नये संसद भवन का निर्माण कार्य दिसंबर 2020 में होगा शुरू, अक्टूबर 2022 में होगा पूरा

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नयी दिल्ली. नये संसद भवन का निर्माण कार्य इस साल दिसंबर में शुरू होगा और इसके अक्टूबर 2022 तक पूरा हो जाने की संभावना है। लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। लोकसभा सचिवालय ने यह भी कहा है कि नये संसद भवन के निर्माण की अवधि के दौरान मौजूदा संसद भवन में ही संसद सत्र को निर्बाध रूप से कराने के लिये आवश्यक उपाय किये गये हैं। नये संसद भवन का शिलान्यास समारोह दिसंबर में होने की संभावना है। इसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा दोनों सदनों के पीठासीन पदाधिकारी सहित अन्य नेता तथा कई गणमान्य व्यक्ति शरीक हो सकते हैं।

लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के बैठने की होगी व्यवस्था

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता किये जाने के बाद सूत्रों ने बताया कि नये संसद भवन में लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के, जबकि राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी। दोनों सदनों में भविष्य में सदस्यों की संख्या बढ़ने को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया जा रहा है। वर्तमान में संसद के निचले सदन (लोकसभा) में 543, जबकि उच्च सदन (राज्यसभा) में 245 सदस्यों की कुल संख्या आवंटित है।

डिजिटल उपकरणों से लैस

अधिकारियों ने बताया कि नये संसद भवन के निर्माण कार्य के दौरान वायु एवं ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये पर्याप्त कदम उठाये जा रहे हैं। नये संसद भवन में सभी सांसदों के लिये अलग-अलग कार्यालय होंगे और उन्हें नवीनतम डिजिटल उपकरणों से लैस किया जाएगा। यह कदम कागज रहित कार्यालय सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है।

नये भवन में एक संविधान कक्ष (कॉंस्टीट्यूशन हॉल) भी होगा, जो भारत की लोकतांत्रिक धरोहर को प्रदर्शित करेगा। इसके अलावा संसद सदस्यों के लिये एक लाउंज, एक पुस्तकालय, कई समितियों के लिये कमरे, खान-पान के लिये स्थान और वाहन पार्किंग की जगह भी होगी।

83 लाख रूपये में बना था मौजूदा संसद भवन 

मौजूदा भवन, ब्रिटिश काल है जिसका डिजाइन एडविन लुटियंस और हरबर्ट बेकर ने तैयार किया था। उन दोनों ने ही नयी दिल्ली का निर्माण किया था। मौजूदा संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी 1921 को रखी गई थी और इसके निर्माण में छह साल लगे थे तथा उस वक्त 83 लाख रुपये की लागत आई थी। उदघाटन समारोह 18 जनवरी 1927 को भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन के हाथों हुआ था। 

देखरेख के लिये एक निगरानी समिति गठित की जाएगी

बैठक में बिरला ने कहा कि गुणवत्ता के मामले में और नये संसद भवन के निर्माण से जुड़े कार्य समय पर पूरा करने में कोई समझौता नहीं होना चाहिए। निर्माण कार्य की देखरेख करने के लिये एक एक निगरानी समिति गठित की जाएगी, जिसमें लोकसभा सचिवालय, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीब्डल्यूडी), नयी दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) के अधिकारी तथा परियोजना के वास्तुकार/ डिजाइनर शामिल होंगे।   

पिछले महीने टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने नया संसद भवन 861.90 करोड़ रुपये की लागत से बनाने की निविदा हासिल की थी। नये संसद भवन का निर्माण सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत मौजूदा संसद भवन के पास होगा। एक बयान में लोकसभा सचिवालय ने कहा कि बिरला ने नये संसद भवन के निर्माण के सिलसिले में आज एक बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी शामिल हुए। 

बैठक के दौरान बिरला को नये भवन के निर्माण के लिये प्रस्तावित क्षेत्र से बुनियादी ढांचों को दूसरी जगह ले जाने के बारे में हुई प्रगति से अवगत कराया गया। बयान में कहा गया है, ‘‘निर्माण कार्य के दौरान अवरोधक लगाने की योजना और वायु एवं ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिये किये जाने वाले विभिन्न उपायों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बिरला को संसद सत्र के दौरान सहित इस अवधि के दौरान वीआईपी तथा अन्य कर्मचारियों की आवाजाही की प्रस्तावित योजना के बारे में भी बताया।” 

संविधान कक्ष में संविधान की मूल प्रति भी रखी जाएगी। भारत की लोकतांत्रिक धरोहर आदि को डिजिटल माध्यमों से दिखाया जाएगा। आगंतुकों को इस कक्ष में आने दिया जाएगा ताकि वे भारतीय संसदीय लोकतंत्र की यात्रा को समझ सकें। सेंट्रल विस्टा–राष्ट्र के सत्ता के गलियारे–की पुनर्विकास परियोजना एक त्रिभुजाकार संसद भवन, एक साझा केंद्रीय सचिवालय की परिकल्पना करता है। साथ ही राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किमी लंबे राजपथ का कायाकल्प भी किया जााएगा। सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत प्रधानमंत्री आवास एवं कार्यालय भी साउथ ब्लॉक के पास आने की संभावना है। उप राष्ट्रपति का नया आवास नार्थ ब्लॉक के आसपास होगा। सरकार द्वारा उद्योग भवन, कृषि भवन और शास्त्री भवन जैसी इमारतों को ध्वस्त कर देने की संभावना है ताकि नया केंद्रीय सचिवालय बन सके, जिसमें कई मंत्रालयों के कार्यालय होंगे। (एजेंसी)