नयी दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा सफूरा ज़रगर को जमानत दे दी। सफूरा गर्भवर्ती हैं और संशोधित नगारिकता कानून (सीएए) के विरोध के दौरान उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक हिंसा के मामले में उन्हें गैर कानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, सफूरा की जमानत का सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मानवीय आधार पर विरोध नहीं किया।
Delhi High Court directs Safoora to not involve in any activities which may hamper the investigation. She has also been directed to not leave Delhi, has to seek permission in this regard. https://t.co/HeGxuMNnVg
— ANI (@ANI) June 23, 2020
अदालत में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस का पक्ष रखते हुए मेहता ने कहा कि सफूरा को मानवीय आधार पर नियमित जमानत दी जा सकती है और फैसला मामले के तथ्यों के आधार पर नहीं लिया जाना चाहिए और न ही इसे नजीर बनानी चाहिए। न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हुई सुनवाई करते हुए 23 हफ्ते से गर्भवती सफूरा को 10 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पेश करने पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि सफूरा मामले से जुड़ी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होंगी और न ही जांच या गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करेंगी।