Oxygen Cylinder explosion during refilling it at an Oxygen plant in Uttar Pradesh, two people dead, many injured
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नयी दिल्ली. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सर्दियों के मौसम में कोविड-19 के मामले बढ़ने की आशंका के मद्देनजर अपनी तैयारियों के तहत तरल ऑक्सीजन का आयात करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, ताकि उस समय इसकी किसी तरह की कमी ना हो। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड ने एक लाख मीट्रिक टन तरल ऑक्सीजन की खरीद के लिये स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बुधवार को एक वैश्विक निविदा जारी की। 

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ऑक्सीजन, केंद्र और राज्य सरकार के तहत आने वाले विभिन्न अस्पतालों के लिये खरीदी जा रही है। आयात की पूरी कवायद और फिर मेडिकल ऑक्सीजन का वितरण करने में 600-700 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। मंगलवार तक कोविड-19 के करीब 3.97 प्रतिशत मरीज ऑक्सीजन सहायता पर थे, 2.46 प्रतिशत मरीज आईसीयू बेड पर और ऑक्सीजन सहायता पर थे तथा 0.40 प्रतिशत मरीज वेंटिलेटर सहायता पर थे। 

सूत्रों ने बताया कि देश में मार्च में लॉकडाउन लागू होने से पहले देश में प्रतिदिन ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता करीब 6,400 मीट्रिक टन थी, जिनमें से प्रतिदिन करीब 1,000 मीट्रिक टन का उपयोग मेडिकल उद्देश्यों में होता था जबकि शेष का उपयोग उद्योगों द्वारा किया जाता था। एक सूत्र ने बताया कि लॉकडाउन हटाये जाने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद उद्योग खुल गये और 30 सितंबर की तारीख में देश की प्रतिदिन की ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता करीब 7,000 मीट्रिक टन थी। इसमें से करीब 3,094 मीट्रिक टन का उपयोग कोविड और गैर कोविड मरीजों के लिये किया जा रहा है, यह मांग पूरी करने के लिये पर्याप्त है। 

सूत्र ने बताया, ‘‘इसलिए विदेशों से यह एक लाख मीट्रिक टन तरल ऑक्सीजन खरीदने की योजना है, जो सर्दियों के मौसम के दौरान (कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने पर) मांग में वृद्धि होने की स्थिति में एक महीने का बफर भंडार होगा।” कैबिनेट सचिव द्वारा 10 अक्टूबर को की गई एक बैठक में इस विषय पर चर्चा हुई थी। देश में कोविड-19 के मामले बढ़ कर बुधवार को 72,39,389 हो गये , जबकि कुल मृतक संख्या बढ़ कर 1,10,586 हो गई है। (एजेंसी)