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 नयी दिल्ली: सरकार ने पूर्वी लद्दाख (East Laddakh) में भारत की अभियानगत तैयारियों सहित क्षेत्र में संपूर्ण स्थिति की शुक्रवार को व्यापक समीक्षा की। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चीनी सेना (China Army) के लगातार आक्रामक रुख अपनाये रखने और क्षेत्र में भारतीय सैनिकों ( Indian Soldiers) को फिर से डराने की कोशिश किये जाने के मद्देनजर यह बैठक की गई।

सूत्रों ने बताया कि उच्चाधिकार प्राप्त ‘चाइना स्टडी ग्रुप’ की करीब 90 मिनट चली बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम सेक्टरों समेत करीब 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सतर्कता और बढ़ाए जाने पर भी विचार किया ।

उन्होंने बताया कि थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने बैठक में पैंगोंग झील के उत्तर एवं दक्षिण किनारे पर भारतीय एवं चीनी बलों के फिर से आमने-सामने होने के संबंध में जानकारी दी और इस प्रकार की कोशिशों से प्रभावशाली तरीके से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताया।

एक सूत्र ने कहा, ‘‘चाइना स्टडी ग्रुप की बैठक में हालात के सभी पहलुओं की समीक्षा की गई।” उन्होंने बताया कि बैठक में पूर्वी लद्दाख और अत्यधिक ऊंचाई वाले अन्य संवेदनशील सेक्टरों में सर्दियों में भी सभी अग्रिम इलाकों में बलों और हथियारों का मौजूदा स्तर बनाए रखने के लिए आवश्यक प्रबंधों पर भी विचार-विमर्श किया गया। इन इलाकों में सर्दियों में तापमान शून्य से भी 25 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता हैं सूत्रों ने बताया कि बैठक में इस बात पर भी थोड़ी चर्चा की गई कि कोर कमांडर स्तर की अगली वार्ता में भारतीय पक्ष को किन मुख्य बिंदुओं को उठाना है।

इस वार्ता में 10 सितंबर को मास्को में भारत एवं चीन के विदेश मंत्रियों के बीच हुए समझौते के क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना है। एक सूत्र ने कहा, ‘‘हम टकराव के सभी बिंदुओं से चीनी बलों को शीघ्र एवं पूरी तरह पीछे हटाने पर जोर देंगे। यह सीमा पर शांति स्थापित रखने की दिशा में पहला कदम है।”

सूत्रों ने बताया कि चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ (पीएलए) ने कोर कमांडर स्तर की वार्ता का अगला दौर आयोजित करने के संबंध में भारतीय सेना को अभी कोई जवाब नहीं दिया हैं एक सूत्र ने कहा, ‘‘चीनी सेना ने अभी जवाब नहीं दिया है, इसलिए अभी कोई तिथि तय नहीं की गई है। वार्ता अगले सप्ताह किसी दिन हो सकती है।” दोनों पक्षों के बीच कोर कमांडर स्तर की अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है।

सूत्रों ने बताया कि पैंगोंग झील के उत्तर एवं दक्षिण किनारे समेत पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले अन्य बिंदुओं पर हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। चीनी ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ‘ (पीएलए) ने पैंगोंग झील क्षेत्र के उत्तरी और दक्षिणी तटों पर पिछले तीन सप्ताह में भारतीय सैनिकों को भयभीत करने की कम से कम तीन कोशिशें की हैं। यहां तक कि 45 साल में पहली बार एलएसी पर हवा में गोलियां चलाई गईं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बृहस्पतिवार को कहा था कि चीन को पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील क्षेत्र सहित टकराव वाले सभी इलाकों से सैनिकों को पूर्ण रूप से हटाने के लिये प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने चीन से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिशें नहीं करने को भी कहा। उन्होंने कहा था कि दोनों देशों को तनाव बढ़ा सकने वाली गतिविधियों से दूर रहते हुए टकराव वाले इलाकों में तनाव घटाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी किये गये एक बयान के मद्देनजर श्रीवास्तव की यह टिप्पणी आई। मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से अलग 10 सितंबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ एक बैठक की थी, जिसमें सीमा विवाद के हल के लिये पांच सूत्री एक समझौते पर सहमति बनी।

उल्लेखनीय है कि 15 जून को गलवान घाटी में हुई झड़प में 20 भारतीय सैन्य कर्मियों के शहीद होने के बाद पूर्वी लद्दाख में तनाव कई गुना बढ़ गया। चीनी सैनिक भी इसमें हताहत हुए लेकिन चीन ने अब तक कोई आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया है। पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर 29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात भारतीय भूभाग पर कब्जा करने की चीन की नाकाम कोशिश के बाद स्थिति एक बार फिर से बिगड़ गई।

भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर कई पर्वत चोटियों पर तैनाती की और किसी भी चीनी गतिविधि को नाकाम करने के लिये क्षेत्र में फिंगर 2 तथा फिंगर 3 इलाकों में अपनी मौजूदगी मजबूत की है। चीन फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच के इलाकों पर कब्जा कर रहा है। इस इलाके में फैले पर्वतों को फिंगर कहा जाता है। चीन ने भारत के कदम का पुरजोर विरोध किया है।

हालांकि, भारत यह कहता रहा है कि ये चोटियां एलएसी के इस ओर हैं। भारत ने चीनी अतिक्रमण के प्रयासों के बाद क्षेत्र में अतिरिक्त सैनिक एवं हथियार भी भेजे हैं। साथ ही, क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाई है।