नई दिल्ली: केंद्र सरकार (Central Government) के तीन कृषि कानूनों (Agricultural Laws) के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन (Protest) को और तेज करने के लिये पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश की करीब 200 महिला किसानों (Women Farmers) ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) के जंतर मंतर पर सोमवार को एकत्र होकर ‘‘किसान संसद” का आयोजन किया। किसानों ने नारेबाजी की और पिछले वर्ष केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों को रद्द किये जाने की मांग की।
सोमवार के ‘किसान संसद’ में आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम पर ध्यान केंद्रित किया गया । किसानों ने एक ऐसा कानून बनाने की मांग की जो न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देता हो । महिलाओं के ‘किसान संसद’ का संचालन राजनेता एवं वक्ता सुभाषिनी अली ने की । इसकी शुरूआत राष्ट्रगान से की गई। इसके बाद पिछले आठ महीने से जारी आंदोलन में मृत किसानों की याद में दो मिनट का मौन रखा गया । अली ने कहा, ‘‘आज के ‘संसद’ में महिलाओं की शक्ति दिखेगी। महिलायें खेती भी कर सकती हैं और देश भी चला सकती हैं और आज यहां हर व्यक्ति नेता है।”
उन्होंने कहा कि तीनों ‘‘काले कानूनों” के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन और न्यूनतम समर्थन मूल्य की उनकी मांग जारी रहेगी। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार हमें आतंकवादी और खालिस्तानी आदि अलग अलग नामों से पुकारना जारी रखे लेकिन अगर उनमें ताकत है तो इन आतंकवादियों एवं खालिस्तानियों द्वारा उपजाये अन्न उन्हें नहीं खाना चाहिये।”
किसान नेता नीतू खन्ना ने कहा कि यह शर्मनाक है कि सरकार किसानों के साथ ‘‘दुर्व्यवहार” कर रही है, जबकि ‘‘वे ही हैं जो देश को जीवित रखते हैं ।” इस ‘संसद’ में आये अन्य महिला किसानों ने एक सुर में कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग दोहरायी। (एजेंसी)