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नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी के चलते देश की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है। इसका असर हर क्षेत्र में देखा जा सकता है। इसमें भारतीय रेलवे भी शामिल है। संचालन ठप होने के कारण रेलवे की आय में भारी गिरावट आयी है। इस नुकसान को कवर के लिए रेलवे ने अब एक योजना बनाई हैं, जिससे कम खर्चे में ज्यादा कमाई हो सके। रेलवे इस योजना के तहत ट्रेनों से पैंट्री कार ख़त्म कर सकती है और उसके जगह एक अतिरिक्त एसी-3 कोच लगा सकती है। ऐसे में पैंट्री कार में काम करनेवाले हजारों लोगों की रोजी-रोटी संकट में आ सकती है। दूसरे शब्दों में कहे तो रेलवे करीब 10 हजार लोगों को बेरोजगार कर सकती है।

रेल मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, मेल/एक्सप्रेस, सुपरफास्ट और प्रीमियर सेवाओं की लगभग 350 जोड़ी ट्रेनों में चलने वाली पैंट्री कारों को एसी-3 टायर कोचों से बदल दिया जाएगा, जिससे राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर अतिरिक्त कमाई कर सकेंगे और आय बढ़ा सकेंगे। इतना ही नहीं यात्रियों को दिए जाने वाले तकिया, कंबल चादर की सेवा को भी बंद किया जा रहा है। इसके बदले रेलवे प्रमुख स्टेशनों पर किचन बनाएगी और यात्रियों को इन स्टेशनों पर डिब्बाबंद भोजन देगी।

अगर रेलवे पैंट्री कार ख़त्म कर देती है तो इसमें बरसों से केटरिंग का काम करनेवालों पर बड़ा संकट आ जायेगा। बता दें की रेलवे ट्रेनों से पैंट्री कार हटाने का प्रस्ताव दो प्रमुख रेलवे यूनियनों की ओर से राजस्व बढ़ाने के विकल्पों के लिए सुझाया गया था। वहीं रेलवे ने भी इस विकल्प पर काम शुरू करने में देरी नहीं की है।

उल्लेखनीय है कि पैंट्री कार में रसोइयों और वेटरों सहित 20 से 30 लोगों का स्टाफ काम करता है। जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि रेलवे एक झटके में लगभग 10 हजार से अधिक लोगों बेरोजगार करेगा।

रेलवे का कहना है कि, रेलवे में पैंट्री कार सेवा से किसी भी प्रकार का राजस्व नहीं कमाता है। उल्टा एक यात्री कोच की जगह इस पैंट्री कार के वजह से कम हो जाती है। फिलहाल रेलवे का ध्यान सेवाओं से समझौता किए बिना अधिक राजस्व उत्पन्न करना है।

रेलवे ने कहा कि कोरोना काल में पैंट्री सेवाओं को बंद कर दिया गया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वायरस पैंट्री और भोजन परोसने आदि के कारण नहीं फैले। रेलवे ने कहा स्टेशनों पर या ट्रेनों में लोगों को अधिक विकल्प देने के लिए रेलवे काम कर रही हैं।

रेलवे के मुताबिक अगर पैंट्री कार को एक एसी-3 कोच से बदला जाए तो सालाना लगभग 1400 करोड़ रूपये का अतिरिक्त राजस्व मिल सकता है। गौरतलब है कि रेलवे ने कोरोना को रोकने के लिए और खर्च कम करने के लिए लांड्री सेवाओं को बंद कर दिया था।