Court suggests to make helpdesk for complaints of shortage of PPE kits, masks in private hospitals

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नयी दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को आप सरकार को हेल्पलाइन की तरह कोई तंत्र स्थापित करने का सुझाव दिया जिससे स्वास्थ्यकर्मी पहचान उजागर किए बिना निजी अस्पतालों या नर्सिंग होम के खिलाफ एन-95 मास्क और पीपीई किट उपलब्ध नहीं कराने की शिकायत कर सकें। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह सुझाव दिया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में नर्सों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए उचित व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट और मास्क उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। अदालत ने कहा कि हेल्पलाइन पर शिकायत मिलने के बाद दिल्ली सरकार संबंधित अस्पताल या नर्सिंग होम का निरीक्षण कर सकती है और पीपीई किट और मास्क जरूरतों को पूरा कर सकती है।

अदालत ने एनजीओ ‘ डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव’ को भी सुझाव देने को कहा कि उसकी जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दों का कैसे समाधान किया जा सकता है। मामले में अगली सुनवाई छह जुलाई को होगी। दिल्ली सरकार ने कहा है कि वह उन निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई कर रही है जो कोविड​​-19 दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हैं। केंद्र ने अदालत को बताया कि वह राज्यों को सभी सहायता प्रदान कर रहा है और वास्तविक काम राज्यों को करना है। केंद्र का प्रतिनिधित्व उसके स्थायी वकील अनिल सोनी ने किया। केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि उसने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यकता के अनुसार पीपीई किट और एन-95 मास्क प्रदान किए हैं।