कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग को लेकर 15 जनवरी को ‘किसान अधिकार दिवस’ मनाएगी कांग्रेस

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नयी दिल्ली. कांग्रेस (Congress) ने शनिवार को निर्णय किया कि वह तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों (Agriculture Law) को निरस्त करने की मांग पर बल देने के लिए आगामी 15 जनवरी को सभी राज्यों में ‘किसान अधिकार दिवस’ (Kisan Adhikar Diwas) मनाएगी और उसके नेता एवं कार्यकर्ता राज भवनों तक मार्च करेंगे। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला (Randip Surjewala) ने बताया कि कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल (KC Venugopal) के नेतृत्व में सभी महासचिवों एवं प्रभारियों की बैठक हुई जिसमें यह फैसला किया गया कि पार्टी देश के किसानों के साथ कांग्रेस मजबूती से खड़ी रहेगी।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस राज्य मुख्यालयों पर यह विरोध प्रदर्शन उसी दिन करने जा रही है जिस दिन किसान संगठनों और सरकार के बीच अगले दौरे की बातचीत प्रस्तावित है। अब तक हुई नौ दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने निर्णय किया है कि किसानों के समर्थन में हर प्रांतीय मुख्यालय पर कांग्रेस पार्टी 15 जनवरी को ‘किसान अधिकार दिवस’ के रूप में एक जन आंदोलन करेगी। रैली और धरने के बाद हमारे नेता और कार्यकर्ता राजभवन तक जाकर सरकार को तीनों काले कानून खत्म करने के लिए गुहार लगाएंगे।”     

उन्होंने कहा, ‘‘समय आ गया है कि मोदी सरकार (PM Narendra Modi) देश के अन्नदाता की चेतावनी को समझे क्योंकि अब देश का किसान काले कानून खत्म करवाने के लिए ‘करो या मरो’ की राह पर चल पड़ा है।” सुरजेवाला ने दावा किया, ‘‘मोदी सरकार देश के किसानों को ‘थकाने और झुकाने’ की साजिश कर रही है। काले कानून खत्म करने की बजाय, 40 दिन से ‘मीटिंग-मीटिंग’ खेल रही है तथा किसानों को ‘तारीख पर तारीख’ दे रही है।

73 साल के देश के इतिहास में ऐसी निर्दयी व निष्ठुर सरकार कभी नहीं बनी, जिसने ईस्ट इंडिया कंपनी व अंग्रेजों को भी पीछे छोड़ दिया है।” उन्होंने कहा, ‘‘40 दिन से अधिक से लाखों अन्नदाता दिल्ली की सीमाओं पर काले कानून खत्म करने की गुहार लगा रहे हैं। 60 से अधिक किसानों ने दम तोड़ दिया। दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंह से आज तक किसानों के प्रति सांत्वना का एक शब्द नहीं निकला।” कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनकी सरकार 60 किसानों की कुर्बानी के लिए जिम्मेदार है।” उन्होंने कहा, ‘‘ये लड़ाई किसानों की आजीविका’ और ‘सरकार की अवसरवादिता’ की है, ये लड़ाई ‘किसानों की खुद्दारी’ और ‘सरकार की खुदगर्जी’ के बीच है। ये लड़ाई ‘किसानों की बेबसी’ और ‘सरकार की बर्बरता’ की है। ये लड़ाई ‘दीया’ और ‘तूफ़ान’ की है।”

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘यह पहली सरकार है, जो अपनी जिम्मेदारी से पीछा छुड़ा देश के अन्नदाताओं को कह रही है कि ‘सुप्रीम कोर्ट चले जाओ’। सरकार को जनता ने चुना है। फिर उसी जनता और अन्नदाता को सरकार कहीं और क्यों भेजना चाहती है?” उन्होंने दावा किया, ‘‘ ये तीनों विवादास्पद कृषि कानून उच्चतम न्यायालय ने नहीं बनाए हैं। संसद में प्रजातंत्र का चीरहरण करके मोदी सरकार ने बनाए हैं।” कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि फिर सरकार अपनी जिम्मेदारी अदालत की तरफ क्यों टाल कर रही है और नीतिगत फ़ैसले लेने के लिए कौन जवाबदेह है? उन्होंने कहा कि तीनों कानूनों को निरस्त करने के अलावा कोई दूसरा समाधान नहीं हो सकता। (एजेंसी)