Ration shopkeepers waiting for grain, beneficiaries circling the shop
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    नयी दिल्ली: केंद्र ने मंगलवार को कहा कि उसने खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों में संलग्न करीब 8,000 पात्र स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की मूल पूंजी (सीड कैपिटल) जरुरतों को पूरा करने के लिए पीएमएफएमई योजना के पहले वर्ष में 25.25 करोड़ रुपये वितरित किये।   

    पिछले साल 29 जून को प्रधानमंत्री की सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के औपचारिकीकरण (पीएमएफएमई) का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र में मौजूदा व्यक्तिगत सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना और क्षेत्र को औपचारिक दायरे में लाने को बढ़ावा देना है।   

    इस योजना में खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों में लगे स्वयं सहायता समूहों के प्रत्येक सदस्य के लिए कार्यशील पूंजी और छोटे उपकरणों की खरीद के लिए 40,000 रुपये की वित्तीय सहायता की परिकल्पना की गई है। इसे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) और इसके राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) के नेटवर्क के सहयोग से कार्यान्वित किया जा रहा है।   

    सरकार ने एक बयान में कहा, ‘‘अब तक, एनआरएलएम ने राज्य नोडल एजेंसियों को 123.54 करोड़ रुपये की राशि के लिए 43,086 एसएचजी सदस्यों की सिफारिश की है। राज्य नोडल एजेंसियों ने 8,040 सदस्यों की आधार पूंजी को मंजूरी दी है और एसआरएलएम को 25.25 करोड़ रुपये की राशि वितरित की है।”   

    योजना के अन्य घटक – ‘एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) को बढ़ावा देने के मामले में – सरकार ने कहा कि उसने राज्यों द्वारा प्राप्त सिफारिशों के अनुसार 137 अद्वितीय उत्पादों सहित 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों के लिए ओडीओपी को मंजूरी दी है।    इस योजना के तहत, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, जम्मू और कश्मीर, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ सहित 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 54 सामान्य ‘इनक्यूबेशन’ केंद्रों को मंजूरी दी गई है।