नयी दिल्ली. जहाँ एक तरफ भारत (India) में कोरोना (Corona) की दूसरी लहर का असर अब धीरे धीरे कम हो रहा है। वहीं अब अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा के बाद भारत में एक और नए कोरोना वैरिएंट का खुलासा हुआ है जो महज सात दिनों में ही मरीज का वजन कम कर सकता है। बता दें कि वायरस का यह वैरिएंट ब्राजील में सबसे पहले मिला था लेकिन तब वहां से एक ही वैरिएंट के भारत में आने की पुष्टि की गई थी। अब वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि ब्राजील से एक नहीं बल्कि दो वैरिएंट अब तक भारत में आए हैं और ये दूसरा वैरिएंट बी .1.1.28.2 पहले की अपेक्षा काफी तेज है।
सीरियाई हैमस्टर (एक प्रजाति का चूहा) में परीक्षण से पता चला है कि संक्रमित होने के सात दिन के अन्दर ही इस वैरिएंट की पहचान हो सकती है। यह वैरिएंट तेजी से शरीर का वजन भी कम कर सकता है और वहीं डेल्टा की तरह ये भी ज्यादा गंभीर और एंटीबॉडी क्षमता कम कर सकता है।
इधर पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (NIV) की डॉ। प्रज्ञा यादव ने बताया कि बी.1.1.28.2 वैरिएंट बाहर से आए दो लोगों में मिला था। जिसकी जीनोम सीक्वेसिंग करने के बाद अब परीक्षण भी किया गया ताकि उसके असर के बारे में हमें पता चल सके। फिलहाल अब तक भारत में इसके बहुत अधिक मामले नहीं है। जबकि यहाँ डेल्टा वैरिएंट सबसे ज्यादा मिल रहा है। हालांकि सतर्कता बेहद जरूरी है क्योंकि यह एंटीबॉडी का स्तर भी कम करता है जिसके चलते दोबारा से संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है।
उन्होंने बताया कि इसी साल जनवरी में कोरोना वायरस के पी1 वंश का पता चला जिसे 20जे/501वाईवी3 नाम से भी जाना जाता है। इसमें 17 तरह के स्पाइक प्रोटीन पर बदलाव भी देखे गए थे जिनमें एन501वाई, ई484के और के417एन शामिल हैं। इसी दौरान पी2 वंश भी भारत में आया था जिसके बारे में अब पता चला है। इस वायरस के स्पाइक प्रोटीन में भी ई484के नामक अमीनो एसिड बदलाव मिला है लेकिन इसमें एन501वाई और के417एन नामक परिवर्तन नहीं हैं। चूंकि सरकार ने विदेश यात्रा से लौटे सभी यात्रियों के सैंपल की जीनोम सिक्वेसिंग को अनिवार्य किया है। इसीलिए इस नए वैरिएंट के बारे में पता भी चल गया।
9 में से 3 सीरियाई हैमस्टर की मौत :
दरअसल विदेश यात्रा से लौटे 69 और 26 वर्षीय दो लोगों के सैंपल की जीनोम सिक्वेसिंग की गई थी। वहीं रिकवरी होने के तक ये दोनों रोगियों में लक्षण नहीं था लेकिन इनके सैंपल की सीक्वेसिंग के बाद जब बी .1.1.28.2 वैरिएंट का पता चला तो उसका 9 सीरियाई हैमस्टर पर 7 दिनों तक परीक्षण किया। इनमें से 3 की मौत शरीर के अंदुरुनी भाग में संक्रमण बढ़ने से हुई। इस दौरान इनमे फेफड़े की विकृति के बारे में भी पता चला और साथ ही एंटीबॉडी का स्तर कम होने के बारे में भी हेहद अहम् जानकारी मिली है।
इधर इंसान-सीरियाई हैमस्टर पर अलग परिणाम :
इस अध्ययन में यह देखने को मिला है कि जिन दो लोगों में यह वैरिएंट मिला, वे हालाँकि बिना लक्षण वाले थे लेकिन जब इस वैरिएंट से सीरियाई हैमस्टर को संक्रमित किया तो इसकी गंभीरता के बारे में पता चला। वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना वायरस के ज्यादातर परीक्षण ही सीरियाई हैमस्टर पर हो रहे हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर बी .1.1.28.2 से जुड़े मामले और बढ़ते हैं तो इसका असर इंसानों पर भी काफी गंभीर हो सकता है
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