नई दिल्ली. संसद में किसान विधेयक पास होने के बाद लगातार इस पर बहस छिड़ी हुई है. किसान बिल को लेकर विपक्षी सहित किसान भी प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी बीच मोदी सरकार ने किसानों को एक बड़ी राहत देते हुए आज रबी की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा दिया है. गेहूं, जौ, सरसों, चना, कुसुम्भ सहित मसूर की फसलों पर MSP बढ़ा दिया गया है. चलिए जानते हैं इन फसलों का एमएसपी बढ़कर कितना रुपए हो गया है.
फसल | पहले- MSP (रु/प्रति क्विंटल) | अब- MSP (रु/प्रति क्विंटल) | अंतर |
गेहूं | 1925 | 1975 | 50 |
जौ | 1525 | 1600 | 75 |
सरसों | 4425 | 4650 | 225 |
चना | 4875 | 5100 | 225 |
कुसुम्भ | 5215 | 5327 | 112 |
मसूर | 4800 | 5100 | 300 |
क्या है न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)?
न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) वह प्राइस है, जिस पर सरकार किसानों द्वारा बेचे जाने वाले अनाज की पूरी मात्रा खरीदने के लिये तैयार रहती है. बाज़ार में कृषि उत्पादों के दाम गिरने की स्थिति में सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पादों को क्रय कर उनके हितों की रक्षा करती है. सरकार फसल बोने से पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा कर देती है. न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा सरकार द्वारा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की रिकमेंडेशन पर वर्ष में दो बार रबी और खरीफ के मौसम में की जाती है.
न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण का उद्देश्य:
किसानों को बिचौलियों के शोषण से बचाने और उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण किया जाता हैं. यदि किसी फसल का बम्पर उत्पादन होने या बाजार में उसकी अधिकता होने के कारण उसकी कीमत घोषित मूल्य की तुलना में कम हो जाती है तो सरकारी एजेंसियाँ किसानों की अधिकांश फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद लेती हैं. यह किसानों के बीच नई तकनीक को लोकप्रिय बनाने में एमएसपी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
यह कृषि व्यवसाय की शर्तों को एक उचित स्तर पर बनाए रखने की अनुमति देता है यह वैकल्पिक दिशा में क्रॉपिंग पैटर्न को स्थानांतरित करने में मदद करता है. भारत में, खाद्य सुरक्षा से निपटने के लिए गेहूं, चावल आदि के क्षेत्र में फसल के पैटर्न में बदलाव आया है. इसने भारत में खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता की स्थिति पैदा की है.
एमएसपी तय करने का आधार:
कृषि लागत और मूल्य आयोग न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिश करता है. वह कुछ बातों को ध्यान में रखकर दाम तय किया जाता है.
- उत्पाद की लागत क्या है.
- फसल में लगने वाली चीजों के दाम में कितना बदलाव आया है.
- बाजार में मौजूदा कीमतों का रुख.
- मांग और आपूर्ति की स्थिति.
- राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्थितियां कैसी हैं.
क्यों बना MSP बहस का मुद्दा:
कृषि क्षेत्र में सुधार के उद्देश्य से मोदी सरकार तीन विधेयक लाई है. लेकिन किसान संगठन और विपक्ष इसके खिलाफ हैं. विपक्ष इस बात पर विरोध कर रहा है कि इस बिल के आने से MSP की व्यवस्था बंद नहीं हो जाए. दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर साफ कर चुके हैं कि MSP खत्म नहीं होगा. मोदी ने आज भी कहा कि जिन लोगों को कंट्रोल अपने हाथ से निकलता नजर आ रहा है, वे किसानों को गुमराह कर रहे हैं.
17 सितंबर को लोकसभा में दो बिल कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 लोक सभा से पारित हुआ, जबकि एक आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक पहले ही लोकसभा में पारित हो चुका है.