Farmers protest

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नयी दिल्ली. आंदोलन कर रहे किसानों ने बुधवार को मांग की कि केंद्र नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद का विशेष सत्र आहूत करे और अगर मांगें नहीं मानी गयीं तो राष्ट्रीय राजधानी की और सड़कों को अवरुद्ध किया जाएगा। इस बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह नये कृषि कानूनों पर किसान प्रतिनिधियों के साथ केंद्र के साथ वार्ता से पहले बृहस्पतिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलेंगे।

सूत्रों ने बताया कि सिंह गतिरोध का सौहार्द्रपूर्ण हल ढूंढने के लिए बृहस्पतिवार सुबह को दिल्ली में शाह के साथ चर्चा करेंगे। हालांकि, पंजाब के मुख्यमंत्री और उनकी कांग्रेस पार्टी किसान आंदोलन का समर्थन कर रही है और पंजाब विधानसभा ने केंद्र के नये कृषि कानूनों को निष्प्रभावी बनाने के लिए विधेयक भी पारित किये हैं।

वैसे सिंह ने कहा था कि वह और उनकी सरकार सभी के सामूहिक हित में केंद्र और किसानों के बीच मध्यस्थता के लिए तैयार है। उधर, दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शनकारियों की बढ़ती तादाद के बीच ट्रांसपोर्टरों के शीर्ष संगठन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) ने आंदोलनकारी किसानों का समर्थन करते हुए उत्तर भारत में आठ दिसंबर से परिचालन बंद करने की बुधवार को धमकी दी।

एआईएमटीसी लगभग 95 लाख ट्रक ड्राइवरों और अन्य संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है। केंद्र और प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिनिधियों के बीच बृहस्पतिवार को दूसरे चरण की बातचीत होने से पहले बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक कर नए कृषि कानूनों से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के उपायों पर चर्चा की। तोमर, गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने मंगलवार को किसान नेताओं के साथ बातचीत के दौरान केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व किया था। अपने ‘दिल्ली चलो’ मार्च के तहत किसान अपनी मांगों पर दबाव बनाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी के चार व्यस्त सीमा मार्गों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इन स्थानों पर पुलिस का भारी बंदोबस्त किया गया है।

नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे 35 किसान संगठनों के नेताओं ने सिंघू बोर्डर पर बैठक की जिसमें भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भाग लिया। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए केंद्र को संसद का विशेष सत्र आहूत करना चाहिए। हम तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे।”

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र विरोध प्रदर्शन को पंजाब केंद्रित आंदोलन के तौर पर दिखाना चाहता है और किसान संगठनों में फूट डालने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि नए कानूनों के खिलाफ भविष्य के कदमों पर फैसला करने के लिए देश के दूसरे भागों के किसान संगठनों के प्रतिनिधि भी किसान संयुक्त मोर्चा में शामिल होंगे।

पाल ने कहा कि किसान संगठनों के प्रतिनिधि बृहस्पतिवार को होने वाली बैठक में केंद्रीय मंत्रियों को बिंदुवार अपनी आपत्ति से अवगत कराएंगे। अन्य किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि अगर केंद्र तीनों नए कानूनों को वापस नहीं लेगा तो किसान अपनी मांगों को लेकर आगामी दिनों में और कदम उठाएंगे। टिकैत ने कहा कि सभी किसान संगठन चाहते हैं कि एमएसपी को कानून का रूप दिया जाए और तीनों कानून निरस्त किये जाएं।

उन्होंने कहा, “सरकार ने हमसे लिखित रूप में देने का कहा है कि इन कानूनों के साथ क्या समस्याएं हैं। यदि हमारी इन कानूनों में संशोधन की मांग होती तो लिखित बयान की कोई गुजाइंश होती, लेकिन हमारी बस एक ही मांग है – इन कानूनों को पूरी तरह वापस लिया जाए।”

केंद्र और आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच मंगलवार को हुई वार्ता बेनतीजा रही और आगे अब तीन दिसंबर को फिर से वार्ता होगी। किसानों के संगठनों ने उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर करने के लिए एक समिति बनाने के सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कहा कि मांगें पूरी नहीं होने पर वे अपना आंदोलन और तेज करेंगे।

पाल ने बताया, “हमारी बैठक के बाद राकेश टिकैत जी को सरकार ने मंगलवार को बैठक के लिए बुलाया था। वह हमारे साथ हैं…यह पंजाब केंद्रित आदोलन नहीं है बल्कि समूचे देश के किसान इससे जुड़े हैं। नए कृषि कानूनों के खिलाफ हमें केरल, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों के किसानों का भी समर्थन मिला है।”

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती थी कि संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य योगेंद्र यादव केंद्रीय मंत्रियों और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की मंगलवार को हुई वार्ता में शामिल हों। उन्होंने कहा, “योगेंद्र यादव जी ने हमसे कहा कि वार्ता की प्रक्रिया बंद नहीं होनी चाहिए । इसके बाद ही हम केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक में शामिल हुए। मंगलवार को हुई बैठक में हम देश भर के किसानों के प्रतिनिधि के तौर पर गए। हमने किसान संगठनों में फूट डालने की साजिश नाकाम कर दी।”

इस बीच, राष्ट्रीय राजधानी में तीन नये केंद्रीय कृषि कानूनों में एक के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद वाक् युद्ध शुरू होने के साथ ही पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बुधवार को दिल्ली के अपने समकक्ष अरविन्द केजरीवाल को ‘डरपोक व्यक्ति’ करार दिया । सिंह ने केजरीवाल के इस कथन को बकवास करार दिया कि राज्य केंद्रीय कानून के खिलाफ ‘असहाय’ हैं और कहा कि यह स्पष्ट है कि आप नेता इन ‘कठोर’ कानूनों के खिलाफ संघर्ष भी नहीं करना चाहते हैं।

उन्होंने केजरीवाल पर तीन में से एक कानून के लिए अधिसूचना जारी करके किसानों के संघर्ष को ‘कमजोर’ करने का आरोप लगाया और याद दिलाया कि पंजाब विधानसभा ने इन कानूनों को निष्प्रभावी बनाने की कोशिश के तहत अपने विधेयक पारित किये हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा, “डरकर केंद्रीय कानूनों की अधिसूचना जारी करने के बजाय केजरीवाल उनका मुकाबला करने की कोशिश कर सकते थे और किसानों के अधिकारों की रक्षा कर सकते थे।”

उन्होंने आरोप लगाया कि यह स्पष्ट हो गया है कि यह ‘डरपोक व्यक्ति’, जिसका दोहरा मापदंड बार-बार बेनकाब हो गया, अब इस मुद्दे पर पूरी तरह घिर गया है। इससे पहले अपनी ब्रीफिंग में केजरीवाल ने सिंह पर ‘गंदी राजनीति’ करने का आरोप लगाया था और कहा था कि वह केंद्रीय एजेंसियों के दबाव में हैं।

केजरीवाल ने कहा था, “मैं कैप्टन साहब से पूछना चाहता हूं कि क्या आप इन्हीं लोगों के दबाव में हैं जिसकी वजह से आप मेरे खिलाफ आरोप लगा रहे हैं और मुझे गालियां दे रहे हैं। मुझे पता है कि शायद कारण हो सकता है कि आपके परिवार पर मामले लगाए गए हैं और ईडी से नोटिस मिल रहे हैं।” (एजेंसी)