भारत ने सैन्य वार्ता में चीन से टकराव वाले सभी स्थानों पर गतिरोध दूर करने के लिए कहा

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नयी दिल्ली. हालिया सैन्य वार्ता में चीनी सेना ने पैंगोग झील के दक्षिणी किनारे से सैनिकों को पीछे हटाने से शुरुआत करने पर जोर दिया लेकिन भारतीय सेना ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी बिंदुओं पर गतिरोध दूर करने के लिए एक साथ कदम उठाए जाने चाहिए।

सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को इस बारे में बताया । सूत्रों ने बताया कि वार्ता के दौरान भारत और चीन की सेनाओं के बीच मतभेद उभरे और एक-दूसरे के उलट विचार जाहिर किए गए लेकिन दोनों पक्षों ने इस पर सहमति जतायी कि पूर्वी लद्दाख में यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि तनाव नहीं भड़के।

उन्होंने बताया कि भारतीय पक्ष ने भी चीनी प्रतिनिधिमंडल से कहा कि देपसांग तथा टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया चलनी चाहिए और यह चुनिंदा तरीके से नहीं बल्कि एक साथ होना चाहिए। चीनी पक्ष से कहा गया कि चीनी सैनिकों के आक्रामक रवैये के कारण मई की शुरुआत में गतिरोध आरंभ हुआ, इसलिए टकराव वाले स्थानों से उन्हें हटने की शुरुआत करनी चाहिए ।

भारतीय पक्ष ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से साफ तौर पर कहा कि किसी भी दुस्साहस या आक्रामक रवैये से कड़ाई से निपटा जाएगा क्योंकि भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है ।

मध्य जून में गलवान घाटी में झड़प के बाद सरकार ने सेना को चीन की किसी भी हिमाकत का कड़ाई से जवाब देने की आजादी दे दी । आग्नेयास्त्रों का भी प्रयोग किया जा सकता है । चुशूल सेक्टर में खराब होती स्थिति के मद्देनजर सोमवार को कोर कमांडर स्तर की बैठक हुई।

इससे पहले 29 और 30 अगस्त की रात से चीनी सैनिकों ने हवा में गोलियां चलायी थी। घटना के बाद भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिणी और उत्तरी किनारे पर महत्वपूर्ण 20 चोटियों पर अपना दबदबा कायम कर लिया।

सूत्रों ने बताया कि चीनी पक्ष को बता दिया गया कि भारतीय सेना अपने देश के क्षेत्र की रक्षा के लिए असाधारण परिस्थिति में आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकिचाएगी। वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने हालात सामान्य बनाने पर सहमति जतायी । हालांकि, सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पर कोई नतीजा नहीं निकला। सूत्रों ने बताया कि सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सिलसिलेवार वार्ता की जरूरत है।