Sharjeel Imam
फाइल फोटो

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नयी दिल्ली. दिल्ली पुलिस ने भड़काऊ भाषण देने के मामले में गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम की याचिका का विरोध किया । इमाम ने जांच पूरी करने के लिए पुलिस को और समय देने के निचली अदालत के फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। दिल्ली पुलिस ने बृहस्पतिवार को उच्च न्यायालय में इमाम की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि निचली अदालत के 25 अप्रैल के आदेश में कोई खामी नहीं है।

अदालत ने गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत मामले में जांच पूरी करने के लिए 90 दिन की वैधानिक अवधि के अलावा तीन और महीने का समय दिया था। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पांच घंटे से ज्यादा समय तक सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव ने पुलिस और इमाम के वकील को 28 जून तक लिखित में दलीलें दाखिल करने को कहा है। इसके बाद फैसला सुनाया जाएगा ।

पिछले साल दिसंबर में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में हिंसक प्रदर्शन से जुड़े मामले में इमाम को 28 जनवरी को बिहार के जहानाबाद जिले से गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी से 90 दिन की वैधानिक अवधि 27 अप्रैल को खत्म हो गयी थी ।

इमाम ने याचिका में कहा है कि मामले में उसे स्वत: ही जमानत प्रदान करना चाहिए क्योंकि 90 दिन की वैधानिक अवधि के भीतर जांच पूरी नहीं हुई । इसके अलावा पुलिस ने जब जांच पूरी करने के लिए और समय देने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की तो उसे कानून के मुताबिक नोटिस नहीं दिया गया । निचली अदालत ने इमाम की जमानत याचिका खारिज कर दी थी ।

इमाम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने दलील दी की कि आरोपी के अधिकारों में कटौती और 90 दिन की हिरासत के बाद वैधानिक जमानत के अधिकार से वंचित रखने के लिए उसकी हिरासत के 88 वें दिन यूएपीए लगाया गया । पुलिस की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने कहा कि कानून के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं हुआ और जांच पूरी करने के लिए समय बढ़ाने के वाजिब कारण थे ।

उन्होंने दलील दी कि इमाम किसी भी तरह राहत पाने का हकदार नहीं है । सुनवाई के दौरान जॉन ने कहा कि निचली अदालत के 25 अप्रैल के आदेश के बाद और 60 दिन गुजर गए तथा इमाम अब भी हिरासत में है। (एजेंसी)