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नयी दिल्ली. मोदी सरकार (Narendra Modi) द्वारा लागू किया गया कृषि कानूनों (Agricultural Law) के खिलाफ शुरू हुआ किसानों का रण अभी तक खत्म होता नहीं दिख रहा है। वहीं आज सोमवार को भी किसानों का धरना जारी है। किसान वर्ग आज सुबह से ही फिर विरोध करने में जुटे हुआ हैं। गौरतलब है कि किसानों ने पहले ही ऐलान किया है कि वो चार महीने के राशन के साथ यहां आए हुए हैं और अपनी लड़ाई वे जीत कर ही जायेंगे।

क्या है घटना:

दरअसल पिछले कुछ दिनों से दिल्ली और आसपास के इलाकों में किसानों ने अपना डेरा जमाया हुआ है। इधर प्रदर्शनकारी किसानों को सरकार की ओर से बातचीत का प्रस्ताव दिया जा रहा है, लेकिन किसान शर्तें किसी भी कीमत पर नहीं मान रहे हैं। दूसरी ओर, सरकार अब इस मसले पर एक्टिव हो गयी है और बीते दिन केंद्र के बड़े मंत्रियों ने बैठक की। गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने रविवार को सिंधु बॉर्डर से हटने से इनकार कर दिया है। इस के साथ ही किसान संगठनों के नेताओं ने देश की राजधानी में प्रवेश के सभी 5 रास्तों को बंद करने की चेतावनी दी है।  

इधर दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने की मांग को लेकर अड़े किसानों का संघर्ष आज भी जारी है। वहीं इन किसानों ने सरकार की ओर से बुराड़ी में प्रदर्शन करने की अपील को भी ठुकरा दिया है। मोदी सरकार को उनकी साफ़ चेतावनी है कि कृषि कानूनों को लेकर उनकी मांग मानी जाए, वरना दिल्ली आने वाले पांचों रास्ते बंद भी किए जाएंगे। 

केंद्र सरकार की अहम् बैठक, अमित शाह भी हुए शामिल:

इधर बीते रविवार को किसानों के बढ़ते विरोध के बीच भाजपा प्रमुख जे पी नड्डा (J P Nadda) के आवास पर मंत्रियों की बैठक हुई। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah), रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) शामिल हुए थे। वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को बात करने के लिए चौथी बार प्रस्ताव भेजा था। उन्होंने कहा, “भारत सरकार किसानों से तीन दौर की वार्ता कर चुकी है, चौथी बार तीन दिसंबर को मिलने का प्रस्ताव दिया था। सरकार हर स्तर पर खुले मन से बातचीत करने को तैयार है पर किसान यूनियन को बातचीत का माहौल बनाना चाहिए। उन्हें आंदोलन का रास्ता छोड़ चर्चा का रास्ता अपनाना चाहिए।”

जिस प्रकार से किसान आन्दोलन आगे बढ़ रहा है उससे लगता है कि सरकार को निश्चित रूप से बढे कदम उठाने होंगे। जहाँ किसान किसी भी सहरत पर नहीं मान रहे हैं वहीं बढे कोरोना प्रकोप के चलते दिल्ली में  केजेरिवल सरकार के लिए आने वाला समय निश्चित रूप से मुश्किलों भरा होगा।