नई दिल्ली. देश में कोरोना वायरस महामारी से चारों ओर अफरा तफरी मची है। रोजाना हजारों लोगों की मौत हो रही हैं। साथ ही रिकवरी रेट भी बढ़ने लगा है। कोरोना से रिकवर होने के दौरान कई मरीजों को हार्ट डिजीज और हार्ट अटैक से मौत हो रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना के इलाज के दौरान कई दवाएं दी जा रही हैं, जो खून के थक्के भी बना सकती हैं। हालांकि यह सबके साथ नहीं हो रहा। रिकवरी के दौरान अगर सावधानी बरती जाए तो मरीज को कोई भी खतरा नहीं है।
इन लोगों में बढ़ रहा हार्ट डिजीज
कुछ स्टडी के अनुसार यह परेशानी उन लोगों को हो रहे हैं जिन्हें पहले से हार्ट डिजीज या डायबिटीज है, उनमें से 15-20 प्रतिशत लोगों को ही समस्याएं बढ़ रही हैं। इनमें से 5% लोगों को हार्ट अटैक आने का खतरा है। हार्ट डिजीज युवाओं में सबसे ज्यादा फैल रहा है, जिन्हें हार्ट से जुड़ी कोई बीमारी नहीं है या उन्हें लक्षणों के आभाव में इसकी जानकारी ही नहीं हुई है।
युवाओं की हार्ट अटैक से मौत?
कोरोना वायरस की दूसरी लहर में युवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है। कई युवाओं को कोई हार्ट डिजीज भी नहीं लेकिन उनकी हार्ट अटैक से मौत हो रही है। युवा मरीजों में यह मामले पल्मोनरी एलेमा (फेफड़ों में अधिक फ्लुइड) होने से सामने आ रहे हैं। पल्मोनरी एलेमा के कारण सांस लेने में दिक्कत होती है और रेस्पिरेटरी ऑर्गन काम करना बंद कर देते हैं। इसी तरह एक्यूट मायोकार्डिटिस होने का खतरा बढ़ जाता है, जो कि हार्ट मसल्स में होने वाली सूजन है। इस केस में मरीज के जीवित रहने की संभावना काफी कम हो जाती है। जिन लोगों को पहले से हार्ट डिजीज है, उनमें कोविड-19 से रिकवर होने के बाद दिल में सूजन और खून के थक्के जमने की समस्या बढ़ जाती है।
हार्ट डिजीज का एक लक्षण?
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज सीने में दर्ज की शिकायत कर रहे हैं। जिन्हें हल्के लक्षण हैं, वह भी सीने में दर्ज की शिकायत कर रहे हैं। कोरोना का इन्फेक्शन अलग-अलग लोगों में अलग अलग होता है, जैसे माइल्ड, मॉडरेट और गंभीर।
कोरोना मरीजों में संक्रमण के कारण फेफड़ों में सूजन हो सकती है, जिसका असर हार्ट पर भी पड़ता है। जो लोग पहले से किसी हार्ट डिजीज से जूझ रहे हैं, उन्हें सतर्क रहने की जरूरत है। उनकी धमनियों (आर्टरी) में ब्लॉकेज हार्ट अटैक तक जा सकता है।
कोरोना मरीजों को बहुत तेज दर्द का अनुभव हो सकता है। इसकी वजह सूजन भी हो सकती है। कुछ मामलों में यह सांस लेना भी मुश्किल कर सकती है। कोरोना वायरस रोगियों में दिखने वाली आम समस्या है फेफड़ों का फाइब्रोसिस, जिससे ऑक्सीजन सेचुरेशन प्रभावित होता है।
कोविड-19 के बाद ह्दय संबंधी विकारों को कैसे पहचानें?
कोरोना से रिकवर होने के दौरान कई लक्षण रिपोर्ट हुए हैं। ऐसा होने के कई कारण हो सकते हैं। कोरोना के बाद थकान आम लक्षण है, जो किसी भी अन्य गंभीर बीमारी की तरह ही है। लोग सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, घबराहट भी महसूस कर सकते हैं।
यह सभी समस्याएं हार्ट डिजीज से जुड़ी हो सकती हैं। पर बहुत गंभीर बीमार होने के बाद के आफ्टर इफेक्ट्स, लंबे समय तक निष्क्रिय रहना और बिस्तर पर कई हफ्ते बिताना भी इसकी वजह हो सकता है। वैसे, कोरोना मरीजों को कंपकंपी, बेहोशी, सीने में दर्द और सांस लेने में दिक्कत होती है तो यह हार्ट डिजीज का इशारा हो सकता है।
कोरोना के बाद हार्ट संबंधी लक्षण दिखने पर करें ये?
लक्षण गंभीर होने पर डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है, खासकर सांस की तकलीफ के मामले में। सांस लेने में कठिनाई हमेशा एक गंभीर समस्या का संकेत नहीं है, पर ऑक्सीजन सेचुरेशन के कम स्तर (90% से कम) के साथ इसका होना चिंताजनक है। सीने में दर्द फेफड़ों की सूजन के कारण भी हो सकता है। सीने में उठा अचानक और तेज दर्द फेफड़े में खून के थक्के (पल्मोनरी एम्बॉलिज्म) के कारण भी हो सकता है।
कोरोना रिकवर होने के बाद डायबिटीज से डायग्नोस हो रहे लोग?
कोरोना से रिकवर होने के बाद लोग टाइप-2 डाइबिटीज से डायग्नोस हो रहे हैं। कोरोना से हार्ट मसल्स को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे हार्ट के काम करने की क्षमता प्रभावित होती है। यह इन्फेक्शन धमनियों और शिराओं की दीवारों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे इनमें सूजन और खून के थक्के जम रहे हैं। यह शरीर के अन्य हिस्सों में ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित कर सकता है।
खून को किया जा रहा पतला?
कोरोना के गंभीर मामलों में खून के थक्के जमने की समस्या देखने को मिली है। स्टेरॉयड्स और खून को पतला करने वाले ब्लड थिनर का इस्तेमाल इलाज के तौर पर हो रहा है। स्टेरॉयड्स में सूजन कम करने के गुण होते हैं, वहीं ब्लड थिनर खून के थक्के जमने से रोकते हैं।
समस्या के आधार पर इन दवाओं का इस्तेमाल हो रहा है। यह भी पाया गया है कि ब्लड थिनर के इस्तेमाल से कुछ मरीजों में रिकवरी अच्छी रही है। हालांकि यह सलाह दी जाती है कि अगर कोई ब्लड थिनर का इस्तेमाल कर रहा है तो वैक्सीन लगाते समय इसकी जानकारी डॉक्टर को जरूर दें।