अदालत ने पुलिस पर हमला करने वाले दो आरोपियों को दी जमानत

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    नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने इस वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसानों की रैली के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा और तोड़फोड़ में कथित रूप से शामिल दो लोगों को बृहस्पतिवार को जमानत दे दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने आरोपी बूटा सिंह और मनिंदर सिंह को 50,000 रुपये की  जमानत और इतनी ही राशि के मुचलके पर जमानत पर रिहा कर दिया।  

    गौरतलब है कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान प्रदर्शनकारी किसान नयी दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला परिसर में घुस गए थे और वहां धार्मिक झंडे फहराकर नारेबाजी तथा तोड़फोड़ भी की थी। पुलिस और किसानों के बीच हुई झड़प में कई पुलिसकर्मी घायल भी हो गए थे।   

    पुलिस के मुताबिक बूटा सिंह ने पुलिसकर्मियों पर हमला करने के अलावा लाल किले में तोड़फोड़ भी की जबकि मनिंदर ने लाल किले की प्राचीर पर दो तलवारें लहराईं और ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों पर तलवारों से हमला भी किया दोनों को राहत देते हुए न्यायाधीश ने कहा कि मामले में अभियोजन पक्ष द्वारा पेश की गयी तस्वीरों और वीडियो में मनिंदर का चेहरा स्पष्ट नहीं है।

    बूटा सिंह के मामले में अदालत ने कहा कि वीडियो और तस्वीरों के माध्यम से केवल यह स्पष्ट हो पा रहा है कि हिंसा के समय वह लाल किले में था, लेकिन इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं है, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि आरोपी किसी भी प्रकार की हिंसा में शामिल था और उसने पुलिसकर्मियों पर हमला किया।   

    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) मामले में छात्र कार्यकर्ता नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तान्हा को जमानत दिए जाने का उदाहरण देते हुए कहा, “ दिल्ली उच्च न्यायालय ने माना है कि ऐसे समय में जब समाज का ध्रुवीकरण हो गया है और विभिन्न धड़ों में बंट गया है तथा विचारधारा लुप्त हो चुकी है। कानून के दुरुपयोग को रोकने और इन व्यक्तियों के साथ न्याय करने के लिए न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र में सब कुछ करेगा।“     

     न्यायाधीश ने कहा कि जांच अधिकारी इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि सिखों तथा निहंगों द्वारा तलवार और फरसा प्रतिबंधित है अथवा लाल किले में आरोपियों का होना एक जघन्य अपराध है।     

     पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त लोक अभियोजक पंकज भाटिया ने अदालत से कहा कि यह मामला बहुत संवेदनशील है जिसमें आरोपियों पर गंभीर आरोप हैं, इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए। इस बीच, आरोपियों की ओर से पेश हुए वकील जसप्रीत सिंह राय, जगदीप एस ढिल्लों, कपिल मदन, नितिन कुमार और गुरमुख सिंह ने अदालत को बताया कि दोनों को इस मामले में झूठे तरीके से फंसाया जा रहा है और इस घटना में उनकी कोई भूमिका नहीं है।