीआई) शुरुआती जांच कर रहे हैं। मामला 2012-2013 का होने की वजह से हमें अपना दिमाग लगाना है, आरोपों को सत्यापित करना है तथा सभी प्रासंगिक दस्तावेज बरामद करने हैं। ” उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता (63 मून्स टेक्नोलॉजिस) को सीबीआई ने बयान दर्ज कराने और आरोपों के समर्थन में और सबूत देने के लिए समन किया था। वकील ने कहा, ” बहरहाल, आज की तारीख तक, सीबीआई को याची कंपनी से और सबूत या दस्तावेज नहीं मिले हैं। ” कंपनी की ओर से पेश हुए वकील ए पोंडा ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि सभी प्रासंगिक दस्तावेज पहले ही सीबीआई को दिए जा चुके हैं।

पीठ ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह जांच का विवरण देने के लिए एक हलफनामा दायर करें और मामले को 13 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दिया। नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड में कई करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद 15 फरवरी 2019 को मून्स टेक्नोलॉजी ने सीबीआई को शिकायत देकर कंपनी को नुकसान पहुंचाने और पद के दुरुपयोग के आरोप में तीनों के खिलाफ मामला दर्ज करने का आग्रह किया था।(एजेंसी)