सैनिकों के पार्थिव शरीर लाए गए, देश में शोक की लहर, कई हिस्सों में चीन के खिलाफ प्रदर्शन

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चंडीगढ़/हैदराबाद/बारीपदा. लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ झड़प में प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिकों के पार्थिव शरीर उनके गृह राज्यों में लाए जाने के बीच बुधवार को देश भर में शोक की लहर छा गयी । कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के तहत भीड़ के जमावड़े पर रोक के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी समेत देश के कई शहरों में चीन के विरोध में प्रदर्शन हुए । वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों द्वारा शहीद हुए जवानों के परिवारों को सूचना दिए जाने के बाद मंगलवार शाम से ही शोक संतप्त परिवारों का इंतजार बढ़ने लगा। कई राज्यों में सैनिकों के ताबूत पहुंचने पर 2019 के पुलवामा हमले के बाद की दुखद यादें ताजा हो गयीं । पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 कर्मी शहीद हो गए थे। कई जवानों के परिवार को तो यह दुखद खबर सुनकर भरोसा नहीं हो रहा था । हालांकि उनका कहना था कि शहादत पर उन्हें गर्व है।

पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में शहीद हुए कर्नल बी संतोष बाबू के पार्थिव शरीर को विशेष विमान से हैदराबाद लाया गया। तेलंगाना की राज्यपाल टी सुंदरराजन और राज्य के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के टी रामा राव समेत अन्य लोगों ने शहीद सैन्य अधिकारी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। बाद में कर्नल बाबू के पार्थिव शरीर को एम्बुलेंस से उनके गृह नगर सूर्यापेट ले जाया गया। हाथ में तिरंगा झंडा लिए लोगों ने एम्बुलेंस के मार्ग में फूल बरसाए। तेलंगाना में कई स्थानों पर लोगों और राजनीतिक दलों के सदस्यों ने शहीद कर्नल को श्रद्धांजलि दी। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के करोहटा गांव में भी मातम छा गया। हिंसक झड़प में करोहटा गांव का रहने वाला जवान अंकुश ठाकुर शहीद हो गया, जिसके निधन की खबर से पूरे गांव में उदासी छा गई है। भोरंज उपखंड के करोहटा गांव का 21 वर्षीय अंकुश 2018 में ही पंजाब रेजिमेंट में शामिल हुआ था। उसके पिता और दादा भी भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और छोटा भाई अभी छठी कक्षा में है। अंकुश के शहीद होने की खबर सेना मुख्यालय से करोहटा ग्राम पंचायत में फोन कर दी गई, जिसके बाद ही गांव में लोगों ने चीन विरोधी नारे लगाने शुरू कर दिए और उनके घर पहुंच परिवार को ढांढस बंधाया। ओडिशा में दो आदिवासी गांव पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में अपने बेटों की शहादत से शोकाकुल हैं। चंद्रकांत प्रधान (28) कंधमाल जिले के रायकिया मंडल में बिअर्पंगा गांव के रहने वाले थे और नायब सूबेदार नंदूराम सोरेन मयूरभंज के रायरंगपुर के रहने वाले थे।

रायकिया पुलिस थाने के प्रभारी निरीक्षक अलेख गराडिया ने बताया कि आदिवासी समुदाय से आने वाले चंद्रकांत पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में शहीद हो गए। शहीद हुए जवान के पिता करुणाकर प्रधान ने कहा, ‘‘मेरा बेटा अपनी ड्यूटी को लेकर बेहद ईमानदार था। वह साहसी, सादगी पसंद और मेहनती था। हमें उसकी शहादत की खबर मंगलवार रात को मिली।” प्रधान ने कहा कि उनका अविवाहित बेटा परिवार में कमाने वाला मुख्य सदस्य था। परिवार में माता-पिता के अलावा दो छोटे भाई और एक बड़ी बहन है। उन्होंने बताया कि चंद्रकांत 2014 में सेना में भर्ती हुआ था। वह करीब दो महीने पहले आखिरी बार घर आया था।

प्रधान ने रुंधे स्वर में कहा, ‘‘हमें गर्व है कि उसने मातृभूमि के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी। हमें मंगलवार रात 11 बजे इस घटना की सूचना मिली। हम उसके पार्थिक शरीर का इंतजार कर रहे हैं जो एक या दो दिन में गांव लाया जा सकता है।” पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने लद्दाख में चीनी सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में शहीद हुए राज्य के चार सैनिकों के परिजनों को अनुग्रह राशि और नौकरी देने की बुधवार को घोषणा की। सिंह ने शहीद सैनिकों नायब सूबेदार सतनाम सिंह (गुरदासपुर), नायब सूबेदार मंदीप सिंह (पटियाला), सिपाही गुरबिंदर सिंह (संगरूर) और सिपाही गुरतेज सिंह (मनसा) के परिजनों के प्रति संवेदना भी व्यक्त की। गुजरात के अहमदाबाद, वड़ोदरा और सूरत समेत अन्य जगहों पर भी चीन के खिलाफ प्रदर्शन हुए । दिल्ली में चीन के दूतावास के पास पूर्व सैन्यकर्मियों का एक समूह विरोध प्रदर्शन करने के लिए एकत्र हुआ । (एजेंसी)