विश्व की सबसे लंबी रोड टनल के साथ भारत, चीन से लोहा लेने को तैयार

  • अटल रोहतांग टनल(Atal Rohtang Tunnel) तैयार.
  • मनाली से लेह के बीच करीब 46 किलोमीटर की दूरी भी अब सिर्फ 10 मिनट में .
  • सितंबर के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं इसका उद्घाटन.

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नयी दिल्ली. भारत के लिए अच्छी खबर आ रही है। लद्दाख को भारत से जोड़े रखने वाला,10 हजार फीट पर स्थित दुनिया की सबसे लंबी रोड टनल अब तैयार हो गयी है। इसे पूर्ण करने में 10 साल का समय लग गया है। अब इस टनल के चलते मनाली से लेह के बीच करीब 46 किलोमीटर की दूरी भी अब कम हो गयी है। इस टनल का नाम अटल रोहतांग टनल(Atal Rohtang Tunnel) रखा गया है जो कि पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर है।

अटल रोहतांग टनल(Atal Rohtang Tunnel) 10,171 फीट की ऊंचाई पर बना है। यह अब दुनिया की सबसे लंबी रोड टनल है जिसकी लम्बाई 8.8 किलोमीटर है। चौडाई में यह 10 मीटर चौ़ड़ी है। अब इस टनल के चलते आप अब मनाली से लेह के 46 किमी के सफ़र को 10 मिनट में पूरी की जा सकती है।

 TOI के अनुसार नाली-लेह रोड पर इस प्रकार के चार और टनल प्रस्तावित हैं। इस कड़ी में अभी अटल रोहतांग टनल(Atal Rohtang Tunnel) पूर्ण हो गयी है। सूत्रों के अनुसार सितंबर के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(NarendrModi) इसका उद्घाटन कर सकते हैं। आपको बता दें कि यह टनल सिर्फ मनाली को लेह को ही नहीं अपितु लाहौल-स्पिति के भी यातायात को आसान कर देगी। इतना ही नहीं यह अब  मनाली से लाहौ़ल-स्पिति जिले को भी जोड़ रखेगी।

इस टनल के बन जाने से अब भारतीय फ़ौज को बड़ी आसानी होगी जो कि लद्दाख में तैनात है। अब अटल रोहतांग टनल(Atal Rohtang Tunnel) के चलते सर्दियों में भी हथियार और रसद की आपूर्ति में आसानी होगी। अब इस टनल के चलते अकेले जोजिला पास ही नहीं बल्कि इस मार्ग से भी फौजियों तक सामान जा सकेगा। 

आपको बता दें कि इस टनल के अंदर कोई भी वाहन अधिकतम 80 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल पायेगा। बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने इसका कार्य 28 जून 2010 को शुरू किया था। अगर गौर से देखें तो यह सुरंग आपको घोड़े के नाल के आकार में दिखेगी क्योंकि इसे वैसे ही डिजाईन किया गया है।

मालूम हो कि सर्दियों में यहां तापमान माइनस 30 डिग्री तक चला जाता है तो आप समझ लीजिये कि BRO के जांबाज इंजीनियरों और कर्मचारियों को इसे बनाने में कितनी कठनाई हुई होगी। इस टनल को बनाने में 8 लाख क्यूबिक मीटर पत्थर और मिट्टी निकाली गई थी। जहाँ गर्मियों में यहां पर पांच मीटर प्रति दिन खुदाई हो जाती थी वहीं सर्दियों में यह घटकर आधा मीटर ही हो पाती थी। 

अगर टनल की बारीकी देखें तो इसके अंदर से एक बार में 3000 कारें या 1500 ट्रक एकसाथ निकल सकते हैं। इसको बनाने में करीब 4 हजार करोड़ रुपये की लागत लगी है। इस टनल को बनाने में ऑस्ट्रेलियन टनलिंग मेथड और इसका वेंटिलेशन सिस्टम भी ऑस्ट्रेलियन तकनीकों पर बेस्ड है।

अटल रोहतांग टनल(Atal Rohtang Tunnel) की डिजाइनिंग में DRDO ने भी अपनी दक्षता दी है। इसका यातायात किसी भी मौसम में बाधित न हो इसका ध्यान भी रखा गया है। बताया जा रहा है कि टनल की हर निश्चित दुरी पर सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे जिससे स्पीड और हादसों पर नियंत्रण रखने में मदद होगी और आग लगने की स्थिति में काबू भी किया जा सकेगा।

वहीं पंजाब यूनिवर्सिटी और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च ने अब सरकार से इसमें न्यूट्रीनो डिटेक्टर लगाने की अनुमति मांगी है। अब अटल रोहतांग टनल(Atal Rohtang Tunnel) के चलते मनाली से लेह तक जाने में काफी सुगमता होगी।

Photo Courtsey: BRO