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नयी दिल्ली. देश के विभिन्न किसान संगठनों (Farmers Union) और मोदी सरकार (Narendra Modi) के मध्य विवादस्पद कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध आज 16वे दिन भी जारी है। जहाँ किसान अब कानून वापसी को लेकर अड़े हुए हैं और वहीं सरकार अब संशोधन का प्रस्ताव दे दिया है। लेकिन अब किसान संगठनों (Farmers Union) और मोदी सरकार का यह मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है। जी हाँ अब भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने इन विवादस्पद  कृषि कानूनों के खिलाफ उच्चतम न्यायलय में अपनी याचिका दायर की है और इसमें इन कानूनों को सीधे चुनौती दी गयी है।

क्या है याचिका में:

किसानों द्वारा दी गयी इस याचिका में यह अनुरोध किया गया है कि कृषि कानून के मसले पर पुरानी याचिकाओं को भी सुना जाए। यह नए कानून देश के कृषि क्षेत्र को सिर्फ और सिर्फ निजीकरण की ओर धकेलेंगे। यह भी कहा गया है कि इन नए कानूनों को  किसानों से बिना किसी सही चर्चा के ही पास किया गया है। कानून पास होने के बाद मोदी सरकार ने इस पर चर्चा की है, लेकिन सभी मुलाकातें ही बेनतीजा निकलीं हैं।

तेज होगा आंदोलन:

इधर बीते गुरूवारको किसान संगठनों ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ़ कहा है कि वो कानून वापस होने तक किसी भी कीमत में अपने आंदोलन को खत्म नहीं करेंगे और अपनी लड़ाई फिर तेज़ करेंगे। दूसरी तरफ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से आंदोलन खत्म करने और संशोधन प्रस्ताव पर बात करने का अनुरोध किया है। वहीं सरकार भी अब MSP, मंडी सिस्टम पर अपनी लिखित गारंटी देने को तैयार होती दिख रही है।

इधर किसानों ने कानून वापस ना होते देख फिर तीखे तेवर अपना लिए हैं और अब वे कह रहे हैं कि वे दिल्ली आने वाले रास्तों को भी बंद करेंगे। इसके साथ ही देश के सभी नाको को टोल फ्री किया जाएगा। अब किसान संगठनों ने सड़कें जाम करने के अलावा अब रेल ट्रैक को भी बंद करने की सोची है। 

किसान आंदोलन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें:

  • सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर बैठे किसानों पर महामारी एक्ट के तहत FIR भी दर्ज की गई है। 
  • हरियाणा के DCM दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि जबतक MSP बनी हुई है वो सत्ता में बने रहेंगे, अगर MSP को कुछ होता है तो वो सरकार छोड़ देंगे। 

बीते दिन ही PM मोदी (Narendra Modi) ने संसद भवन की नींव रखते हुए गुरु नानक देव की सीख का उदाहरण दिया और कहा कि जबतक दुनिया है, संवाद चलते रहना चाहिए। पीएम के इस कथन को सरकार और किसानों के बीच रुकी बातचीत से जोड़ा जा रहा है। इधर किसान भी पीछे नहीं हटने को देख रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (BKU) के बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि, “मोदी सरकार ने माना है कि कानून व्यापारियों के लिए ही बनाए गए हैं। अगर कृषि राज्य का विषय है, तो उन्हें इस बारे में कानून बनाने का अधिकार नहीं है।”