नयी दिल्ली. एक तरफ जहाँ पूर्व पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय (Gupteshwar Pandey) द्वारा ऐच्छिक सेवानिवृति लेने और उनके राजनीतिक जीवन के शुरू होने के कयास लग रहे हैं । वहीं इन सब बातों को फिलहाल उन्होंने एक संशिप्त सा अल्प विराम लगाती हुए कहा है कि फिलहाल वे कुछ वक़्त के बाद ही कोई फैसला करेंगे।
यूँ तो पूर्व पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय को आप पिछले कई समय से सुशांत (Sushant Singh Rajput Case) मामले में उनके बेबाक बयान के कारण देख रहे हैं। लेकिन फिर भी हम उनके बारे में आपको थोडा और बताये देते हैं।
गुप्तेश्वर पाण्डेय और उनका सर्विस रिकॉर्ड
गुप्तेश्वर पाण्डेय 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने बिहार के कुछ प्रमुख जिलों में एसपी के रूप में कार्य किया है। यही नहीं तिरहुत डिवीजन मुजफ्फरपुर रेंज के आईजी के रूप में कार्य करते हुए, उन्होंने अपराध पर अंकुश लगाने और पुलिस के लोगों को अनुकूल बनाने के लिए कई पहल शुरू की थीं।
नितीश कुमार के साथ खूब जमी उनकी जोड़ी
यूँ देखा जाए तो पांडेय को CM नीतीश कुमार का खूब साथ मिला है। नीतीश कुमार का भी पांडेय ने अपनी तरफ से भरपूर साथ दिया है । 31 जनवरी 2019 से पहले जब वे बिहार के DGP नहीं थे तब उन्होंने पूरे बिहार में शराबबंदी को लेकर मुहिम चलाई थी जो काफी हद तक सफल रही थी। माना जाता है कि नीतीश इसी बात से खुश होकर पांडेय को DGP पद का तोहफा दिया था। हाल में जब सुशांत सिंह राजपूत मामले में रिया चक्रवर्ती ने नीतीश कुमार को लेकर टिप्पणी की थी तो पांडेय ने रिया चक्रवर्ती को औकात में रहने की नसीहत तक उन्होंने दे डाली थी दे दी थी।
गुप्तेश्वर पाण्डेय और सुशांत सिंह राजपूत मामला
यूँ तो पूर्व पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय, दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को व्यक्ति विशेष के तौर पर नहीं जानते लेकिन फिर भी उन्होंने इस केस को जोर शोर से उठाया। पांडेय ने दावा किया, ‘‘उस मामले में जो लडाई लडी़ वह बिहार की अस्मिता और सुशांत को न्याय दिलाने के लिए किया।” भले ही इस मुद्दे को उठाने पर शिवसेना ने उनके बारे में बहुत कुछ कहा लेकिन वे अडिग रहे।
उनका कहना था कि, “जीवन भर निष्पक्ष रहकर निष्ठा पूर्वक आम जनता की सेवा की है। मुझ पर बहुत तथ्यहीन अनर्गल आरोप लगाए जा रहे, जिसका जवाब देना उचित नहीं।” इसी के साथ उन्होंने एक शेर भी लिखा ‘हिफ़ाज़त हर किसी की मालिक बहुत खूबी से करता है !हवा भी चलती रहती है,दीया भी जलता रहता है!!’ मुझे जितनी भी गाली दो लेकिन सुशांत को न्याय चाहिए!”उन्होंने दावा किया कि उन्होंने सेवा में तीन दशक से अधिक समय बिताया है और कोई भी मेरी पेशेवर अखंडता पर उंगली नहीं उठा सकता है।
जीवन भर निष्पक्ष रहकर निष्ठा पूर्वक आम जनता की सेवा की है.मुझ पर बहुत तथ्यहीन अनर्गल आरोप लगाए जा रहे ,जिसका जवाब देना उचित नहीं.
हिफ़ाज़त हर किसी की मालिक बहुत खूबी से करता है !
हवा भी चलती रहती है,दीया भी जलता रहता है!!
मुझे जितनी भी गाली दो लेकिन सुशांत को न्याय चाहिए!— IPS Gupteshwar Pandey (@ips_gupteshwar) August 9, 2020
सफ़र में मुश्किलें आएँ ,तो जुर्रत और बढ़ती है!
अगर रास्ता कोई रोके ,तो हिम्मत और बढ़ती है!!
अगर दुश्मन समझ कर ,मुझको कोई गाली देता है!
सच कहूँ उससे मुहब्बत और बढ़ती है!!— IPS Gupteshwar Pandey (@ips_gupteshwar) August 9, 2020
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने आज सुशांत केश के मामले में बिहार पुलिस की करवाई को उचित ठहराकर और इस मामले को CBI को देकर भारत की 130 करोड़ जनता के दिल में उम्मीद की एक नयी रौशनी जलायी है .इससे भारत की न्यायप्रणाली में जनता की आस्था और अधिक गहरी हुयी है.
— IPS Gupteshwar Pandey (@ips_gupteshwar) August 19, 2020
हालाँकि शिवसेना ने इसे उनका राजनीतिक स्टंट बताया यही नहीं शिवसेना के कद्दावर नेता संजय राउत ने सामना में कहा कि, “पांडे बिहार के बक्सर से 2009 का विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन जब वहां से भाजपा उम्मीदवार ने उनके खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरने की धमकी दी तो उनकी योजना नाकाम हो गई थी। कहा जा रहा है कि पांडे अब शाहपुर सीट से बिहार चुनाव लड़ सकते हैं।”
राजनीति में उनके आने के कयास
पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडेय की स्वैच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस) को बिहार सरकार ने यूँ तो मंजूरी दे दी है। लेकिन यह भी माना जा रहा है कि पांडेय ने यूं ही अपना इस्तीफा शासन को नहीं दिया है। लेकिन इस बार वह सभी कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। वजह भी साफ है क्योंकि वर्ष 2009 में जब उन्होंने इस्तीफा दिया था तो किन्ही कारणों लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ पाए थे। उस समय उनकी बात BJP से करीब-करीब फाइनल हो गयी थी।
लेकिन इस बार मामला को उन्होंने थोडा परखते हुए एक बार फिर चुनावी माहौल में नो रिस्क के तहत उन्होंने इस्तीफा दिया है, और बात JDU से फाइनल की है। वर्ष 2009 में उन्होंने थोडा रिस्क लेते हुए अपनी 11 साल कि नौकरी को भी ताक में रख दिया था लेकिन फिर कुछ दिन बाद उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया था।
हालाँकि इस पर भी वह कहते हैं कि, “मैं अभी किसी राजनीतिक दल में न शामिल हुआ हूं और न ही राजनीतिक व्यक्ति हूं। जब मैं तय करुंगा कि राजनीति में जाना और कौन दल में शामिल जाना है वह भी मैं बताउंगा।” पांडेय ने कहा, “मैं सेवा के नियमों से बंधा हुआ नहीं, अब एक स्वतंत्र व्यक्ति हूं । मैं, यदि मैं चाहता हूं, तो देश के किसी भी अन्य नागरिक की तरह चुनाव लड़ सकता हूं। मैं वर्तमान में सैकड़ों लोगों से मिलने के लिए उत्सुक हूं।”
वहीं सूत्रों की मानें तो JDU शाहाबाद में अपनी चुनावी पैठ और लोगों में अपने विश्वास को बढ़ाने को लेकर पांडेय को बक्सर शहरी सीट या फिर कोई आसपास की सीट से विधानसभा का चुनाव लडवा सकती है। यह भी माना जाता है कि शाहाबाद में सासाराम, बक्सर, आरा लोकसभा सीटें वैसे तो BJP के खाते में हैं और JDU भी अब इसी इलाके में अपने आप को भी मजबूत करना चाहती है।
वैसे भी गुप्तेश्वर पांडेय ब्राह्मण समाज से आते हैं। ऐसे में यह भी कयास लग रहे हैं कि दक्षिण बिहार में जदयू ब्राह्मण नेता के तौर पर पांडेय को पेश कर सकती है। यही नहीं पाण्डेय को शाहाबाद के इलाके कि गहरी समझ और पैठ है। ऐसे में JDU शाहाबाद के इलाकों में पांडेय को आने वाले चुनाव में अच्छा उपयोग करेगी और उन्हें एक ब्राह्मण नेता के तौर पर जनता से रूबरू कराएगी।
हालाँकि इस मुद्दे पर और नितीश कुमार के बारे में उनसे पूछे जाने पर वे ठेठ पुलिसिया अंदाज में कहते हैं कि वह प्रशासन एवं पुलिसिंग के मामले में वे बिल्कुल सख्त हैं । उनका वीजन बहुत स्पष्ट है । पुलिसिंग के मामले में वह न किसी प्रकार का नाजायज राजनीतिक हस्तक्षेप करते हैं और न कोई सत्तारुढ दल का व्यक्ति करे, उसे बर्दाश्त करते हैं । और उनका स्पष्ट सन्देश है कि राजनीतिक जीवन में भी वे ऐसे ही तबियत के साथ लोगों से रूबरू होंगे, ‘कड़क और स्पष्ट’।