नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने कानपुर के आश्रय गृह में कोरोना वायरस से संक्रमित मिलीं 57 नाबालिग लड़कियों के बारे में छपी खबरों पर मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार से स्थिति रिपोर्ट दायर करने को कहा। शीर्ष अदालत ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बीच देश भर में संरक्षण में रह रहे बच्चों – भले ही वे किशोर गृह हों, पालक घर या रिश्तेदारों के साथ रह रहे हों- की स्थिति पर स्वत: संज्ञान लिया है। हाल में, वकील अपर्णा भट ने एक याचिका दायर कर 57 नाबालिग लड़कियों के उचित ‘‘उपचार एवं सुविधाओं” का अनुरोध किया था जो उत्तर प्रदेश के कानपुर के आश्रय गृह में कोविड-19 की जांच में संक्रमित मिली थीं।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई के दौरान, अदालत को तमिलनाडु की वकील ने सूचित किया कि चेन्नई के रोयापुरम में सरकारी आश्रय गृह में कोरोना वायरस से संक्रमित 35 बच्चे अब स्वस्थ हो गए हैं और फिर से केंद्र में आ गए हैं। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिवक्ता गौरव अग्रवाल को न्यायमित्र नियुक्त किया और सभी शेष राज्यों से शुक्रवार तक अपने जवाब अग्रवाल के पास दायर कराने को कहा और मामले में अगली सुनवाई 13 जुलाई को निर्धारित की।
अदालत ने गौर किया कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और त्रिपुरा ने मामले में जारी नोटिस पर अपने-अपने जवाब नहीं दिए हैं। तीन अप्रैल को, शीर्ष अदालत ने सभी राज्य सरकारों और कई अन्य अधिकारियों को संरक्षण में रहने वाले बच्चों के बचाव के लिए निर्देश जारी किए थे। न्यायालय ने यह भी कहा था कि जैसे-जैसे वैश्विक महामारी बढ़ रही है, यह महत्त्वपूर्ण है कि बाल देखभाल संस्थानों, देखभाल एवं संरक्षण केंद्रों और पालक गृहों एवं रिश्तेदारों के पास रह बच्चों में वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्राथमिकता से तत्काल कदम उठाए जाएं।