Mohan Bhagwat
File Photo : PTI

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    नई दिल्ली. अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) होना है। लेकिन इससे पहले ही देश में DNA चर्चा में है। जी हां, DNA जिस पर में बीते कुछ दिन पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के चीफ मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwar) ने गाजियाबाद में बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि सभी भारतीयों का DNA एक है। भागवत के इस बयान के बाद से ही सियासी गलियारों में DNA खूब चर्चा में है। क्या यह भाजपा का चुनाव से पहले अपने वोटरों को आकर्षित करने का प्लान तो नहीं? या फिर इसके पीछे भाजपा की कोई और रणनीति है?

    क्या बोले भागवत?

    मोहन भागवत ने 04 जुलाई 2021 को गाजियाबाद में संघ की सहयोगी मुस्लिम मंच द्वारा डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद द्वारा लिखित किताब ‘द मीटिंग्स ऑफ माइंड्स: ए ब्रिजिंग इनिशिएटिव’ विमोचन कार्यक्रम हिस्सा लिया और किताब का विमोचन किया। यह किताब अयोध्या-बाबरी विवाद पर आधारित है।

    कार्यक्रम में भागवत ने मुस्लिमों को लेकर बड़ी बात कही थी। उन्होंने कहा था कि, “अगर कोई हिंदू कहता है कि यहां कोई मुसलमान नहीं रहना चाहिए, तो वह व्यक्ति हिंदू नहीं है।” 

    उन्होंने कहा, “यह सिद्ध हो चुका है कि हम पिछले 40,000 वर्षों से एक ही पूर्वजों के वंशज हैं। भारत के लोगों का DNA एक जैसा है। हिंदू और मुसलमान दो समूह नहीं हैं, एकजुट होने के लिए कुछ भी नहीं है, वे पहले से ही एक साथ हैं।”

    RSS चीफ का यह बयान उस समय आया जब उत्तर प्रदेश में जबरन धर्मांतरण की खबरें सामने आ रही हैं। वहीं योगी सरकार ने भी धर्मांतरण को लेकर सख्ती शुरू कर दी है।

    इससे पहले राजनीति में कब हुआ था DNA का हुआ ज़िक्र?

    बात उस वक्त की है जब भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था। जिससे नाराज होकर होकर बिहार में नितीश कुमार ने NDA से रिश्ता तोड़ दिया था और 2015 विधानसभा चुनाव में नितीश ने लालू यादव की राष्ट्रिय जनता दल के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था।

    वहीं मुजफ्फरपुर में 21 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नितीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा था कि, “शायद उनके (नीतीश के) DNA में ही गड़बड़ है।” मोदी के इस बयान पर नीतीश ने पलटवार करते हुए कहा था कि, “मोदी ने बिहार के DNA पर उंगली उठाई है। जिनके पूर्वजों का देश की आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं था वो हमारे DNA पर उंगली उठा रहे है।” इसके बाद नितीश की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने पुरे बिहार में इस मसले पर खूब बवाल किया।

    भाजपा-RSS का राजनीतिक रणनीति प्लान?राजनीतिक जानकारों की माने तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) आगामी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपने वोटरों को आकर्षित करने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं। भाजपा की राजनीतिक रणनीति हो सकती है।

    भागवत ने किस आधार पर कहा कि भारतीयों DNA एक है?

    दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार दो साल पहले सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान भी यह मुद्दा उठा था। हिंदू पक्षकार के वकील के. पाराशरण ने कहा था कि आर्य भारत के मूल निवासी हैं। रामायण में सीता श्रीराम को आर्य कहती हैं, ऐसे में वे बाहरी कैसे हो सकते हैं।

    दरअसल, इसका आधार 2019 में डेक्कन कॉलेज पुणे के इतिहासकारों की स्टडी है। रिसर्च जर्नल सेल में प्रकाशित स्टडी में हरियाणा के राखीगढ़ी में खुदाई से निकले कंकालों का DNA एनालिसिस किया गया था। यह स्टडी कहती है कि आर्य बाहर से नहीं आए, बल्कि 12 हजार साल से यहीं थे।

    यह कंकाल हड़प्पा संस्कृति के लोगों के हैं। स्टडी का नेतृत्व डेक्कन कॉलेज पुणे के पूर्व प्रमुख डॉ. वसंत शिंदे ने किया था। उनके साथ देश-विदेश के 30 रिसर्चर इसमें शामिल थे। इसमें दावा किया गया है कि दक्षिण एशियाई लोगों का DNA एक है। हड़प्पा सभ्यता यहीं पनपी। आर्यों ने ही वेद-उपनिषद रचे। यही लोग बाद में मध्य एशिया की ओर गए।

    शोध का दावा है कि अफगानिस्तान से लेकर बंगाल और कश्मीर से लेकर अंडमान तक के लोगों के जीन एक ही वंश के थे। ‘एन इनोसेंट हड़प्पन जीनोम लैक्स एनसेस्ट्री फ्रॉम स्टेपे पेस्टोरेलिस्ट और ईरानी फार्मर्स’ शीर्षक से प्रकाशित इस रिसर्च के प्रमुख शिंदे का दावा है कि ‘2015-16 में निकाले गए यह कंकाल ईसा पूर्व 2500 के आसपास के हैं। हमने कंकाल के DNA से मिले जीन की तुलना उस काल के अन्य जगहों से मिले कंकालों से की तो दोनों अलग निकले।