भारत में शारीरिक रूप से अशक्त आधे लोग रोजगार के योग्य हैं: रिपोर्ट

    Loading

    नयी दिल्ली: बाजार आसूचना कंपनी अनअर्थिनसाइट के अनुसार, सही नीतियों और रणनीतिक बदलाव से भारत में शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं और उनमें से लगभग आधे लोगों के पास रोजगार पाने की क्षमता है.

    अनअर्थिनसाइट द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग तीन करोड़ शारीरिक रूप से अशक्त (पीडब्ल्यूडी) आबादी है, जिनमें से लगभग 1.3 करोड़ लोग रोजगार के योग्य हैं, लेकिन उनमें से केवल 34 लाख लोग ही संगठित, असंगठित क्षेत्र, सरकार के नेतृत्व वाली योजनाओं और स्वरोजगार में कार्यरत हैं।

    रिपोर्ट में कहा गया है, “देश में 3.4 लाख गैर-तकनीकी स्नातकों, पॉलिटेक्निक और डिप्लोमा धारकों का संभावित श्रमबल है जिसे प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के लिए कौशल प्रशिक्षण दिया जा सकता है और मुख्यधारा के सेवा क्षेत्र और ज्ञान उद्योग में लगाया जा सकते हैं।” 

    शारीरिक रूप से अशक्त लगभग 17,000 छात्र इंजीनियरिंग या कंप्यूटर विज्ञान और संबंधित धाराओं में स्नातक हैं, जिनमें से आईटी सेवा क्षेत्र में ऐसे लगभग 8,000 कर्मचारी कार्यरत हैं, जबकि सॉफ्टवेयर उत्पाद में लगभग 5,500 कर्मचारी कार्यरत हैं। 

    रिपोर्ट के मुताबिक प्रौद्योगिकी और खुदरा क्षेत्र शारीरिक रूप से अशक्त लोगों को कौशल प्रशिक्षण देने और उनके लिए रोजगार के अवसरों का सृजन करने के लिहाज से सबसे आगे हैं। संगठित खुदरा क्षेत्र में ऐसे 13,000 से अधिक पेशेवर काम रह रहे हैं जबकि प्रौद्योगिकी क्षेत्र में ऐसे कर्मचारियों की संख्या 8,000 से अधिक है। बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र भी शारीरिक रूप से अशक्त लोगों को रोजगार देने के लिहाज से एक उभरता हुआ क्षेत्र है।(एजेंसी)