नयी दिल्ली. लोकसभा में विदेशी अभिदान विनियमन संशोधन विधेयक पेश करते हुए गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने रविवार को कहा कि इसमें धार्मिक संगठनों को विदेशी अंशदान प्राप्त करने का अधिकार पहले की तरह है और बिना भेदभाव के सभी धर्मों को यह अधिकार प्राप्त है।
केंद्रीय मंत्री राय ने रविवार को निचले सदन में विदेशी अभिदान विनियमन संशोधन विधेयक पेश 2020 पेश किया। इसके तहत किसी भी एनजीओ के पंजीकरण के लिए पदाधिकारियों के आधार नंबर जरूरी होंगे और लोक सेवक के विदेशों से रकम हासिल करने पर पाबंदी होगी। इसके माध्यम से विदेशी अभिदान विनियमन अधिनियम 2010 का संशोधन किया जा रहा है। राय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में आधार की व्यवस्था से जुड़ा संशोधन लाया गया है।
गृह राज्य मंत्री ने कहा, ‘‘ हमारा उद्देश्य है कि कोई भी संगठन हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को बाधित नहीं करे और कोई खतरा पैदा नहीं हो। जिस उद्देश्य से पैसा मिला है उसी के लिए इस्तेमाल हो।” उन्होंने कहा कि अगर कोई संस्था कानून के हिसाब से काम नहीं करती तो उस स्थिति में उसे नोटिस देते हैं, उनका पक्ष सुनते हैं और फिर जरूरी होता है तो कानून के हिसाब से कार्रवाई करते हैं। राय ने विपक्ष के सदस्यों की कुछ चिंताओं का जवाब देते हुए कहा, ‘‘इसमें कहां किसी के अधिकार को दबा रहे हैं।”
विधेयक पेश करने का विरोध करते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि यह कुछ संगठनों को एफसीआरए की प्राप्ति रोकने का प्रयास है। कुछ लोग ही विदेशी अनुदान ले सकें, ऐसा प्रयास है। यह अल्पसंख्यकों के लिये ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि इसे विनियमित करने की बजाए नियमन से मुक्त करना चाहिए। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कभी-कभी ऐसा लगता है कि सत्तापक्ष की बजाय विपक्ष से सवाल किया जाता है।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक विपक्ष और विरोधियों की आवाज दबाने का प्रयास है। कांग्रेस के ही मनीष तिवारी ने कहा कि एफसीआरए के प्रावधानों को सख्त बनाने की बजाए लचीला बनाया जाना चाहिए। विधेयक के मसौदा विधेयक में कहा गया है कि एफसीआरए के तहत पूर्व अनुमति या पंजीकरण अथवा एफसीआरए के लाइसेंस नवीनीकरण का अनुरोध करने वाले किसी भी व्यक्ति को अब अपने सभी पदाधिकारियों या निदेशकों के आधार नंबर देने होंगे, विदेशी नागरिक होने की स्थिति में पासपोर्ट की एक प्रति या ओसीआई कार्ड की प्रति देना जरूरी होगा ।
इसमें ‘लोक सेवक’ और ‘सरकार या इसके नियंत्रण वाले निगम’ को ऐसी इकाइयों की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया है, जो विदेशी अनुदान हासिल करने के योग्य नहीं होंगे। (एजेंसी)