हरिद्वार. एक बड़ी खबर के अनुसार पतंजलि योगपीठ के महामंत्री और मुख्य कार्याधिकारी (CEO) आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) ने दावा किया है कि कोरोना महामारी की रोकथाम और इलाज में कारगर मानी जा रही DRDO (डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन) की 2-डीजी (2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज) दवा दरअसल पतंजलि योगपीठ के बीते वर्ष किए गए शोध का परिणाम है। उनके अनुसार पतंजलि योगपीठ ने वर्ष 2020 में विश्वस्तर पर इस शोध का प्रकाशन भी किया था और उन्होंने ही सबसे पहले दुनिया को बताया था कि यह दवा कोरोना के इलाज और नियंत्रण में जरुर कारगर है।
इतना ही नहीं इस शोध का अब तक एक लाख से अधिक विशेषज्ञ अध्ययन कर चुके हैं। इतना ही नहीं आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि पतंजलि योगपीठ की टीम के शोध के आधार पर DRDO ने अपनी दवा तो विकसित कर ली। लेकिन पतंजलि योगपीठ, उसके शोधकर्ताओं और आयुर्वेद को इसका वाजिब श्रेय आज और अभी तक नहीं दिया।
दरअसल आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया है कि, पतंजलि योगपीठ ने योगगुरु बाबा रामदेव के दिशा निर्देशों के तहत बीते जनवरी 2020 में ही इसके कारगर इलाज की खोज के लिए जरुरी शोध आरंभ कर दिया था। आज इसी इसी शोध का एक परिणाम पतंजलि योगपीठ की दवा कोरोनिल भी है। इतना ही नहीं पतंजलि रिसर्च सेंटर के प्रमुख डा। अनुराग वार्ष्णेय के निर्देशन में डा।.पल्लवी ठाकुर और उनकी टीम के आठ शोधकर्ताओं ने इस विषय पर पांच सप्ताह तक गहन शोध किया। अपनी इस शोध में टीम ने पाया कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शरीर में वायरस से संक्रमित कोशिकाओं को ग्लूकोज के टूटने से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा न मिले तो कुछ ही समय में यह कोशिकाएं भी मृत हो जाती हैं। इसके साथ ही यह वायरस भी समाप्त हो जाता है। ऐसे में वायरस को शरीर में संक्रमण फैलाने या नुकसान पहुंचाने का मौका ही नहीं मिलता।
इसके साथ ही डा. वार्ष्णेय ने बताया कि डा. पल्लवी ठाकुर की टीम के शोध के आधार पतंजलि योगपीठ इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि, अगर ऐसी कोई दवा विकसित की जाए जो आभास तो ग्लूकोज का दे पर, व्यवहार ग्लूकोज की तरह बिल्कुल न करें तो इससे संक्रमित कोशिकाओं और वायरस को जीवित रहने के लिए आवश्यक ऊर्जा नहीं मिलेगी। इसके अभाव में यह वायरस भी खत्म हो जाएगा। इतना ही नहीं आचार्य बालकृष्ण का यह भी अब कहना है कि पतंजलि योगपीठ ने 2-डीजी से संबंधित अपना शोध मेडिकल जर्नल (एनल्स आफ द नेशनल ऐकेडमी आफ मेडिकल साइंसेज) में प्रकाशन के लिए बीते मार्च 2020 में भेज दिया था। अब जल्द ही यह शोध प्रकाशित होने वाला है। हालाँकि उनका यह भी कहना था कि पतंजलि योगपीठ के शोध के आधार पर DRDO के स्तर से 2-डीजी दवा बनाए जाने की उन्हें खुशी भी है, क्योंकि यह बेहतरीन दवा अब कोरोना युद्ध में बहुत काम आ रही है।