IAF

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नयी दिल्ली.  ख़बरों के मुताबिक भारतीय वायु सेना (IAF) ने मध्य एशियाई देश (Central Asia) में फंसे 50 भारतीय वैज्ञानिकों के एक समूह को विशेष C-17 विमान में सकुशल वापस लाया गया। खबरों के मुताबिक भारतीय वायु सेना  (IAF) के C-17 ग्लोबमास्टर कार्गो विमान का इस्तेमाल कर 19 घंटे के विशेष मिशन में इन भारतीय वैज्ञानिकों को बचाया। 

Courtsey: ANI

Courtsey: Amiet R. Kashyap

क्या थी घटना:

दरअसल भारत और उक्त देश के बीच समझौतों के हिस्से के रूप में भारतीय वैज्ञानिक मध्य एशियाई गणराज्य में थे। वहीं ANI के सूत्रों के अनुसार जैसे ही इन वैज्ञानिकों के समूह में कोरोना संक्रमण प्रसार के बारे में जानकारी मिली, उस देश में स्थित भारतीय दूतावास सक्रिय हो गया। तुरंत संबंधित सरकारी अधिकारियों ने भारतीय वायु सेना से पूछा कि क्या वे वैज्ञानिकों के इस समूह को वापस ला सकते है, जिसमें कोरोना मरीज शामिल थे।जिसके लिए IAF सहर्ष तैयार हो गया।

वायु सेना की थी पूरी तैयारी:

गौरतलब है कि भारतीय वायु सेना ने चीन और दुनिया के अन्य हिस्सों में वुहान में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाया था लेकिन उसने कोरोना रोगियों को नहीं उड़ाया था। हालांकि, वायु सेना का C-17 स्क्वाड्रन इस तरह की घटना के लिए अपनी  तैयारी कर रहा था और उसने आपात स्थिति में कोरोना रोगियों को उड़ाने के लिए युद्धाभ्यास किया था और पायलटों और चालक दल द्वारा संक्रमित होने से बचने के लिए बरती जाने वाली सावधानियों और सुरक्षा उपायों का भी इस्तेमाल किया था।

कैसा बचाया गया इन वैज्ञानिकों को: 

इन सब योजना के बनने के तुरंत बाद, संबंधित एजेंसियों ने मध्य एशियाई गणराज्य में विमान भेजने के लिए सभी उचित मंजूरी ले लीं। ख़बरों के मुताबिक इस महीने के पहले सप्ताह में, C-17 विमान ने भारत से उड़ान भरी और लगभग नौ घंटे की उड़ान के बाद अपने गंतव्य पर पहुंचा। इसके बाद उस देश के हवाई अड्डे पर, वहां के भारतीय अधिकारियों ने सुरक्षित रूप से वैज्ञानिकों के समूह को विमान में लिया, जिन्होंने यात्रियों के लिए अलग-अलग सीट सहित उन्हें भारत में सकुशल भारत में लाने की सभी  संभव सुविधाएँ तैयार की थीं। इस बचाव अभियान में कुल 19 घंटे लगे हैं।

घटनाक्रम को बताने से IAF का साफ़ इनकार:

सूत्रों के अनुसार जब विशेष मिशन और इस साहसिक कार्य को अंजाम देने वाले कर्मियों के बारे में विवरण साझा करने के लिए कहा गया, तो भारतीय वायु सेना ने घटनाक्रम की टिप्पणी करने या पुष्टि करने से साफ़ इनकार कर दिया है। इसके साथ ही वह वैज्ञानिक संगठन जिसके साथ उक्त वैज्ञानिक संबद्ध थे, ने बचाव मिशन और इसमें शामिल लोगों पर चर्चा करने से भी साफ़ इनकार कर दिया है।सूत्रों ने बताया कि उस देश में भारतीय अधिकारियों ने वैज्ञानिकों को भारत लौटने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सूत्रों से यह भी यह पता चला है कि इस बचाव उड़ान के बाद, वायु सेना के चालक दल और मिशन से जुड़े अन्य लोग जरुरी ‘क्‍वारंटाइन’ प्रक्रिया से गुजर रहे हैं और ठीक हैं।

पहले भी हुए हैं ऐसे बचाव अभियान:

गौरतलब है कि 2014 से मोदी सरकार ने देश के बाहर संकट में भारतीय नागरिकों की मदद करने के अपने प्रयासों को बढ़ाया है। इसके पहले पूर्व सैन्य प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने मध्य पूर्व में एक संघर्ष में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए एक बचाव अभियान का नेतृत्व किया था और फिर भारतीयों को ISIS के आतंकवादियों द्वारा अपहृत लोगों को लाने के लिए व्यक्तिगत रूप से युद्धग्रस्त इराक चले गए थे।