JITIN
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    नयी दिल्ली. अभी अभी आ रही एक बड़ी खबर के अनुसार कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) आज भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। आज केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उन्हें पार्टी की सदस्यता ग्रहण करवायी। गौरतलब है कि आज BJP सांसद और प्रवक्ता अनिल बलूनी (Anil Baluni) ने एक ट्वीट किया था कि, “आज कोई बड़ी हस्ती बीजेपी चीफ जेपी नड्डा की मौजूदगी में पार्टी जॉइन करने वाली है।”

    यह ट्वीट आना था और इसके बाद से ही यह कयासबाजी भी शुरू हो गई थी कि कांग्रेस का ही कोई बड़ा राजनीतिक खिलाड़ी आज BJP में शामिल होगा। गौरतलब है कि फिलहाल कांग्रेस के कई दिग्गज पार्टी सदस्य और नेता आलाकमान से नाराज हैं। हालांकि, कुछ नाम ऐसे हैं जिनके नाम फिलहाल सबसे ऊपर हैं। इनमे से एक नाम जितिन प्रसाद का भी था जो कि आज BJP में शामिल हो गए हैं।

    यह भी विदित हो कि कांग्रेस के बड़े ब्राहम्ण चेहरों में से एक जितिन प्रसाद भी बीते कई दिनों से पार्टी हाईकमान से नाराज थे। वह कांग्रेस में खुद को तवज्जो न मिलने और UP कांग्रेस के कुछ नेताओं से अपनी नाराजगी पहले भी जाहिर भी कर चुके हैं। हालाँकि जितिन प्रसाद की शिकायत को पार्टी हाईकमान ने हमेशा ही नजरअंदाज किया। यही वजह है कि उन्होंने आज  BJP का दामन थाम लिया हैं।

    कौन हैं जितिन प्रसाद :

    बता दें कि जितिन प्रसाद, कांग्रेस के दिग्गज नेता जितेंद्र प्रसाद के सुपुत्र हैं। जानकारी हो कि जितेंद्र प्रसाद दो प्रधानमंत्रियों (राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हाराव) के राजनीतिक सलाहकार भी रह थे। यह भी दिलचस्प है कि 2000 में जितेंद्र प्रसाद ने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़े थे, लेकिन इसमें वह हार गए थे।इसके बाद साल 2001 में जितेंद्र प्रसाद का निधन हो गया। तब पिता जितेंद्र प्रसाद की राजनीतिक विरासत को जितिन प्रसाद ने संभाला और आगे ले गए।

    जितिन प्रसाद और राजनीति :

    साल 2001 में ही वह इंडियन यूथ कांग्रेस से जुड़ गए। इसके बाद साल 2004 में जितिन प्रसाद शाहजहांपुर सीट से जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे। UPA-1 की सरकार में जितिन प्रसाद को केंद्रीय मंत्री भी बना दिया गया। गौरतलब है कि वह मंत्री बनने वाले सबसे युवा चेहरों में से भी एक थे।

    इसके बाद साल 2009 में जितिन प्रसाद, धौरहरा लोकसभा सीट से लड़े और जीते। इसके बाद UPA-2 में जितिन प्रसाद को पेट्रोलियम और सड़क-परिवहन जैसे अहम मंत्रालय बतौर राज्य मंत्री उन्हें सौंपा गया था । हालाँकि साल 2014 का चुनाव जितिन प्रसाद हार गए। इस हार के बाद से ही जितिन प्रसाद के राजनीतिक सितारों की गृह दशा खराब चल रही थी।