भारत के शीर्ष सैन्य और रणनीतिक पदाधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख में हालात की समीक्षा की

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नयी दिल्ली. भारत के शीर्ष सैन्य और रणनीतिक पदाधिकारियों ने मंगलवार को पूर्वी लद्दाख में संपूर्ण हालात की समीक्षा की। पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की वापसी के अगले चरण पर भारत और चीन की सेनाओं के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच ताजा दौर की बातचीत से उत्साहजनक नतीजे सामने नहीं आने के संकेतों के बीच हालात की समीक्षा की गयी है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सभी संवेदनशील क्षेत्रों में सर्वोच्च स्तर की सतर्कता कायम रखेगा।

उन्होंने कहा कि सेना ने सर्दी के महीनों में पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की मौजूदा संख्या और भारी हथियारों को बनाकर रखने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। चीन जहां पैंगोंग सो और डेपसांग जैसे क्षेत्रों से अपने सैनिकों की वापसी में अनिच्छा दिखा रहा है, वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने तीन महीने से सीमा पर चल रहे गतिरोध के अनेक पहलुओं की समीक्षा की।

चीन अध्ययन समूह की बैठक में अन्य कई अधिकारी भी शामिल थे जिनमें विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और रक्षा सचिव अजय कुमार रहे। समझा जाता है कि जनरल नरवणे ने बैठक में कड़कड़ाती सर्दी के मौसम में इस ऊंचाई वाले क्षेत्र में सैनिकों को तैनात करने के लिए जरूरी बंदोबस्त के बारे में बताया।

सर्दी के मौसम में इस क्षेत्र का तापमान शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। बैठक में हुई बातचीत की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘‘सैनिकों की संख्या कम करने का कोई सवाल ही नहीं उठता।” रविवार को सैन्य वार्ता के पांचवें दौर में भारतीय सेना ने चीन की पीएलए को स्पष्ट तौर पर बताया था कि वह भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर समझौता नहीं करेगी और पैंगोंग सो तथा पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कुछ अन्य बिंदुओं से सैनिकों की वापसी जल्द से जल्द पूरी तरह होनी चाहिए। (एजेंसी)