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    शिमला: वीरभद्र सिंह के परिवार ने पिछले महीने पैतृक घर होली लॉज में केक काटकर उनका 87वां जन्मदिन मनाया था लेकिन वरिष्ठ कांग्रेस नेता इसका हिस्सा नहीं बन सके थे क्योंकि वह यहां एक अस्पताल में कोविड के बाद की समस्याओं के लिए इलाज करा रहे थे। सिंह ने लंबी बीमारी के बाद बृहस्पतिवार तड़के तीन बजकर 40 मिनट पर इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में अंतिम सांस ली। सोमवार को सिंह को दिल का दौरा पड़ा था और उनकी स्थिति गंभीर हो गई थी। उन्हें आईजीएमसी की गहन देखभाल इकाई में रखा गया था। 

    पूर्व मुख्यमंत्री 11 जून को दो महीने में दूसरी बार कोविड-19 से संक्रमित हो गए थे। राज्य के छह बार मुख्यमंत्री रहे सिंह के लिए पहाड़ी राज्य के लोगों के दिलों में खास जगह थी। उन्हें कुछ मौकों पर अपनी पार्टी के विपरीत जाकर भी कदम उठाने के लिए जाना जाता था। राम मंदिर मामले में भी उन्होंने उसी जगह पर इसे बनाए जाने की खुलकर वकालत की थी जहां बाबरी मस्जिद थी। अप्रैल 2019 में पिछले लोकसभा चुनाव से पहले सिंह ने अपने आवास पर एक साक्षात्कार के दौरान ‘पीटीआई-भाषा’ से यह बात कही थी। 

    उन्होंने कहा था, ‘‘राम मंदिर के लिए जमीन हिमाचल प्रदेश में भी दी जा सकती है लेकिन इसे अयोध्या में उसी जगह पर बनना चाहिए।” वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को बुशहर के दिवंगत राजा सर पदम सिंह के यहां सराहन में हुआ। उन्होंने शिमला के बिशप कॉटन स्कूल और दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से पढ़ाई की। 

    सिंह की उम्र महज 28 साल थी जब वह पहली बार सांसद बने। 20 साल बाद वह 1983 में 48 साल की उम्र में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वरिष्ठ कांग्रेस नेता आठ अप्रैल 1983 से पांच मार्च 1990 तक, तीन दिसंबर 1993 से 23 मार्च 1998 तक, छह मार्च 2003 से 29 दिसंबर 2007 तक और फिर 25 दिसंबर 2012 से 26 दिसंबर 2017 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। सिंह का जन्मदिन उनके समर्थक हर साल होली लॉज में धूमधाम के साथ मनाते थे लेकिन एक पखवाड़े पहले ही उनका आखिरी जन्मदिन बहुत सादगी से मनाया गया। उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह और बेटे विक्रमादित्य सिंह ने उनके पैतृक आवास पर सादगी से जन्मदिन मनाया। नौ बार के विधायक और पांच बार के सांसद वीरभद्र सिंह जीवनभर राज्य और केंद्र राजनीति में सक्रिय रहे। वह दिसंबर 2017 से सोलन जिले में अर्की विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। 

    सिंह मार्च 1998 से मार्च 2003 तक विपक्ष के नेता भी रहे। उन्होंने केंद्र सरकार में पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री और उद्योग राज्यमंत्री का पद भी संभाला। सिंह ने केंद्रीय इस्पात मंत्री और केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री के रूप में भी काम किया। दिसंबर 2017 में वह सोलन ज़िले के अर्की विधानसभा क्षेत्र से 13वीं विधानसभा के लिए फिर से चुने गए थे। इससे पहले वह अक्टूबर 1983 (उपचुनाव) में राज्य विधानसभा में निर्वाचित हुए, 1985 में जुब्बल-कोटखई निर्वाचन क्षेत्र से पुन: निर्वाचित हुए, 1990, 1993, 1998, 2003 और 2007 में वह रोहरू से जीते और 2012 में शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए।

    वह 1962 में तीसरी लोकसभा में निर्वाचित हुए, फिर 1967 में महासु निर्वाचन क्षेत्र से चौथी लोकसभा में पुन: निर्वाचित हुए। इसके बाद 1971 में पांचवी लोकसभा, 1980 में सातवीं लोकसभा और मई 2009 में मंडी संसदीय क्षेत्र से 15वीं लोकसभा में निर्वाचित हुए। सिंह 1977, 1979, 1980 और 26 अगस्त 2012 से दिसंबर 2012 तक हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। (एजेंसी)